हर दीवाली से पहले छद्म राष्ट्रवादी चाइना के सामानों के बहिष्कार का ज़ोरदार आह्वान करते रहे हैं, खासकर चाइनीज़ झालरों का, चाइनीज़ सामानों का बहिष्कार के पीछे उद्देश्य यही रहता है कि चीन हमारा दुश्मन देश है, दूसरा कि विदेशी सामानों का उपयोग नहीं किया जाए।
इसी के चलते देश में कई बार चीन के सामानों के बहिष्कार का दौरा पड़ता है, और स्वघोषित राष्ट्रवादी सड़कों पर निकल कर VIVO और OPPO मोबाइल्स के बोर्ड फाड़कर, बाज़ारों में छोटी मोटी तोड़ फोड़कर राष्ट्रवादी अहम् की संतुष्टि कर लेते हैं, चाइना के सामानों के विरोध का नारा हर साल सेठ रामदेव भी ज़ोर से उछालते नज़र आते हैं।
ये वही सेठ रामदेव और पतंजलि हैं जिसकी बेहतर क्वालिटी की ‘ए’ और ‘बी’ ग्रेड की 50 टन चंदन की लड़की चीन भेजते समय डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) ने ज़ब्त किया था।
अब वही सेठ रामदेव चीन के साथ मिलकर धंधा चमकाने चले हैं, Daily Pioneer की खबर के अनुसार रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने एक चीनी फर्म के साथ MOU साइन किया है।
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने बीजिंग के निकट हार्वे प्रोवेंस में वहां के गवर्नर ल्यूगांव लिन के साथ भेंटवार्ता कर भारत-चीन के रिश्तों को मधुर बनाने की एक ठोस पहल की है। शनिवार को चीन के हार्वे प्रोवेंस के नंदगांव में नंदगांव औद्योगिक पार्क की प्रशासनिक समिति और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, भारत और दो अन्य संस्थाओं के बीच एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए।
आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि हमें ‘वसुधैव कुटुम्बम्’ और ‘विश्व बन्धुत्व’ की भावना से एक-साथ मिलकर कार्य करना है। इस दौरान चीन सरकार ने भारत के साथ संस्कृति, परंपरा, योग, आयुर्वेद, अनुसंधान, जड़ी-बूटी अन्वेषण, योग-केंद्र, पर्यटन, सूचना प्रोद्यौगिकी, शिक्षा, मीडिया आदि गतिविधियों के लिए कार्य करने को स्वीकृति दी। इसके लिए सभी प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया।
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि यह MOU भारतीय संस्कृति, परम्परा तथा विभिन्न कलाओं के प्रचार-प्रसार में सहायक होगा। यदि कोई भारतीय संस्था, कम्पनी, सरकारी या गैर सरकारी संगठन यहां कार्य करना चाहे तो इस समझौते के अनुसार उन्हें यहां पूरा सहयोग मिलेगा।
बैठक में हार्वे प्रोवेंस के डिप्टी गर्वनर गाओ लंगुवा, स्काई टीवी के सीएमडी चेन जियानचेंग, वू झिगुआ, झेंग बाओशान, झू झेनपेंग तथा अन्य गणमान्य उपस्थित थे। यात्रा में मार्टिन स्काई, यू जेन पेंग, नेपाल के किरण आदि शामिल थे।
ये वही चीन है जो डोकलाम पर जमा हुआ है, और भारत को बार बार ऑंखें दिखता है धौंस देता है, इसी दुश्मन देश चीन की चाइनीज़ झालरों और उत्पादों का प्रचंड विरोध करने वाले अब अपने धंधे के चलते “‘वसुधैव कुटुम्बम्’ और ‘विश्व बन्धुत्व’ की भावना” जैसे शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं तो हंसी रुक नहीं पा रही है।
खैर ……. ‘धंधा ऊंचा रहे हमारा’, जय हिन्द, जय भारत।।
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