पुलवामा में हुए आतंकी हमले और शहीद हुए 42 जवानों की शहादत पर पूरा देश आक्रोशित और दुखी है, देश भर में हर समुदाय के लोग एकजुट होकर शहीदों के परिवारों के दुःख में शामिल हैं और सड़कों पर निकल कर अपना आक्रोश प्रकट कर रहे हैं, सरकार से आतंकियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाही की मांग कर रहे हैं।
मगर कुछ समाज कंटक इस संवेदनशील समय में भी देश में फसाद और नफरत का ज़हर बोने से नहीं चूक रहे हैं, कहीं कश्मीरी स्टूडेंट्स को मारा पीटा जा रहा है तो जम्मू में इस मामले को लेकर बवाल हुआ है, तो कहीं लोग मुसलमानों पर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं, वो ये नहीं जानते कि ऐसा हमला देश में पहली बार नहीं हुआ है, और जब भी हुआ है देश की अमीर गरीब, हिन्दू मुस्लिम, सिख ईसाई सब कुछ भूलकर आतंकी के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हो गए थे।
आप मुसलमानों की बात करते हैं तो देख सकते हैं हर शहर हर राज्य में मुसलमान इस आतंकी हमले के खिलाफ खड़ा नज़र आएगा, मस्जिदों में नमाज़ के बाद देश में अमन और शांति तथा शहीदों के परिवारों के लिए दुआएं की गयीं हैं। यही वजह रही है कि इन सत्तर सालों में पाकिस्तान अपनी कुटिल चालों में कभी कामयाब नहीं हो पाया है।
क्यों भूल जाते हैं कि इन 42 शहीदों में नसीर अहमद भी इसी आतंकी हमले में शहीद हुए हैं, और इससे पहले भी इन जैसे न जाने कितने ही जवान आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए होंगे।
ज़रा सोचिये जैश ए मोहम्मद या लश्कर जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठन इस तरह की हरकत क्यों कर रहे हैं ? इसी लिए कि दशकों से सौहार्द के साथ रह रहे हिन्दू मुस्लिम आपस में ही लड़ मरें, देश में अशांति हो, हिंसा हो, आर्थिक, सामाजिक, व्यापारिक हर तरह का नुकसान हो, ज़रा शांति से रुक कर सोचिये कि इस तरह से आप और हम आपस में लड़कर उन आतंकियों के एजेंडों को पूरा ही तो कर रहे हैं।
आतंकी घटनाओं, शहादतों और मुसलमानों की बात करते हैं, ज़्यादा पीछे न जाकर उड़ी हमले से शुरू करते हैं, उड़ी हमले के बाद मशहूर हीरा ग्रुप की फाउंडर और सीईओ डॉ. नौहेरा शेख ने ऊड़ी हमले में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपए की आर्थिक मदद की थी साथ ही डॉ. नौहेरा शेख की और से शहीदों की संतानों की शिक्षा की तालीम का जिम्मा भी उठाया गया था और शहीदों के बच्चों की शैक्षणिक मदद के लिए 15 हजार रुपए प्रति माह की मदद की भी घोषणा की थी।
मई 2017 को कुल्लू जिले के उपायुक्त पद पर तैनात IAS अधिकारी युनूस खान और उनकी IPS पत्नी अंजुम आरा ने जम्मू-कश्मीर के पुंछ में शहीद हुए और पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता का शिकार हुए शहीद जवान नायब सूबेदार परमजीत सिंह के बलिदान को श्रद्धांजलि के रूप में 12 वर्षीय बेटी खुशदीप कौर को गोद लेकर एक बेहतरीन मिसाल पेश की थी, उस मुस्लिम दंपति ने शहीद जवान की बेटी खुशदीप कौर की पढ़ाई से लेकर शादी तक का खर्च उठाने का ज़िम्मा लिया था।
अभी ताज़ा पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों के लिए भी देश उठ खड़ा हुआ है, अमिताभ बच्चन से लेकर सलमान खान तक और सहवाग से लेकर गौतम गंभीर तक और राज्य सरकारों से लेकर ALLEN कोचिंग तक ने दिल खोलकर सहयोग किया है।
वहीँ एक मुस्लिम IAS इनायत खान ने (जो कि बिहार में शेखपुरा जिले की डीएम भी हैं) शहीद CRPF जवान संजय कुमार सिन्हा और रतन कुमार ठाकुर की एक-एक बेटी को गोद लेने की घोषणा की है, उन्होंने दोनों शहीदों की एक-एक बेटी की पढ़ाई के साथ उनके परवरिश का आजीवन खर्च उठाने का एलान किया है, इसके साथ ही DM इनायत खान ने अपना दो दिन का वेतन देने की भी घोषणा की हैं।
इसके साथ ही उन्होंने अपने दूसरे कर्मियों से एक दिन का वेतन देने का अनुरोध भी किया है, इसके अतिरिक्त डीएम इनायत खान ने आम लोगों से भी सहयोग करने की अपील की है, इनायत खान ने कहा कि पुलवामा की घटना से पूरा देश मर्माहत है, दुखी है और सैनिकों के साथ खड़ा है।
ऐसी घड़ी में सब को एक होकर सहयोग करने की अपील भी की है, इनायत खान ने कहा कि एक बैंक अकाउंट खोला गया है जिसमें हर लोग सहयोग करें यही शहीदों के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
दूसरी और देश के मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने शहीद अवधेश की बूढ़ी मां के कैंसर के इलाज का पूरा खर्च उठाने का ऐलान किया है।
इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक दर्दनाक पोस्ट लिखते हुए इस बात का ऐलान किया है शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने लिखा कि शहीद अवधेश की मॉं कैंसर से पीडित हैं, जल्दी ही इनके घर जाऊँगा और इनके इलाज में जो भी ख़र्च आयेगा वो मैं उठाने को तैयार हूँ। अवधेश की मॉं हम सबकी मॉं हैं।
पिछले दशक से ये एक ट्रेंड हो चला है कि देश में जब भी ऐसे पाक प्रायोजित आतंकी हमले होते हैं तो कुछ लोगों की उँगलियाँ भारतीय मुसलमानों पर उठती हैं, एक बात गाँठ बाँध लीजिये कि इस देश का कोई भी मुसलमान कभी सपने में भी ये नहीं चाहेगा कि पाक आतंकी भारत पर आतंकी हमले करें और कठघरे में उन्हें खड़ा किया जाए।
IAS अधिकारी युनूस खान और उनकी IPS पत्नी अंजुम आरा, डॉ. नौहेरा शेख और IAS इनायत खान जैसी सैंकड़ों मिसालें इस देश में मिल जाएँगी जहाँ लोग धर्म, राजनीति और वैचारिक मतभेद भुलाकर आतंक को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए एकजुट होकर खड़े मिलेंगे, इसलिए दोस्तों ये नाज़ुक वक़्त है यदि एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाएंगे या आपस में लड़ेंगे तो हम अप्रत्यक्ष रूप से उन आतंकियों की कुटिल चालों का ही शिकार बनेंगे, उनके एजेंडों को ही पूरा करेंगे, पाँचों उँगलियाँ इकठ्ठी होकर ही मुठ्ठी बनती है, ये समय है मुठ्ठी बाँधने का, तय कर लीजिये कि आतंक को जवाब देना है या उसकी चालों का शिकार होना है।
जय हिन्द !!
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