आज प्रधानमंत्री मोदी ने देश को बताया कि देश ने उपग्रह रोधी क्षमता हासिल कर ली है, उन्होंने कहा कि धरती की निचली कक्षा में मौजूद एक उपग्रह को मार गिराकर भारत ने यह क्षमता हासिल की, तो दूसरी ओर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के एक विज्ञानी ने पुष्टि की कि भारत के पास एन्टी-सैटेलाइट टेस्ट करने की क्षमता कम से कम पिछले 10 साल से मौजूद है।
वर्ष 2012 में जब भारत ने व्हीलर आईलैंड से अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण किया था, देश के पास सैटेलाइट को नष्ट करने की क्षमता आ गई थी. अग्नि-5 दरअसल 5,000 किलोमीटर रेंज वाली इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, और DRDO के तत्कालीन प्रमुख डॉ वीके सारस्वत ने पुष्टि की थी कि इसे सैटेलाइट लॉन्च करने या नष्ट करने – दोनों ही कामों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. पूरी संभावना है कि भारत ने एक नई मिसाइल प्रणाली का इस्तेमाल किया हो, जो आपात स्थिति में बेहद तेज़ गति से चलते उपग्रहों को निशाना बनाकर उन्हें नष्ट कर सकता हो।
DRDO के वैज्ञानिकों को इस उपलब्धि पर बधाई, अब ज़रा ज़मीन पर लौटकर देखते हैं कि अंतरिक्ष की चौथी शक्ति बने भारत की जनता के क्या हाल चाल हैं, युवाओं, रोज़गार, स्वास्थ्य, किसानों और महिलाओं आदि के मौलिक मुद्दों पर हमारा देश कौनसी कौन कौनसे नंबर की महाशक्ति बना हुआ है, विश्व में कहाँ किस मुद्दे पर कौनसी पायदान पर खड़ा है, विश्व में क्या रैंकिंग है।
ज़मीनी वास्तविकता डराने वाली है, पिछले पांच सालों में जनता से जुड़े कई वैश्विक मौलिक इंडेक्स में भारत की स्थिति बद से बदतर होती चली जा रही है, यहाँ तक कि कई मामलों में भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान और बांग्ला देश से भी पिछड़ा हुआ है।
आइये देखते हैं कि अंतरिक्ष की इस चौथी महाशक्ति की जनता से जुड़े मुद्दों पर विश्व में क्या रैंकिंग है, और इन मुद्दों पर विश्व में कैसा डंका बज रहा है :-
1. सबसे पहले आती है भुखमरी, मोदी सरकार देश से भुखमरी दूर करने में पूरी तरह फेल हुई है, 119 देशों की रैंकिंग में भारत 103वें नंबर पर है, नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान हमसे बेहतर स्थिति में हैं। मनमोहन सिंह के शासनकाल में ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग बहुत अच्छी 55 थी, वो 2018 में बदतर होकर 103वे स्थान पर पहुँच गयी है।
2014 से साल दर साल गिर रही है GHI में भारत की रैंकिंग :-
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वर्ष भारत की रैंकिंग
2014 – 55
2015 – 80
2016 – 97
2017 – 100
2018 – 103
GHI-2018 में भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति :
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चीन – 25
श्रीलंका – 67
म्यामांर – 68
नेपाल – 72
बांग्लादेश – 86
मलेशिया – 57
थाईलैंड – 44
पाकिस्तान – 106
2. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index) की 189 देशों की सूची में भारत 130वें नंबर पर आ गया है।
3. स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में भारत 195 देशों की सूची में 145वें स्थान पर है। बांग्लादेश और भूटान इस मामले में हमसे बेहतर हैं।
4. प्रेस की स्वतंत्रता (विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक) के इंडेक्स में भारत की स्थिति 4 साल के सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई है। प्रेस की आजादी के मामले में भारत की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है, वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स (आरएसएफ इंडेक्स-2018) में भारत को 180 देशों में 138वां स्थान मिला है. यह 2017 के मुकाबले दो स्थान नीचे है. देश को 2015 में 136वां, 2016 में 133वां स्थान मिला था. लेकिन 2017 में तीन स्थान की गिरावट के साथ भारत को 136वां स्थान मिला था।
