स्पेशल स्टोरी : Via –The Print
मोदी/भाजपा समर्थक न होने कहीं कि भाजपा/मोदी विरोधी होने या भाजपा/मोदी जी की नीतियों के खिलाफ बोलने वाले लोगों से सम्बंधित यूनिवर्सिटीज को श्रेष्ठ संस्थान (Institute of Eminence) का दर्जा नहीं दिया जा रहा है। ये बहुत ही हैरान करने वाली खबर है, ज्ञात रहे कि इसी मोदी सरकार ने जियो यूनिवर्सिटी के अस्तित्व में आने से पहले ही श्रेष्ठ संस्थान (Institute of Eminence) का दर्जा दे दिया था।
The Print की रिपोर्ट के अनुसार IB ने अपनी इसी सन्दर्भ में एक रिपोर्ट मानव संसाधन मंत्रालय को भेजी है, इस रिपोर्ट के बाद मोदी सरकार देश की 9 बड़ी निजी यूनिवर्सिटीज को Institute of Eminence का दर्जा देने में झिझक रही है।
इन बड़ी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में 3 मुख्य यूनिवर्सिटीज – अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी, अशोका यूनिवर्सिटी और KREA यूनिवर्सिटी प्रमुख हैं, द प्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार आईबी नोट में बताया गया है कि अशोका यूनिवर्सिटी के वाईस चांसलर प्रताप भानु मेहता वर्तमान सरकार विरोधी विचारधारा के हैं और साथ ही सरकार विरोधी वेब साइट Wire।in को फंडिंग भी करते हैं।
जबकि द वायर IPSMF इंडिपेंडेंट पब्लिक स्पिरीटेड मीडिया फाउंडेशन के बोर्ड में हैं, जो स्वतंत्र, सार्वजनिक उत्साही और सामाजिक रूप से प्रभावशाली पत्रकारिता में उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है। यही IPSMF द प्रिंट को भी जनहित के लिए रिपोर्टिंग और स्टोरीज के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
IB के नोट में बताया गया है कि KREA यूनिवर्सिटी बोर्ड जिसने अभी काम शुरू नहीं किया है, उसमें RBI के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं, जो कि मोदी सरकार की इकोनोमिकल नीतियों की आलोचना करते आये हैं।
आगे इसी नोट में बताया गया है कि इस यूनिवर्सिटी की गवर्निंग कॉउंसिल में अनु आगा भी हैं जिसने एक बार अपने भाषण में ये कहा था कि “मोदी ने गुजरात दंगों को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया।”
बात आती है अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की तो IB के नोट में कहा गया है कि तकनीकी दिग्गज विप्रो की चैरिटी ब्रांच, अजीम प्रेमजी परोपकारी पहल लिमिटेड, एक सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट के माध्यम से ‘द वायर’ को वित्तीय सहायता दे रही है। नोट में यह भी उल्लेख किया गया है कि अज़ीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन में ग्रामीण रोजगार के लिए मनरेगा योजना में बढ़ते फंड संकट को भी उजागर किया था।
आगे IB नोट में कहा गया है कि अज़ीम प्रेमजी ने स्मार्ट सिटीज पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ‘स्मार्ट सिटी परियोजनाएं कार्रवाई से ज्यादा चर्चा में हैं। प्रधान मंत्री से इसे केवल चर्चित किया है, लेकिन इसका क्रियान्वयन बहुत ही निम्न रहा है।
द प्रिंट ने जब इस बाबत मानव संसाधन मंत्रालय के उच्च शिक्षा सचिव आर। सुब्रमणियम से बात की तो उन्होंने बताया कि 29 जनवरी को EEC (Empowered Expert Committee) की रिपोर्ट पर UGC मीटिंग में विचार किया जायेगा। उन्होंने आईबी की रिपोर्ट पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। वहीँ द प्रिंट द्वारा UGC से इस बाबत प्रतिक्रिया देने काअनुरोध किये जाने के बाद उत्तर की प्रतीक्षा की जा रही है।
