स्पेशल स्टोरी : Via :  आजतक

पुलवामा में आतंकियों ने कायराना हरकत को अंजाम देते हुए सुरक्षा बलों के काफिले को निशाना बनाकर बड़ा हमला किया. हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए,जबकि कई जवान घायल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी. जवानों के शहीद होने पर नेता राजनीति करते रहें, लेकिन सच तो यह है कि किसी ने भी अब तक जवानों के लिए कोई कदम नहीं उठाया. यहां हम इस मुद्दे को इस वजह से उठा रहे हैं क्योंकि इस हमले में जो जवान मारे गए हैं उनको हम शहीद तो बोल रहे हैं लेकिन उनको सरकार की तरफ से शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है. दरअसल, सीआरपीएफ बीएसएफ, आईटीबीपी या ऐसी ही किसी फोर्स से जिसे पैरामिलिट्री कहते हैं उनके जवान अगर ड्यूटी के दौरान मारे जाते हैं तो उनको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है.

वहीं थलसेना, नौसेना या वायुसेना के जवान ड्यूटी के दौरान अगर जान देते हैं तो उन्हें शहीद का दर्जा मिलता है. थलसेना, नौसेना या वायुसेना रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है तो वहीं पैरामिलिट्री फोर्सेज गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं. बात शहीद के दर्जे में भेदभाव की हो या फिर पेंशन, इलाज, कैंटीन की, जो सुविधाएं सेना के जवानों को मिलती है, वह पैरामिलिट्री को नहीं दिया जाता है.

सीमा पर गोली यदि सेना का जवान खाता है तो BSF के जवान को भी गोली लगती है. जान उसकी भी जाती है. सेना जहां बाहरी खतरों से देश की रक्षा करती है, जबकि CRPF आंतरिक सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है. पैरामिलिट्री का जवान अगर आतंकी या नक्सली हमले में मारा जाए तो उसकी सिर्फ मौत होती है. उसको शहीद का दर्जा नहीं मिलता है.

शहीद जवान के परिवार वालों को राज्य सरकार में नौकरी में कोटा, शिक्षण संस्थान में उनके बच्चों के लिए सीटें आरक्षित होती हैं. पैरामिलिट्री के जवानों को ऐसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं. इतना ही नहीं पैरामिलिट्री के जवानों को पेंशन की सुविधा भी नहीं मिलती है. जब से सरकारी कर्मचारियों की पेंशन बंद हुई है, तब से सीआरपीएफ-बीएसएफ की पेंशन भी बंद कर दी गई. सेना इसके दायरे में नहीं है.

ऐसे में साफ है कि चाहे वो विपक्ष हो या सरकार दोनों एक दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं. कांग्रेस की सरकार भी सत्ता में रह चुकी है और अब बीजेपी की सरकार है. दोनों ही सरकारों ने जवानों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें तो जरूर की, लेकिन असल में देश के इन जवानों के लिए दोनों ने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया.

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