दुनिया की मशहूर कंप्यूटर निर्माता कम्पनी HP की C.E.O कार्ली फ़्लोरिन ने 26 सितम्बर 2001 को बोर्ड मीटिंग के दौरान कंपनी रणनीति पर एक भाषण दिया था, जिसके अंत में उन्होंने प्राचीन मुस्लिम सभ्यताओं द्वारा किये गए विज्ञान, खगोल, स्थापत्य कला, चिकित्सा और गणित सहित कई विषयों के विकास, विस्तार, संरक्षण और आधुनिक जगत को हस्तांतरित किये गए प्राचीन मुस्लिम सभ्यता के योगदान पर रौशनी डाली थी।
उक्त भाषण के उस हिस्से का हिंदी रूपांतरण नीचे दिया गया है, ये महत्वपूर्ण है कि ये भाषण अमेरिका के ट्विन टावर पर हमले (11 सितम्बर 2001) के कुछ दिन बाद हुई मीटिंग का ही है जिस समय पूरा अमेरिका मुस्लिम विरोध के गुस्से से भरा हुआ था।
उनके उक्त भाषण के अंतिम कुछ पैराग्राफ्स का हिंदी अनुवाद इस तरह से है :-
“दुनिया में एक महान और बड़ी सभ्यता गुजरी हैं।
वे समर्थ थे इस सागर को उस सागर से जोड़कर एक महाद्वीपीय सुपर राज्य बनाने में, उत्तर से दक्षिण, रेगिस्तान से बर्फ, समतल से पहाड़ो तक उनके राज्य के भीतर विभिन्न जातियों और जातीय मूल के करोडो लोगों रहते थे।
उनकी भाषा दुनिया में एक वैश्विक भाषा बन गई थी जो कई भूमि के लोगों के बीच संवाद का पुल बन गई थी। उनकी सेनाओं में कई देशों के लोगों के थे और उनकी सैन्य सुरक्षा, शांति और समृद्धि का प्रतिक थी। इस सभ्यता में कारोबार की पहुंच लैटिन अमेरिका से चीन और उसके बीच हर जगह थी।
इस सभ्यता में आविष्कार को सबसे अधिक प्रेरित किया गया था। इसके आर्किटेक्ट ने ही इमारतों कि डिजाइन में गुरुत्वाकर्षण को ध्यान रखा । इसके गणितज्ञों ने बीजगणित और कंप्यूटर के निर्माण के लिए सक्षम एल्गोरिदम और एन्क्रिप्शन का सृजन किया। इसके ने डॉक्टरों मानव शरीर की जांच की और रोग के लिए नए नए इलाज ढूढे। इसके खगोलविदों ने सितारों नामित आकाश में देखा, और अंतरिक्ष यात्रा और अन्वेषण के लिए मार्ग प्रशस्त किया।
उनके लेखकों ने हजारो कहानियां बनाई, साहस, रोमांस और जादू की कहानियां लिखी, प्यार की कविताये लिखी वो उस समय ऐसी बातों के बारे में सोचते थे जब इनके बारे में सोचने को लेकर दुनिया भय में डूबी हुई थी।
दूसरे देशो के लोग जब अपने विचारों को प्रदशित करने से डरते थे, उन्होंने उनके विचारो को आगे बढाया और उन्हें जीवित रखा। जब सेंसर ने पिछले सभ्यताओं के ज्ञान का सफाया करने की धमकी तो उस ज्ञान को इस सभ्यता ने जिंदा रखा और दूसरों तक पहुँचाया।
आज की आधुनिक सभ्यता जिन चीजों को इस्तेमाल कर रही उनमे बहुत सी उनकी ही देन हैं, मैं आज जिस सभ्यता के बारे में बात कर रही हूँ वो हैं सन 800 वर्ष से 1600 तक रही इस्लामी सभ्यता, उस सभ्यता में शामिल था ऑटोमन का तुर्क साम्राज्य और बगदाद, दमिश्क और काहिरा की अदालते, और सुलेमान जैसे शानदार प्रबुद्ध शासकों का शासन।
आज हम उस सभ्यता के एहसानों से अनजान हैं, हालांकि इस सभ्यता की बहुत सी देने हमारी विरासत का एक हिस्सा हैं। प्रौद्योगिकी उद्योग अरब गणितज्ञों के योगदान के मुद्दे के बिना अस्तित्व में ही नहीं होता। रूमी जैसे सूफी कवि-दार्शनिकों ने हमारे विचारो को चुनौती दी। सुलेमान जैसे नेताओं ने सहिष्णुता और नागरिक नेतृत्व के हमारे विचार के लिए योगदान दिया।
और शायद हम उनके उदाहरण से ये सबक सीख सकते हैं की उस सभ्यता में प्रतिभा पर आधारित नेतृत्व था न की विरासत पर । ये उनके नेतर्त्व की खूबी थी विविध जनसंख्या विभिन्न धर्मो ईसाई, इस्लामी और यहूदी परंपराओं को शामिल कर उन सबकी पूर्ण क्षमताओं का पूर्ण सदुपयोग किया।
हमे उस सभ्यता से नेतर्त्व के गुण सीखने की जरूरत हैं जिसने विविधताओ को अपना हथियार बनाया न की कमजोरी।”
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कार्ली फ्लोरीन इस्लाम के प्रति अपने नज़रिये को लेकर अमरीकी दक्षिणपंथियों के निशाने पर आती रही है, सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ ज़बरदस्त अभियान चलाये गए है, दुष्प्रचार किया गया है, आप उनके बारे में सर्च करेंगे तो ये बात साफ़ नज़र आएगी।
(कार्ली फ्लोरीन के इस भाषण को सोशल मीडिया पर कई बार पहले भी शेयर किया जा चुका है)
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