मेरी बात से किसी को इख़्तिलाफ़ हो तो माज़रत चाहूँगा-
एक वक़्त था जब लोग हज करने जाते थे तो गुनाहों की नदामत की वजह से बैतुल्लाह की तरफ क़दम नहीं उठते थे, वहां जाने के तसव्वुर से ही आँखों से आंसू जारी हो जाते थे कि मैं अल्लाह के दरबार में कैसे हाज़री दूँ ? और मेरे आक़ा रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ﷺ के रोज़े पर किस मुंह से जाकर सलाम पेश करूँ, क्या मैं इस क़ाबिल हूँ कि वहां जा सकूं ?
मगर अफ़सोस आजकल इस मुक़द्दस तरीन मुक़ाम पर जाते ही आंसुओं से भी पहले कैमरे ऑन हो जाते हैं, वीडियो बनाई जाती है, जो अदब का मक़ाम है उस तरफ पीठ करके सेल्फियां ली जाती हैं, जिनका बनाना इस्लाम में मना है, अल्लाह की पनाह ऐसा लगता है ये लोग रोज़-ऐ-महशर में अपनी इन्ही सेल्फियों को दिखाकर मग़फ़िरत तलब करेंगे !
अल्लाह के बन्दों और बंदियों ! रब को तुम्हारी वीडियोज़ और सेल्फियां नहीं चाहियें, उसने किरामन कातिबीन (फ़रिश्ते) को इस काम पर उसी वक़्त से लगा रखा है जब से तुम इस दुनिया में आये हो, ख़ाना-ऐ-काबा का एहतराम तुम उस वक़्त करते हो जब तुम अपने घर में होते हो, उस तरफ पांव करके भी नहीं सोते, मगर वहां जाकर क्या हो जाता है ? वहां जाकर तुम उस तरफ पीठ करके सेल्फियां लेकर बेअदबी और ग़ुस्ताख़ी करते हो, वो भी हालत-ऐ-अहराम में !
ये तस्वीरें, वीडियोज़ और सेल्फियां तुम किस मक़सद के लिए बनवाते हो ? ताकि दुनिया को बता सको कि तुमने कितना बड़ा कारनामा अंजाम दिया है, और लोग तुम्हे हाजी साहब और हज्जन साहिबा कहें तुम्हारी शोहरत हो और तुम नेक कहलाओ, तो जान लो कि तुम्हें ये सब मिलेगा दुनिया में, मगर कहीं ऐसा न हो कि आख़िरत में तुम खाली हाथ रह जाओ, क्योंकि जो काम जिस नियत से किया जाता है उसका वैसा ही सिला मिलता है !
तुम ख़ाना-ऐ-काबा में कबूतरों को डाले गए दाने चुनते हो ताकि बाँझ ख़्वातीन को खिला सको, तुम ख़ाना-ऐ-काबा में खड़े होकर दुआ क्यों नहीं करते, क्या तुम्हारा ईमान तुम्हें गंदुम (गेंहू) के दाने को अहम् बताता है ?
मुसलमानों !
बेअदबी मत करो, खुदा के लिए अपनी आख़िरत बर्बाद मत करो, हज के लिए जाकर गुनाहगार होकर मत लोटो, मत बनाओ वहां तस्वीरें, वीडियोज़ और सेल्फियां, मत करो अल्लाह के घर में खड़े हो कर अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ﷺ की नाफरमानी ! क्योंकि किरामन कातिबीन अपना काम मुस्तैदी और ईमानदारी से सर अंजाम दे रहे हैं, बेअदबी से खुद भी बचो और औरों को भी बचाओ !
अल्लाह पाक हम सबको ईमान की दौलत से मालामाल फरमाए और दीन की सही समझ आता फरमाए !
अमीन सुम्मा आमीन !!
(उर्दू से अनुवादित)