फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों जब भारत दौरे पर आये थे तो उनको काशी के घाटों का दौरा कराया गया था, उनके दौरा कराने के दौरान गिरते गंदे नालों को बड़े बड़े पोस्टर्स से ढका गया था, जिसके कि फोटोज़ तुरंत ही सोशल मीडिया पर वायरल (देखें चित्र – 1) ये इस सरकार में कोई नयी बात नहीं है।
इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के गुजरात दौरे पैर झुग्गी झोंपड़ियां छुपाने के लिए हरे कपड़ों से ढक दिया गया था (देखें चित्र – 2).
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इससे पहले साल 2014 में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग भारत दौरे पर आए थे तब भी यही कारनामा किया गया था ।
(देखें चित्र – 3) और इस खबर का लिंक :-
असल भारत की तस्वीर हम सब जानते हैं, विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से भारत की असल तस्वीर छुपाकर आप न सिर्फ उन्हें यहाँ बुलाकर मूर्ख बना रहे हैं बल्कि भारत की जनता के ज़ख्मों पर नमक भी छिड़क रहे हैं।
आप ये क्यों भूल जाते हैं कि आज के दौर में किसी भी देश की वास्तविकता अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छुपाना बिलकुल असंभव है, क्या जापान, क्या चीन, क्या अमेरिका और क्या फ़्रांस, सबको पता है कि भारत क्या है, यहाँ की समस्याएं क्या हैं, जनता किस हाल में है।
चलिए कुछ अंतर्राष्ट्रीय आंकड़े फिर से आपको बताते हैं जिनकी कोस्मेटिक सर्जरी आप नहीं कर सकते, और जिनकी असलियत वो सभी राष्ट्राध्यक्ष बखूबी जानते हैं जिन्हे आपने हरे पर्दे लगाकर दूसरा ही भारत दिखाया था।
- भारत विश्व में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारों का देश
- एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों में भारत का स्थान सबसे ऊपर है, जबकि पाकिस्तान हमसे कम भ्रष्ट है :
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति, उत्तर कोरिया, म्यांमार, श्रीलंका और बांग्लादेश से भी ख़राब है :-
- प्रेस की स्वतंत्रता (विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक) के इंडेक्स में भारत की रैंकिंग (136) लगातार खराब होती जा रही है, यहाँ तक कि वो अफगानिस्तान (120), मालद्वीप (117), नेपाल (100) और भूटान (84) से भी पीछे हैं :-
- इसके बाद वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत पाकिस्तान से भी पीछें है, 155 देशों की सूची में भारत है 122वें स्थान पर है :-
- ‘इन्क्लूसिव डेवलपमेंट इंडेक्स’ (समेकित विकास सूचकांक) में भारत को 62वां स्थान मिला है, इस मामले में भी भारत पाकिस्तान और चीन से पिछड़ गया है :-
- भारत ‘वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक’ में पिछड़कर 42वें पायदान पर आ गया है, यानी चार मापदंडों- राजनीतिक संस्कृति, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी और नागरिक स्वतंत्रता पर अच्छा स्कोर करने में कामयाब नहीं हुआ है :-
- और ताज़ा ग्लोबल हैप्पीनेस इंडेक्स – 2018 में भी भारत फिर से पिछड़ गया है, चौंकाने वाली बात तो यह है कि पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देश हमसे ज्यादा खुशहाल हैं :-
काशी के घाटों में गिरते गंदे नाले और गुजरात की झुग्गियां पर्दों से छुपा कर विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को भारत की झूठी हरी भरी तस्वीर तो दिखा दीं, मगर कभी सोचा है कि ये विदेशी राष्ट्राध्यक्ष उपरोक्त ख़बरों को भी तो पढ़ते होंगे।
तब वो लोग अपने भारत दौरे पर दिखाए भारत के बारे में और ‘वास्तविक भारत’ की तुलना तो ज़रूर ही करते होंगे. जब उनतक ये ख़बरें अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के ज़रिये पहुँचती होंगी तो वहां आपका ये झुग्गियां ढकने वाला हरा कपडा नहीं होता होगा, और ना ही काशी में गिरते गंदे नाले ढकने वाले ये बड़े बड़े पोस्टर्स।
उपरोक्त आंकड़े ही भारत की वास्तविकता है, यही देश की सच्चाई है, कवि दुष्यंत कुमार ने भारत की वास्तविक ज़मीनी सच्चाई कुछ इस तरह से बिल्कुल सही बयान की थी :-
मस्लहत-आमेज़ होते हैं सियासत के क़दम,
तू न समझेगा सियासत, तू अभी नादान है।
इस कदर पाबंदी-ए-मज़हब की सदके आपके,
जब से आज़ादी मिली है, मुल्क में रमजान है।
कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए,
मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिन्दुस्तान है।।
अब इस हिन्दुस्तान की उपरोक्त ‘ज़मीनी सच्चाइयों’ की कॉस्मेटिक सर्जरी किस तरह से करेंगे ?
और कब तक करते रहेंगे ??
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