जून 2016 की ही खबर थी कि वर्ल्ड बैंक ने भारत के विकासशील देश टैग हटा दिया है, और भारत अब विकासशील देश की श्रेणी में नहीं रहा, अब तक कम और मध्यम आय वाले देश विकासशील कहे जाते थे और ज्यादा आय वाले देश विकसित देश कहलाते थे। यानी कि भारत अब लोअर मिडिल इनकम कैटेगरी में गिना जायेगा, जिसमें जांबिया, घाना, ग्वाभटेमाला, पाकिस्तालन, बांग्लाादेश और श्रीलंका को गिना जाता है।

इस स्थिति में भी मोदी सरकार अपने प्रचार प्रसार और विदेशी यात्राओं पर टैक्स पेयर्स का पैसा पानी की तरह बहाती रही,  Bloomberg ने आंकड़ों के आधार पर दावा किया है कि साढ़े चार साल में ही मोदी सरकार ने अपने विज्ञापनों पर $640 million (44.80 अरब रूपये) और PM मोदी ने अपनी विदेश यात्राओं पर $280 million (19.59 अरब रूपये) खर्च कर दिए, दोनों का कुल खर्च 65 अरब रूपये से अधिक बैठता है।

PM मोदी ने अपने कार्यकाल में 84 विदेश दौरे किए हैं, इन खर्चों में उनकी देश के भीतर किए गए दौरों के खर्चों का कोई डेटा शामिल नहीं है, 2014 से सत्ता में आने के बाद से पीएम मोदी के विदेश दौरों पर 19.59 अरब खर्च हुए। जनरल वीके सिंह ने बताया कि पीएम मोदी के यात्राओं के खर्चों में एयर इंडिया वन एयरक्राफ्ट का रख-रखाव और हॉटलाइन कम्युनिकेशन की लागत भी शामिल है।

तो दूसरी और सरकार की उपलब्धियों और योजनाओं के प्रचार के लिए प्रकाशित हुए विज्ञापनों पर 44.80 अरब रुपए खर्च किए गए हैं. विज्ञापनों के खर्चे के आंकड़े सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार संभाल रहे राज्यवर्धन राठौड़ ने संसद में दी है।

इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में छपी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि 2015 में पीएम मोदी ने हर महीने दो से ज्यादा विदेश यात्राएं की थीं।

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