Outlook India की ख़बर के अनुसार कोलकाता में एक गर्भवती मुस्लिम महिला को कथित तौर पर एक वरिष्ठ महिला डॉक्टर ने इसलिए इलाज करने से से मना कर दिया कि वो मुस्लिम थी, उन्होंने दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले को अपने इनकार का कारण बताया। कस्तूरी दास मेमोरियल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सीके सरकार ने कथित तौर पर महिला से कहा, “पहलगाम की घटना के बाद, मैं किसी भी मुस्लिम मरीज को नहीं देख रही हूँ।” महिला के परिवार के अनुसार, उन्होंने आगे कहा, “हिंदुओं को तुम्हारे पति को मार देना चाहिए, तब तुम्हें समझ में आएगा कि उन्हें कैसा लगा। हमें सभी मुसलमानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।”
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने कथित तौर पर गर्भवती महिला को “हत्यारी” और “आतंकवादी” कहा। उसने मरीज़ को भविष्य में अपनी जाँच के लिए ‘मदरसों’ में जाने के लिए भी कहा। “तुम्हारे धर्म के लोग हमें (हिंदुओं को) मार रहे हैं। तुम्हारे पति को हिंदुओं द्वारा मार दिया जाना चाहिए ताकि तुम भी वैसा ही महसूस कर सको जैसा हम महसूस करते हैं।”
जब पीड़िता घर वापस आई तो उसने हिम्मत जुटाकर डॉक्टर को फोन करके अपनी बात बताई। उसने डॉक्टर से कहा कि उसे उसके व्यवहार से ठेस पहुंची है और वह अपमानित महसूस कर रही है, लेकिन डॉक्टर ने अपनी बात पर कायम रहते हुए कहा : “मैं उन लोगों का इलाज नहीं करना चाहती जो दूसरों को मारते हैं। आपके धर्म के लोग मेरे धर्म के लोगों को मार रहे हैं। मैं किसी भी मुसलमान का इलाज नहीं करूंगी। तुम वापस मत आना, तुम सब एक जैसे हो।”
आउटलुक ने कॉल रिकॉर्डिंग का ऑडियो भी एक्सेस किया है।
महिला की रिश्तेदार एडवोकेट महफूजा खातून ने फेसबुक पर इस घटना को साझा करते हुए इसे “भेदभाव का एक स्पष्ट कृत्य” बताया। उन्होंने कहा कि यह इनकार न केवल अनैतिक और अमानवीय था, बल्कि चिकित्सा नैतिकता और मानवाधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन था।”
उन्होंने लिखा, “मेरी गर्भवती भाभी इस बात से स्तब्ध और क्रोधित थी कि उसने केवल इसलिए उसका इलाज करने से इनकार कर दिया क्योंकि हम मुस्लिम हैं।” खातून ने आगे कहा कि घृणित और भेदभावपूर्ण टिप्पणियों ने उसकी भाभी को भावनात्मक रूप से तोड़ दिया। “वह तब से रो रही है, परेशान और डरी हुई है – न केवल अपने लिए बल्कि उसके अंदर पल रहे जीवन के लिए भी।”
उन्होंने कहा, “ऐसी नाजुक अवस्था में गर्भवती महिला की देखभाल करने से इनकार करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं। स्वास्थ्य सेवा पेशेवर अपनी शपथ से बंधे हैं कि वे सभी रोगियों के साथ समान व्यवहार करेंगे, चाहे उनका धर्म, जाति या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।”
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महफ़ूज़ा खातून ने इस बात पर जोर देते हुए कि स्वास्थ्य सेवा एक बुनियादी अधिकार है और धर्म के आधार पर कोई विशेषाधिकार नहीं है, डॉक्टर के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की।
महफूजा ने कहा, “वह मरीज को मना कर सकती थीं, फिर ऐसी घृणित और सांप्रदायिक टिप्पणी करने की क्या जरूरत थी?”
महेशतला पुलिस स्टेशन में एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें पीड़िता के पति ने पूरी घटना बताई है तथा डॉक्टर पर मानहानि, सांप्रदायिक घृणा और पेशेवर कदाचार का आरोप लगाया है।
शिकायत में पति ने कहा कि अपनी छवि बचाने के लिए डॉक्टर ने उन पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उसे पैसे नहीं दिए, जिसकी वजह से वह इस तरह का व्यवहार कर रही है। लेकिन परिवार ने कहा कि उनके पास सभी भुगतान की रसीदें भी हैं।
कार्यकर्ता मोना अम्बेगांवकर ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए डॉ. सरकार के बहिष्कार का आह्वान किया और उन्हें “एक खतरनाक अपराधी” बताया। अभी तक, न तो अस्पताल और न ही अधिकारियों ने कोई आधिकारिक बयान जारी किया है।
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