राजनीतिक लोकतंत्र तले 37 करोड़ दलित-मुस्लिमों के खामोश होने के मायने : पुण्य प्रसून बाजपेयी।

राजनीतिक लोकतंत्र तले 37 करोड़ दलित-मुस्लिमों के खामोश होने के मायने : पुण्य प्रसून बाजपेयी।

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की राजनीति का सच तो यही है कि सत्ता पाने के लिये नागरिकों को वोटरों में तब्दील किया जाता है। फिर वोटरों को जाति-धर्म-सोशल इंजीनियरिंग के जरीये अलग अलग खांचे में बांट जाता है। पारंपरिक तौर पर किसान-मजदूर, महिला , दलित , युवा और प्रोफेशनल्स व कारपोरेट तक को […]

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