ये उपरोक्त तीनो यूनिवर्सिटीज उन 9 यूनिवर्सिटीज में हैं जिनके बारे में आईबी ने नोट में प्रतिकूल टिप्पणी की है, और ये 9 उन नौ 12 निजी और सात सार्वजनिक संस्थानों में से हैं जिन्होंने श्रेष्ठ संसथान IOE (Institute of Eminence) टैग के लिए चुने गए संस्थानों की दूसरी सूची में जगह बनाई है।
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन। गोपालस्वामी की अध्यक्षता वाले EEC की सिफारिशों के बाद पिछले महीने उन्हें शॉर्टलिस्ट किया गया था।
श्रेष्ठ संसथान (Institute of Eminence) IOE टैग को सार्वजनिक संस्थानों को सरकार से पांच साल की अवधि में 1,000 करोड़ रुपये मिलेंगे, जबकि निजी लोगों को नियामकों से पूरी स्वायत्ता मिलेगी। UGS को HRD मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक में सिफारिशों को मंजूरी देनी होगी।
सरकारी सूत्रों ने The Print को बताया कि उपर्युक्त विश्वविद्यालयों और संस्थानों के लिए अनुमोदन में देरी आईबी नोट के कारण है, जिसे “उच्चतर तिमाही” के साथ साझा किया गया है।
IoE टैग के साथ विश्वविद्यालयों का एक नया वर्ग बनाने के लिए सरकार के प्रयासों ने जुलाई में एक विवाद पैदा कर दिया था जब रिलायंस फाउंडेशन के Jio संस्थान को यह दर्जा दिया गया था, जो कि अभी बनना ही बाकी है।
Jio संस्थान को IIT- बॉम्बे, IIT-Delhi, IISc बैंगलोर, और निजी खिलाड़ियों BITS पिलानी और मणिपाल विश्वविद्यालय के साथ-साथ प्रख्यात का दर्जा दिया गया। कुल 30 संस्थानों को यह टैग चरणों में मिलने की उम्मीद है।
9 में से इन तीन बड़ी यूनिवर्सिटी के बाद आगे आते हैं बाक़ी अन्य 6 यूनिवर्सिटीज पर जिनके लिए आईबी ने प्रतिकूल रिपोर्ट दी हैं, वो हैं :-
1 – Indian Institute for Human Settlements (IIHS) बेंगलुरु।
> कारण : IB नोट में कहा गया है कि साइरस गेज़र, संस्थापकों में से एक और चेयरमैन सी बी भावे द वायर को फंड करने के लिए जाने जाते हैं।
आईबी के नोट के अनुसार साइरस गेज़र उन याचिकाकर्ताओं में शामिल थे, जिन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में यह निर्देश देने की मांग की थी कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद-राम मंदिर का विवादित स्थल गैर-धार्मिक सार्वजनिक उपयोग के लिए आरक्षित हो।
2 – जामिया हमदर्द।
> कारण : चांसलर हबील खोराकीवाला द्वारा पूर्व में सरकारी नीतियों पर सवाल उठाना।
3 – कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी – भुवनेश्वर
कारण : BJD से राज्य सभा पहुंचे अच्युत सामंता पर नोट में पर्यावरण विरोधी गतिविदियों के आरोप।
4 – IIPH – गांधीनगर
> कारण : डायरेक्टर दिलीप मलगांवकर द्वारा गुजरात मॉडल की निंदा करना।
5 – ओ पी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी- सोनीपत
> कारण : संस्थापक नवीन जिंदल के कोयला घोटाले में लिप्त होने के आरोप।
6 – वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी – वेल्लोर
> कारण : चांसलर जी विश्वनाथ द्वारा अस्तित्व में आने से पहले ही जियो इंस्टिट्यूट को Institute of Eminence दिए जाने की निंदा करना।
इसी विषय पर The Print की आज की ताज़ा Report में बताया गया है कि मंगलवार 29 जनवरी को नौ संस्थानों को ‘इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस’ (IoE) का दर्जा दिए जाने पर फैसला करने में मोदी सरकार विफल रही है।
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