रमज़ान में जब जब दुनिया के मुसलमान सेहरी कर इबादत की तैयारी कर रहे थे उस वक़्त ग़ाज़ा पट्टी में इज़राइली विमानों ने शुक्रवार तड़के अस्पताल के पास बमबारी की जिसके चलते अस्पताल और आस पास की इमारतों को नुकसान पहुंचा है, फ़िलहाल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। गाजा में तनाव का नवीनतम दौर तब शुरू हुआ जब इज़राइली पुलिस ने मंगलवार को यरुशलम की अल-अक्सा मस्जिद में नमाजियों पर हमला किया, जिसकी अरब और अंतरराष्ट्रीय समुदायों ने व्यापक निंदा की।
इस हमले पर इज़राइल का कहना है कि कि उसने हमास समूह से जुड़े हथियार उत्पादन स्थलों और भूमिगत सुरंगों पर हमला किया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय (एमओएच) ने इजरायली हवाई हमलों की निंदा की “जिससे गाजा शहर में अस्पताल को आंशिक क्षति हुई और अस्पताल में भर्ती बच्चों को भयभीत कर दिया”। मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “यह पहली बार नहीं है कि स्वास्थ्य सुविधाओं को निशाना बनाया गया है और यह अस्वीकार्य है।”
“ये हमले न केवल रोगियों के जीवन को जोखिम में डालते हैं बल्कि स्वास्थ्य कर्मियों, रोगियों और उनके परिवारों के बीच भय की भावना भी पैदा करते हैं।” एमओएच ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्वास्थ्य सुविधाओं पर इन हमलों के खिलाफ कार्रवाई करने और घिरी हुई गाजा पट्टी में स्वास्थ्य सुविधाओं और कर्मचारियों की सुरक्षा के उपाय करने का आग्रह किया।
मजदी अबू नीमा और उनका परिवार गाजा शहर के अल तुफाह जिले में अपने घर में सहरी के लिए सुबह 3:00 बजे उठे ही थे कि अचानक से इज़राइली युद्धक विमानों से बमबारी होने लगी, jo उनके घर के बगल की खाली जमीन पर हमला कर रहे थे, जिससे उनके घर को भारी नुकसान हुआ और परिवार के सदस्यों में डर पैदा हो गया।
घर के मुखिया अबू नीमा ने अल जज़ीरा को बताया “हम डर गए थे। तुरंत, मैं अपनी तीन बेटियों के बेडरूम में गया और अपनी दो साल की बेटी को खिड़की के टूटे कांच के टुकड़ों से ढंका पाया, वो धमाका किसी भूकंप की तरह था। “मैं उसके झटके, डर, उसके दिल की धड़कन को नहीं भूल सकता, घर में सभी लोग डर कर चीख रहे थे।
“अब तक, मुझे समझ नहीं आया कि उन्होंने हमारे रिहाइशी और अस्पताल क्षेत्र में बमबारी क्यों की ? बिना किसी औचित्य के एक खाली जमीन पर बमबारी कैसे की जा सकती है ? यहाँ कोई प्रतिरोध सेनानी या कोई सैन्य स्थल नहीं है, यह आवासीय भवनों के बीच की एक खाली भूमि है।
44 वर्षीय ने अबू नीमा ने अल जज़ीरा को बताया कि इस घर खरीदने की कोशिश करते समय उन्हें किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। वो कहते हैं कि “मैं एक साल से भी कम समय पहले इस घर में आया था और किश्तें अभी भी जमा हो रही हैं। अभी दो दिन पहले ही हम ईद की तैयारी के लिए सोफे का सेट लेकर आए थे, लेकिन अब न ईद की खुशी है और न ही किसी जश्न की।
परिवार के 26 वर्षीय सबसे बड़े बेटे मोहननाद अबू नीमा ने अल जज़ीरा को बताया कि जब उन्होंने पहला हमला सुना, तो वह अपनी कार की जाँच करने के लिए नीचे की ओर दौड़े। “जैसे ही मैं सीढ़ियों पर पहुँचा, दूसरा, तीसरा, चौथा और पाँचवाँ हमला हुआ जिससे पूरी ज़मीन कंपनी लगी और धूल ही धूल हो गई।
” मेरे माता पिता धमाकों के बीच रोते हुए मुझे पुकार रहे थे, उन्हें लग रहा था कि मैं बमबारी में कहीं मारा तो नहीं गया।” हालांकि परिवार में कोई भी घायल नहीं हुआ था, मोहननाद को छह महीने पहले खरीदी गई अपनी कार के खो जाने पर काफी दुख हुआ। वो कहते हैं “मैंने इसे खरीदने के लिए दिन-रात काम करने के बाद अपनी सारी बचत इसमें लगा दी। यह मेरी आय का एकमात्र स्रोत था। गाजा पट्टी में हालात बहुत ख़राब हैं। इज़राइली बमबारी se हमारे पास जो कुछ बचा था उसे नष्ट कर दिया, यहां का जीवन सचमुच नर्क बन गया है।”
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