दुनिया में मुश्किलों से लड़ने और फतह पाने की कई कहानियां हैं उन्ही में ज़ाबिर अंसारी की कहानी और जुड़ गयी है, बिहार के छोटे से गांव झाझा की रहने वाले 22 साल के कराटे खिलाडी ज़ाबिर अंसारी चकाचौंध से दूर दृढ़ इच्छा शक्ति और हौंसले के साथ उस छोटे से गांव के अपने घर में खुद अपनी सफलता की कहानी लिख रहे थे।

ज़ाबिर अंसारी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अभावों के बीच अपनी प्रतिभा को क़ायम रखा, उन्होंने राष्ट्रिय स्तर पर दो मेडल्स जीते और राज्य स्तर पर पांच गोल्ड मेडल्स जीतकर देश में अपनी पहचान एक होनहार कराटे खिलाडी के तौर पर साबित कर डाली।

India Times की विशेष रिपोर्ट में ज़ाबिर अंसारी कहते हैं “कराटे से मेरा सामना 2015 में हुआ था जब मैंने आत्मरक्षा के लिए क्लास में भाग लेना शुरू किया, मुझे अच्छा लगा और मैंने दिल लगाकर अच्छी तरह से प्रशिक्षण लेना शुरू किया, तब मेरे ट्रेनर पंकज कांबली मुझसे बहुत प्रभावित हुए थे, उन्होंने मुझे बताया कि मैं अच्छा हूँ, लेकिन मैं और भी बेहतर हो सकता हूँ।”

उनके ट्रेनर का कहना सही था, प्रशिक्षण के पहले ही साल में ज़ाबिर अंसारी राज्य स्तरीय कराटे प्रतियोगिता में गोल्ड मैडल जीतकर राज्य स्तर के चैंपियन बन गए, ये जीत उनके खेल केरियर के लिए एक चिंगारी की तरह थी, जिसने उन्हें आगे बढ़ने का हौंसला दिया।

दो साल तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में असफल रहे ज़ाबिर ने दो साल तक अथक मेहनत करने के बाद 2017 में राष्ट्रिय स्तर पर सिल्वर मैडल जीता। इसके बाद ज़ाबिर को श्रीलंका में दक्षिण एशियाई कराटे चैंपियनशिप में भाग लेने का अवसर मिला। इतनी बड़ी अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहली बार भाग लेने जाने वाले ज़ाबिर अंसारी ने वहां भी अपना पूरा दम ख़म लगाया और पहली ही बार में देश के लिए सिल्वर मैडल जीतकर देश का नाम रोशन किया।

ज़ाबिर अंसारी कहते हैं “मैं बहुत उत्साहित था और मैं अपने देश के लिए बेहतरीन प्रदर्शन करना चाहता था और वहां मैंने अपना 100% दिया, मुझे रजत पदक जीतने की खुशी है, मेरे लिए यह एक बहुत ही खास अनुभव था।” 2017 के बाद से ज़ाबिर अंसारी के प्रदर्शन और उपलब्धियों में लगातार निखार और आत्म विश्वास आता जा रहा है।

इसके बाद उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय अभियान को जारी रखा और जुलाई में थाईलैंड ओपन कराटे चैंपियनशिप में भाग लिया मगर वहां कोई पदक नहीं मिला, लेकिन ज़ाबिर के लिए यह सब एक शानदार अनुभव था जिसने उनकी प्रतिभा में वृद्धि में बहुत मदद की।

राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उनकी उपलब्धियों को अंततः मान्यता दी गई और पुरस्कृत किया गया, बिहार सरकार ने उन्हें 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस पर खेल पुरस्कार और 50,000/- के चेक देकर सम्मानित किया।

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