पिछले लेख में ‘इस्लामोफोबिया’ प्रोपगंडे के अस्तित्व में आने और उसके प्रसार पर बात की थी, आज बात करते हैं ‘इस्लामोफोबिया’ प्रोपगंडे को फंडिंग करने वाली ताक़तों और उनके कारणों पर।
Al-Jazeera की एक खबर के अनुसार कौंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफ़ोर्निया – बर्कले की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल अमरीका में ही मुसलमानों के प्रति नफरत और खौफ पैदा करने के लिए इस्लाम विरोधी 74 समूहों द्वारा इस्लामोफोबिया प्रोपगंडे पर $206m यानी 15 अरब रूपये से ज़्यादा की फंडिंग की गयी।
सेंटर फॉर अमेरिकन प्रॅाग्रेस द्वारा जारी एक खोजी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में मुसलमानों का ख़ौफ़ फैलाने के लिए चलाये गये दस साल लंबे अभियान के पीछे एक छोटा सा समूह है जिसमें एक दूसरे से ताल्लुक रखने वाले कुछ दक्षिणपंथी संस्थान, ‘थिंक टैंक’, बुद्धिजीवी और ‘ब्लॉगर’ शामिल हैं।
‘Fear, Inc.:, The Roots of the Islamophobia Network in America’,शीर्षक वाली 130 पन्नों की रिपोर्ट में सात सस्थाओं की शिनाख़्त की गई है जिन्होंने चुपचाप 4 करोड़ 20 लाख डालर ऐसे व्यक्तियों और संगठनों को दिये जिन्होंने वर्ष 2001 से 2009 के बीच मुसलमानों से नफरत और खौफ पैदा करने वाली देश व्यापी मुहिम चलाई।
इनमें ऐसी वित्त पोषी संस्थायें शामिल हैं जो लंबे समय से अमेरिका में चरम दक्षिणपंथ से जुड़ी हुई हैं और कई यहूदी पारिवारिकसंस्थायें भी शामिल हैं जिन्होंने इज़राइल में दक्षिणपंथी और उपनिवेशी समूहों का समर्थन किया है।
इस नेटवर्क में सेंटर फॉर सिक्योरिटी पॅालिसी के फ्रैंक जैफ्नी, फिलाडेल्फिया के मिडिल ईस्ट फोरम के डैनियल पाइप्स, इन्वेस्टिगेटिव प्रोजेक्ट ऑन टेररिज़्म के स्टीवन इमर्सन, सोसाइटी ऑफ अमेरिकन्सफॉर नेशनल एग्जि़स्टेंस के डेविड येरूशलमी और ‘स्टॅाप इस्लामाइजेशन ऑफ अमेरिका’ के रॉबर्ट स्पेन्सर जैसे लोग शामिल हैं जिनको इस्लाम और उसकी वजह से अमेरिका कीराष्ट्रीय सुरक्षा पर तथाकथित खतरे के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए प्राय: टेलीविज़न चैनलों और दक्षिणपंथी रेडियो टॉक शो पर बुलाया जाता है और जिनको रिपार्टमें ‘सूचना को विकृत करने वाले विशेषज्ञ’ बताया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, जिसके मुख्य लेखक वजाहत अली हैं, ने इस समूह को ”इस्लाम के प्रति घृणा फैलाने वाले नेटवर्क का केन्द्रीय स्नायुतंत्र” कहा है, ”आपस में बहुत करीबी ताल्लुकात रखने वाले ये व्यक्ति और संगठन मिलजुलकर ‘शरिया के फैलाव’, पश्चिम में इस्लामिक प्रभुत्व और कुरानद्वारा गैर-मुसलमानों के तथाकथित हिंसा के आह्वान के खतरे को पैदा करते हैं और उसे बढ़ा चढ़ा कर बताते हैं।”
रिपोर्ट के मुताबिक ”उग्र विचारकों के इस छोटे से गिरोह ने शरिया को एक सर्व सत्तावादी विचारधारा और पश्चिमी सभ्यता का विनाश करने वाली कानूनी राजनीतिक और सैन्य विचारधारा के रूप में परिभाषित करने केलिए मानो एक जंग छेड़ दी है”। ”परंतु एक धार्मिेक मुसलमान की तो बात छोडि़ये, इस्लाम और मुस्लिम परंपरा का कोई विद्वान भी शरिया की इस परिभाषा को नहीं मानेगा।”
इस प्रकार की खबर फैलाने वाले अन्य प्रमुख लोगों में मीडिया कर्मी, खासकर फॉक्स न्यूज़ चैनल के नामी गिरामी होस्ट औरवाशिंगटन टाइम्स तथा नेशनल रिव्यू के स्तंभकारों के अलावा तृणमूल स्तर के समूह जैसे एक्ट फॉर अमेरिका, स्थानीय ”टी पार्टी’ आंदोलन औार अमेरिकन फेमिली एसोसिएशन भी शामिल हैं जो रिपब्लिकन पार्टी के प्रभुत्व वाली राज्य विधायिकाओंमें अपने अधिकार क्षेत्र में शरिया पर प्रतिबंध लगाने के लिए जारी प्रयासों में संलग्न हैं।
इस रिपोर्ट ने 1998 में इज़राइली सेना के पूर्व अधिकारियों द्वारा गठित ‘मिडिल ईस्ट मीडिया एण्ड रिसर्च इंस्टिट्यूट’ नामक एक प्रेस निगरानी एजेंसी का भी ज़िक्र है जो मध्य पूर्व की प्रिण्ट और ब्रॉडकास्ट मीडिया की चुनिन्दा खबरों का अनुवाद करती है और इस प्रकार इस्लाम द्वारा उत्पन्न खतरे के दावे को मजबूत करने के लिए सामग्री उपलब्ध कराती है।
यह संस्थान, जिसको हाल ही में गृह विभाग द्वारा अरब मीडिया में यहूदी विरोधी खबरों की निगरानी करने का करार मिला है, ऐसी खबरों को ज़ोर शोर से प्रमुखता देने के लिए कुख़्यात है जिनमें पश्चिम विरोधी पक्षपात और चरमपंथ को बढ़ावा देने वाली सामग्री मौजूद रहती है।
रिपोर्ट के अनुसार यदि हम कुछ पोल्स पर गौर करें तो पायेंगे कि यह नेटवर्क अपने मक़सद में काफ़ी हद तक क़ामयाब रहा है। रिपोर्ट में वर्ष 2010 में वाशिंगटन पोस्ट द्वारा आयोजित पोल का ज़िक्र है जिसके अनुसार 49 प्रतिशत अमेरिकी नागरिक इस्लाम केप्रति नकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, 2002 के मुकाबले ऐसे लोगों की संख्या में दस फ़ीसदी का इज़ाफ़ा हुआ है।
(अगले भाग में ‘इस्लामोफोबिया’ प्रोपगंडे की फंडिंग करने वाली संस्थाओं पर)
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