हालिया विधानसभा चुनावों में एक बार फिर से सेक्युलरिज़्म का परचम बुलंद रहा, देश में परोसे गए चरम हिंदुत्व, मंदिर मुद्दे, अली-बजरंगबली, गौत्र जैसे मुद्दों को नकारते हुए राजस्थान की जनता ने मिलकर हिंदुत्व की राजनीती पर पलने वाली भाजपा को राज्य से बाहर का रास्ता दिखाया है। वसुंधरा सरकार के 30 मंत्रियों में 20 मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा है।
इसकी बड़ी मिसाल रही राजस्थान में दो बड़े हिन्दू धर्म गुरुओं की करारी है, राजस्थान की दो तीन प्रमुख सीटें ऐसी रहीं जिसमें एक सीट थी पोकरण की जहाँ से पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े मठों में से एक तारातरा मठ के महंत प्रतापपुरी को कांग्रेस के सालेह मोहम्मद ने हराया, दूसरी सीट सीरवियों के धर्मगुरु और गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी को सिरोही में कांग्रेस के बागी संयम लोढ़ा ने हराया, योगी जी ने ख़ास तौर पर उन सीटों पर चुनावी रैलियां की थीं जहाँ हिन्दू-मुस्लिम के मुद्दे की आंच पर वोट पकाये जाते थे।
इसके अलावा प्रधान मंत्री मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राजस्थान में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं की थीं और मंदिरों में ढोक दिए थे। वहीँ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 24 मंदिरों में जाकर जीत की कामना की थी।
मगर राजस्थान की जनता ने हिन्दू-मुस्लिम और अली-बजरंगबली या मंदिर मस्जिद मुद्दे को नकारते हुए देश की राष्ट्रिय राजनीति को ये सन्देश दे दिया कि अब ये झुनझुना नहीं बजने वाला, देश के मौलिक मुद्दों से दूर ले जाने वाली इस सांप्रदायिक राजनीति को नकारे जाने या फ्लॉप हो जाने से भाजपा हैरान है।
हिंदुत्व के कार्ड को नकारते हुए राजस्थान की जनता ने नोटबंदी, महंगाई, बेरोज़गारी, पेट्रोल, डीज़ल और रसोई गैस की बेतहाशा बढ़ती कीमतें, मरते किसान, दलितों और अल्प संख्यकों पर हुए अत्याचार जिसमें मॉब लिंचिंग भी शामिल है, और भाजपा के घोषणा पत्र में किये गए झूठे वायदों के पूरा नहीं किये जाने के खिलाफ वोट किया।
आखिर में बात ‘मोदीक्रेसी’ को नकारने की, ये शब्द कुछ महीने पहले ही अस्तित्व में आया था, और इसे डेमोक्रेसी को अपने ढंग से नचाने के सन्दर्भ में काम में लिया गया था, इस ‘मोदीक्रेसी’ की झलक देखना है तो वर्तमान में देश की संवैधानिक संस्थाओं की हालत, RBI में चल रहा घमासान देख सकते हैं, CBI, ED, इनकम टैक्स, NIA, अदालतों, प्रेस की आज़ादी की हालत देख कर समझ सकते हैं।
कुल मिलाकर राजस्थान की जनता ने मोदी मैजिक की धज्जियाँ उड़ा डाली हैं और मौलिक मुद्दों के प्रति अपनी जागरूकता ज़ाहिर कर अपना जनादेश सुना दिया है, ये जनादेश एक अलार्म है उस विचारधारा के लिए जो इस दिवास्वप्न में है कि देश की जनता को हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, अली-बजरंगबली, गाय-गौत्र में में उलझा कर सत्ता की मलाई चाट सकते हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में ये सांप्रदायिक झुनझुना नहीं चलने वाला, इस बात को राजस्थान के अलावा बाक़ी चार और राज्यों के जनादेश ने भी ठोंक कर समझा दिया है, और अब केंद्र सरकार के पास इतना वक़्त भी नहीं बचा कि लौट कर अपने घोषणा पत्र के झूठे पुलंदे को खोल कर देखे और उनमें से कुछ को पूरा करने की सोचे।
पांच राज्यों की जनता के इस जनादेश और एंटी इंकम्बेंसी ने 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए चेतावनी जारी कर दी है कि हवाई क़िले बनाने, हिन्दू-मुस्लिम की राजनीति करने और जुमले बाज़ी करने को अब बिलकुल ही बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। ये मोदी मैजिक के बुरी तरह से फ़ैल होने का ऐलान भी है, अगर नम्रता से सुना जाए तो, बाक़ी 2019 चुनाव नज़दीक ही है।
- लेबनान पेजर विस्फोट : इजरायल के सुदूर युद्ध रणनीति के इतिहास पर एक नज़र। - September 18, 2024
- महाराष्ट्र के कुछ गांवों की मस्जिदों में गणपति स्थापित करने की अनूठी परंपरा। - September 15, 2024
- स्कैमर ने चीफ़ जस्टिस बनकर कैब के लिए 500/- रु. मांगे। - August 28, 2024