29 सितंबर 2008 को नासिक जिले के मालेगांव शहर में हुए बम विस्फोट की आरोपी और BJP सांसद प्रज्ञा ठाकुर की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में अब 2 सप्ताह बाद सुनवाई होगी। आज शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस ए एम खानविलकर की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई को दो सप्ताह के लिए टाल दिया।

Times Of India के अनुसार ब्लास्ट में मारे गए युवक के पिता हाजी निसार अहमद बिलाल ने 2017 में प्रज्ञा ठाकुर को दी गयी ज़मानत के फैसले को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर साध्वी प्रज्ञा की जमानत रद्द करने की मांग की थी। ज्ञातव्य है कि मालेगांव बम ब्लास्ट केस में बॉम्बे हाईकोर्ट से मकोका हटाने के आदेश के साथ ही प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल गई थी।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपए की जमानत राशि और अपना पासपोर्ट NIA को जमा कराने और ट्रायल कोर्ट में हर तारीख पर पेश होने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट के बेंच ने उसे सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करने और जब भी जरूरत हो NIA अदालत में हाज़िरी लगाने के भी निर्देश दिए थे।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव की मस्जिद के बाहर एक बाइक में बम रखकर ब्लास्ट किया गया था जिसमें 8 मारे गए थे और लगभग 90 से अधिक लोग जख़्मी हो गए थे, इस सम्बन्ध में दो आरोपी, साध्वी और कर्नल पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार कर लिया गया था।

बाद में इस मामले में जांच की जिम्मेदारी ATS से लेकर NIA को दी गई थी, उसके बाद NIA ने प्रज्ञा ठाकुर को क्लीनचिट देते हुए हाईकोर्ट में कहा था कि साध्वी को ज़मानत पर रिहा करने पर NIA को कोई आपत्ति नहीं है।

प्रज्ञा ठाकुर को उच्च न्यायालय ने 25 अप्रैल 2017 को जमानत दे दी थी, जिसमें कहा गया था कि इस मामले में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ कोई “प्रथम दृष्टया मामला” नहीं बनाया गया।

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