कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन को फिलस्तीन का समर्थन करने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया, 5 मार्च 2025 को उनका वीजा रद्द किया गया। 11 मार्च को उनसे कहा गया CBP होम ऐप के जरिए खुद ही अमेरिका छोड़ दें। इसके बाद भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने अमेरिका छोड़ दिया है। यह घटना अमेरिका में पढ़ रहे विदेशी छात्रों पर कार्रवाई का एक हिस्सा है। खासकर जो फिलिस्तीनी समर्थक गतिविधियों में शामिल हैं। रंजनी श्रीनिवासन फिलहाल कनाडा चली गई हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की ये कार्रवाई तब शुरू हुई है, जब कोलंबिया विश्वविद्यालय के कैंपस के कार्यकर्ता महमूद ख़लील को गिरफ़्तार किया गया है, ख़लील को हाल ही में संघीय अप्रवासन प्राधिकरणों ने हिरासत में लिया था।

रंजनी श्रीनिवासन भारतीय मूल की छात्रा हैं, जो कोलंबिया यूनिवर्सिटी में डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रही थीं। वह एक प्रतिष्ठित फुलब्राइट स्कॉलर हैं और उनका अकादमिक रिकॉर्ड बेहद शानदार है। उन्होंने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से अर्बन प्लानिंग में एम.फिल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से डिज़ाइन में मास्टर्स और भारत के CEPT यूनिवर्सिटी से डिजाइन में बैचलर्स की डिग्री हासिल की है। उनका रिसर्च भारत के अर्ध-शहरी इलाकों में भूमि-श्रम संबंधों, राजनीतिक अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय राजनीति पर केंद्रित है।

रंजनी श्रीनिवासन ने कहा कि सोशल मीडिया पर उनकी गतिविधि ज्यादातर गाजा में युद्ध में “मानवाधिकारों के उल्लंघन” को उजागर करने वाले पोस्ट को लाइक या शेयर करने तक ही सीमित थी। और उन्होंने कहा कि उन्होंने युद्ध से संबंधित कई खुले पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें वास्तुकला विद्वानों द्वारा लिखा गया एक पत्र भी शामिल है जिसमें “फिलिस्तीनी मुक्ति” का आह्वान किया गया था।

अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय ने बीते साल कैंपस में फिलस्तीन के समर्थन में हुए प्रदर्शनों में भाग लेने वाले छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई शुरू की है. इसी के चलते भारतीय छात्रा रंजनी श्रीनिवासन को अमेरिका छोड़ ना पड़ गया है।

कैंपस में बीते साल हैमिल्टन हॉल पर क़ब्ज़ा करने के अभियान में शामिल रहे कुछ छात्रों को विश्वविद्यालय ने या तो निलंबित कर दिया है या उन्हें निकाल दिया है। ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया विश्वविद्यालय की 40 करोड़ डॉलर की फ़ंडिंग ये कहते हुए रोक दी है कि वो कैंपस में यहूदी विरोधी भावना से लड़ने में नाकाम रहा है।

ग़ाज़ा में इसराइल की कार्रवाई के ख़िलाफ़ बीते साल अप्रैल में विश्वविद्यालय के छात्रों ने हैमिल्टन हॉल को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था और उन्होंने कैंपस में तंबू बना लिए थे और छात्रों ने इमारत में ख़ुद को बंद कर रखा था।

कोलंबिया विश्वविद्यालय प्रशासन की हालिया कार्रवाई सोशल एक्टिविस्ट ख़लील के हिरासत में लिए जाने के बाद सामने आई है। सीरिया में पैदा हुए ख़लील कोलंबिया से ग्रैजुएट हैं, उन्हें बुधवार को लुसियाना में कोर्ट में सुनवाई के बाद हिरासत में ले लिया गया।

हाल के दिनों में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने खलील की रिहाई की मांग को लेकर पूरे अमेरिका में रैलियां निकालीं, जबकि अमेरिकी सांसदों और नागरिक अधिकार संगठनों ने सोशल मीडिया पर उनकी गिरफ्तारी की आलोचना की।

खलील की रिहाई की मांग वाली याचिका पर शुक्रवार दोपहर तक 32 लाख से अधिक हस्ताक्षर हो चुके थे।

इस सप्ताह के आरंभ में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने खलील की गिरफ्तारी को “आने वाली कई गिरफ्तारियों में से पहली” बताते हुए सोशल मीडिया पर उन छात्रों को निर्वासित करने की कसम खाई थी, जिनके बारे में उन्होंने कहा था कि वे “आतंकवाद समर्थक, यहूदी विरोधी, अमेरिका विरोधी गतिविधियों” में संलिप्त हैं।

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