इसके लिए मोदी सरकार में कट्टर राष्ट्रवादियों द्वारा पत्रकारों को बदनाम करने के ऑनलाइन अभियान चलाने के अलावा उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं और गौरी लंकेश सहित तीन पत्रकारों की हत्या भी कारण बताया गया है।
5. मोदी राज में भारत विश्व में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारों का देश बन चुका है। भारत की 11 फीसदी आबादी लगभग 12 करोड़ लोग बेराजगार हैं, चार साल से 550 नौकरियों रोज खत्म हो रही हैं, और इन पिछले चार सालों में महिलाओं की बेराजगारी दर 8.7 तक पहुंच गई है।
6. मोदी राज में एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों में भारत का स्थान सबसे ऊपर है, जबकि पाकिस्तान हमसे कम भ्रष्ट है।
7. पिछले 45 सालों की तुलना में साल 2017-18 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी हो गई है।
8. मोदी राज में दुनिया के खुशहाल देशों की रैंकिंग में भारत पाकिस्तान जैसे देश से भी पिछड़ गया है।
9.‘Inclusive Development Index’ (समेकित विकास सूचकांक) में भारत को 62वां स्थान मिला है, इस मामले में भी भारत पाकिस्तान और चीन से पिछड़ गया है।
10. भारत ‘EIU Democracy Index‘ वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक’ में पिछड़कर 42वें पायदान पर आ गया है, यानी चार मापदंडों- राजनीतिक संस्कृति, सरकार का कामकाज, राजनीतिक भागीदारी और नागरिक स्वतंत्रता पर अच्छा स्कोर करने में कामयाब नहीं हुआ है।
11.भारत में हिंदू राष्ट्रवादी समूहों की हिंसा के कारण अल्पसंख्यक भयभीत, हिंसा के मामले बढे।
12. मोदी राज में भारत महिलाओं के लिए विश्व में सबसे असुरक्षित देश बना. अफगानिस्तान, सीरिया की रैंकिंग भारत से बेहतर है।
13. विश्व में डूबे कर्ज के मामले में भारत टॉप तीन देशों में शामिल, ग्रीस, इटली के बाद भारत का नंबर।
अब दूर अंतरिक्ष में जाकर उपग्रह मार गिरा देने और इस मामले में विश्व की चौथी महाशक्ति बनने पर तालियां बजाएं और इसका श्रेय मोदी जी को दें तो फिर क्या इसी मोदी राज में पिछले पांच सालों में उपरोक्त 13 जन जुड़ाव के मुद्दों पर विश्व में भारत की बदतर हालत पर पिछले पांच सालों की तरह नेहरू जी को ही कोसें ?
जो देश विश्व में भुखमरी के मामले में पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका से भी पीछे हो, जो देश स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बांग्लादेश और भूटान से भी पीछे हो, जो देश सबसे ज़्यादा बेरोज़गारों का देश बन चुका हो, जो देश भ्रष्टाचार में एशिया महाद्वीप के टॉप 5 भ्रष्ट देशों टॉप पर हो।
जो देश दुनिया के खुशहाल देशों की रैंकिंग में पाकिस्तान से भी पिछड़ गया हो, जो देश महिला सुरक्षा के मामले में विश्व में सबसे असुरक्षित देश घोषित हो चुका हो, जिस देश का युवा 45 साल की सबसे बड़ी बेरोज़गारी से कराह रहा हो, जिस देश में हर साल 12,000 से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं, जिस देश में साल 2018 में एक करोड़ से ज्यादा नौकरियां खत्म हो गई हों, उस देश की जनता अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बनने पर कैसे और क्यों खुश होगी ?
ये देश वास्तव में विश्वगुरु या महाशक्ति तभी बन पायेगा जब उपरोक्त जन जुड़ाव या जन सम्बंधित मौलिक मुद्दों और आवश्यकताओं के मामले में विश्व में अपनी रैंकिंग सुधारेगा, बाक़ी जिसे देश और जनता से जुड़े इन जवलंत और मौलिक मुद्दों से बिलकुल भी कोई लेना देना नहीं है वो तालियां बजा सकता है, चीयर लीडर बनकर नाच सकता है।
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