फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि केंद्र सरकार इजराइली टेक कंपनी के ताकतवर निगरानी उपकरण खरीदकर अपने नागरिकों पर नजर रख रही है।
‘India’s communications backdoor attracts surveillance companies’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि सरकार कॉग्नाइट (Cognyte) और सेप्टियर (Septier) जैसी इजरायली टेक कंपनियों से शक्तिशाली निगरानी उपकरण खरीदकर अपने नागरिकों की जासूसी कर रही है।
इज़राइल स्थित सेप्टियर (Septier) ने कथित तौर पर अपनी वैध इंटरसेप्शन तकनीक मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो, वोडाफोन आइडिया और सिंगापुर की सिंगटेल सहित दूरसंचार समूहों को बेच दी है।
सेप्टियर के प्रचार वीडियो के अनुसार, इसकी तकनीक लक्ष्यों की “आवाज, संदेश सेवा, वेब सर्फिंग और ईमेल पत्राचार” की जासूसी करती है। दूसरी ओर, एक अन्य इजरायली कंपनी कॉग्नाइट भी भारत में निगरानी उत्पाद उपलब्ध कराती है।
कॉग्नाइट’ एक स्पाइवेयर उपकरण है जिसे पेगासस का विकल्प माना जाता है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट (पुष्टि वन इंडिया हिन्दी नहीं करती) में कहा गया है कि कॉग्नाइट और सेप्टियर जैसी कंपनियों से खरीदे गए निगरानी उपकरण समुद्र के नीचे केबल लैंडिंग स्टेशनों और डेटा केंद्रों पर लगाए गए हैं।
दूरसंचार कंपनियों को इन उपकरणों को लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। यह भारत की सुरक्षा एजेंसियों को नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा और संचार तक पहुंच प्रदान करता है। ये एआई और डेटा एनालिटिक्स की मदद लेकर जरूरत पड़ने पर देश की सुरक्षा एजेंसियों को डेटा ढूंढकर, कॉपी कर दे सकता है।
2021 में, मेटा ने आरोप लगाया कि कॉग्नाइट (Cognyte) उन कई कंपनियों में से एक थी जिनकी सेवाओं का इस्तेमाल कई देशों में पत्रकारों और राजनेताओं को ट्रैक करने के लिए किया जा रहा था, हालांकि इसमें भारत का उल्लेख नहीं था।
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