धर्मांध हत्यारों की भीड़ से अंत:वस्त्रों में बचकर भागती महिला की तस्वीर सोशल मीडिया में कई बार शेयर की गई है, इसके साथ एक बच्चा भी डंडा लिए उस महिला को मारने उसके साथ दौड़ता नज़र आ रहा है।
ये तस्वीर के यूक्रेन के शहर ल्वीओव (जो कि अब ल्वीव के नाम से जाना जाता है) की ज़मरस्टीनिव जेल स्ट्रीट की है जिसे तब एक जर्मन कैमरा क्रू ने खींचा था। जहाँ यूक्रेनियन राष्ट्रवादियों और नाजियों द्वारा धार्मिक कट्टरता के चलते 30 जून से 28 जुलाई 1941 तक यहूदियों का नरसंहार किया गया था। जो इतिहास में Lviv pogroms (1941) (ल्वीव नरसंहार) के नाम से बदनाम है।
ये दोनों नरसंहारों में यहूदी महिलाओं के साथ नाज़ियों और यूक्रेनियन राष्ट्रवादियों द्वारा बलात्कार और क्रूरता की गई थी, ये महिला हत्यारी भीड़ से अपनी जान बचाने भाग रही है, भीड़ उसके पीछे है जिसमें एक बच्चा भी शामिल है, उसके हाथ में एक डंडा है।
द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मन नाज़ियों का पश्चिमी सोवियत संघ पर कब्जा था, सितंबर 1939 में पोलैंड पर आक्रमण के बाद, जर्मन और सोवियत सेना ने पोलैंड के क्षेत्र को आपस में बाट लिया था। 1939 में सोवियत संघ ने नाज़ी-सोवियत संधि की शर्तों के तहत पश्चिमी यूक्रेन का भी अपने में विलय कर लिया, जो पहले पॉलैंड के पास था।
मगर फिर हालात बदले और 1941 में यूक्रेन पर नाज़ियों ने क़ब्ज़ा कर लिया, साल 1944 तक यहां नाज़ियों का क़ब्जा रहा। जिस वजह से यूक्रेन को युद्ध के कारण बहुत नुक़सान झेलना पड़ा था, यूक्रेन में 50 लाख से ज़्यादा लोग नाज़ी जर्मनी से लड़ते हुए मारे गए यहां के 15 लाख यहूदियों में से अधिकतर को नाज़ियों ने मार डाला था।
यूक्रेन में नाज़ियों और यूक्रेनियन राष्ट्रवादियों द्वारा यहूदियों के दो बड़े नरसंहार हुए थे, जो कि Lviv pogroms (1941) के नाम से जाने जाते हैं, पहला ल्वीव नरसंहार 30 जून से 2 जुलाई 1941 तक हुआ था जिसमें मोटे तौर पर 6000 हज़ार यहूदी मार डाले गए, जबकि दूसरा ल्वीव नरसंहार 25 से 29 जुलाई 1941 में शुरू हुआ था, ये पहले नरसंहार से ज़्यादा भयानक था। इस योजना के तहत 1 सितंबर तक प्रत्येक यहूदी को मारा जाना था।
दूसरे नरसंहार में यूक्रेनियन राष्ट्रवादियों ने नाज़ियों को खुश करने के लिए हज़ारों यहूदियों का क़त्ल किया, जेलों से निकाल कर यहूदी स्टेडियम्स में लाये जाते थे, और उन्हें फायरिंग स्क्वाड द्वारा गोलियों से भून दिया जाता था।
28 अगस्त 1941 को एक ही दिन में यूक्रेन में 23,000 यहूदियों का नरसंहार हुआ था, उस दिन 23,000 यहूदियों को खुले मैदान में खड़ा किया और उनके ऊपर मशीन गन से गोली-बारी करवा दी। जो यहूदी गोली-बारी से नहीं मरे, उन्हें जिंदा लाशों के नीचे दफना दिया था।
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