पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर दिसंबर 2019 को चीन में कोरोना वायरस फैलने से पहले की तारीखों में बनी हुई डेटॉल की शीशियों पर कोरोना से बचाव के दावों को लेकर संदेह और भ्रम बना हुआ है, दरअसल कोरोना वायरस की खोज 1960 के अंत में ही हो गई थी।
1960 के दशक के उत्तरार्ध में CORONA VIRUS पहली बार पकड़ में आया था, सबसे पहले खोजे गए कोरोना वायरस की मुर्गियों में एक संक्रामक ब्रोंकाइटिस वायरस (Infectious bronchitis virus) और दूसरा सामान्य सर्दी ज़ुकाम (Common Cold) जिसे बाद में मानव कोरोना वायरस 229 ई (Human coronavirus 229E) और मानव कोरोनवायरस ओसी 43 (Human coronavirus OC43)) कहा गया, थे।
डेटॉल की शीशी पर इसी पुराने Human coronavirus के सफाये का दावा प्रिंट किया गया है जिससे लोग भ्रमित हो रहे हैं, इस Human coronavirus और वुहान कोरोना वायरस या COVID-19 में काफी अंतर है।
1960 के दशक के बाद कोरोना वायरस की अधिक खतरनाक पीढ़ी इंसानों की नाक और गले (श्वसन तंत्र) में खोजी गई। यानी कोरोना वायरस का संक्रमण नाक और गले के रास्ते ही होता रहा है। बाद में आगे जाकर इस कोरोना वायरस ने अपने कई रूप बदले और इसका संक्रमण गंभीर और मारक होता चला गया।
इस कोरोना परिवार के अन्य सदस्यों की बाद में पहचान की गई :
2003 में : सार्स-cov (SARS-CoV)
2004 में : HCoV NL63
2005 में : HKU1
2012 में : MERS-CoV, और Saars-cov -2 (पूर्व में 2019-nCoV जाना जाता है)
2019 में : SARS-CoV-2 (पूर्व में 2019-nCoV जाना जाता है) इनमें से अधिकांश में श्वसन संक्रमण शामिल हैं।
सार्स कोरोना वायरस (SARS-CoV) ने भी विश्व में आतंक मचाया था, इस वायरस दुनिया भर में लगभग 8000 लोग संक्रमित हुए थे, इनमें से 770 लोगों की इस वायरस के कारण मौत हुई थी।
2004 में HCoV NL63 वायरस के संक्रमण की ख़बरें मीडिया में आईं मगर इससे किसी की मौत नहीं हुई थी।
2005 में HKU1 virus का शिकार चीन का ही एक बुज़ुर्ग नागरिक हुआ था, ऑस्ट्रेलिया में भी कुछ नागरिक इससे संक्रमित पाए गए थे, मगर HKU1 वायरस से किसी की मौत नहीं हुई थी।
2012 में MERS-CoV जिसे (Middle East respiratory syndrome coronavirus) कहा जाता है, इससे संक्रमित पहला केस सऊदी अरब से आया था, इसके बाद इस वायरस से मध्यपूर्वी एशिया में काफी लोग संक्रमित हुए थे, मगर तब इससे कोई मौत नहीं हुई थी।
2015 में MERS-CoV ने फिर से पांव पसारे और मध्यपूर्वी एशिया में इसका ज़बरदस्त प्रकोप हुआ था, मिस्र, यूएई, कुवैत, तुर्की, सउदी अरब, जॉर्डन, कतर, ओमान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, ऑस्ट्रिया, यूके, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और इंडोनेशिया तक इसका संक्रमण जा पहुंचा था, तब इस वायरस की वजह से 35 के लगभग मौतें हुई थीं।
ताज़ा कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरा विश्व सहमा हुआ है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया है, इस कोरोना वायरस को नाम दिया गया है COVID-19 या COV 19 ( Coronavirus disease 2019),ये पहले सभी कोरोना वायरस से अधिक गंभीर और मारक है। इसका पहला केस 1 दिसंबर 2019 को चीन के वुहान में पाया गया था।
COVID-19 चीन से निकल कर विश्व के 145 से ज्यादा देशों में पहुंच गया है, विश्व में इस वायरस से 184,000 लोग संक्रमित हो चुके हैं, इसके संक्रमण से मरने वाले लोगों की संख्या 7100 को पार कर गई है। चीन में अब तक कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या 80,824 हो गयी है और COVID-19 से मरने वाले लोगों की संख्या करीब 3200 हो गयी है।
इस COVID-19 से विश्व में अब तक ईरान में 853, इटली में 2158, दक्षिण कोरिया में 81, स्पेन में 288, फ़्रांस में 127, अमरीका में 41, UK में 35, जापान में 24, नीदरलैंड में 20, स्विट्ज़रलैंड में 19, फिलीपीन में 12 और जर्मनी में 12 मौतों की खबर है।
COVID-19 के कारण विश्व के कई देशों में बड़े आयोजन और खेल प्रतियोगिताएं स्थगित कर दी गईं हैं। जिसमें शंघाई में होने वाली विश्व तीरंदाज़ी प्रतियोगिता, विश्व इंडोर एथलेटिक प्रतियोगिता, NBA प्रतियोगिता, जर्मनी में होने वाली वर्ल्ड कप बॉक्सिंग, ऑस्ट्रेलिया और बहरीन में होने वाली फार्मूला वन प्रतियोगिताएं तथा फुटबॉल में चैंपियन लीग और टेनिस में मियामी ओपन तथा मोंटे कार्लो ओपन आदि बड़ी प्रसिद्द खेल प्रतियोगिताएं या तो स्थगित कर दी गई हैं या निरस्त कर दी गईं हैं।
अमरीका से लेकर यूरोप तक लॉक डाउन है, पर्यटन उद्योग चौपट हो गया है, शेयर बाज़ार से डराने वाली ख़बरें आ रही हैं, वैश्विक अर्थव्यवस्था डांवाडोल है, भारत में भी इसको लेकर सावधानियां बरती जा रही हैं और मॉल्स, सिनेमा घरों, होटल्स, स्कूलों, मस्जिदों मंदिरों आदि जैसे धार्मिक स्थलों पर भीड़ न करने के आदेश जारी किये गए हैं।
भारत में COVID-19 के संक्रमण के 137 मामले सामने आए हैं और तीन के मरने की खबर है। भारत में इस कोरोना वायरस से बचाव के लिए जल्दी ही एहतियात स्वरुप कई क़दम उठाये गए यही कारण है कि आबादी के घनत्व को देखते हुए देश में संक्रमण और मौतों का आंकड़ा अभी नियंत्रण में है।
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