आज से साढ़े चार साल पहले तक स्कूल के जो बच्चे लंच में साथ बैठकर अपने टिफन शेयर कर साथ खाना खाते थे, आज के दौर में वही एक दूसरे के लिए हिन्दू-मुस्लिम हो गए हैं, प्राइमरी स्कूल तक के स्टूडेंट्स बच्चे बच्चियां मुस्लिम साथियों को नफरत की नज़रों से देखने लगे हैं उन्हें धर्म के आधार पर निशाने पर लिया जाने लगा है, उन्हें पाकिस्तान चले जाने के लिए कहा जाने लगा है, और ये सब हुआ है दिन रात टीवी पर हिन्दू मुस्लिम के बीच ज़हर खुरानी करते न्यूज़ चैनल्स और उनके एंकर्स की बदौलत।
पैसे लेकर हिंदूवादी एजेंडे के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार ये न्यूज़ चैनल्स कोबरा पोस्ट के स्टिंग ‘ऑपरेशन 136 पार्ट – 2 ‘ में नंगे भी हो चुके हैं, मगर इसके बाद भी ये गोदी मीडिया हिन्दू मुस्लिम के बीच ज़हर बोने के तयशुदा एजेंडे पर अटल है।
कोबरा पोस्ट के इस ऑपरेशन ‘136’ पार्ट -2’ के बारे में The Wire पर भी पढ़ सकते हैं।
और इस ज़हर का असर बड़े पैमाने पर नज़र भी आने लगा है, यहाँ तक कि प्राइमरी स्कूल तक के बच्चे इस ज़हर का शिकार होने लगे हैं, 15 फ़रवरी यानि पुलवामा हमले के एक दिन बाद, एक स्कूल में बारहवीं क्लास की मुस्लिम छात्रा और उसके छोटे भाई को कथित तौर पर दिल्ली में उनके स्कूल के लड़कों के ग्रुप ने घेर लिया, और “पाकिस्तान मुर्दाबाद, हिंदुस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाने को कहा। बच्चे डरकर भाग आये, वो समझ न पाए कि उनके साथ ऐसा किसलिए किया गया।
The Print के अनुसार इस तरह की नफरत पहले भी फैलाई गयी थी मगर समय के साथ वो कम हो गयी थी, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बढ़ते तनाव के मद्देनजर, हाल ही में मुस्लिम बच्चों को धार्मिक आधार पर निशाने पर लेने और धमकाने के मामले फिर से बढे हैं जिससे उनकी माताएं चिंतित हैं।
‘ओसामा ’, ‘बगदादी’,’ मुल्ला ’, पाकिस्तान जाओ’… ये कुछ ऐसे शब्द हैं, जो प्राथमिक स्कूलों के स्टूडेंट्स अपने मुस्लिम साथियों को कहने लगे हैं, इस तरह की बढ़ती शिकायतों ने अभिभावकों को अत्यधिक चिंता में डाल दिया है। Mid Day के अनुसार जब ये बच्चे घर आये तो अपने माता पिता को ये बात बताई।
बच्चों की माँ ने कहा कि “उन्हें जिस बात का अंदेशा था वो सच हो गई है, हमें निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि हम मुस्लिम हैं।” बच्चों की माँ ने अपने साथियों और अभिभावकों से इस मामले में बात की, सबने निर्णय लिया कि इस घटना को सोशल मीडिया पर रखना चाहिए।
उनमें से अधिकांश मुस्लिम बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि मुस्लिम बच्चों के साथ हुए इस भेदभाव और उत्पीड़न के लिए देश के घृणा और उन्माद फैलाने वाले न्यूज़ चैनल्स ज़िम्मेदार हैं।
गुरुवार को नोएडा निवासी प्रसिद्द लेखिका नाज़िया एरम (जिन्होंने पिछले साल बेस्टसेलर मदरिंग ए मुस्लिम (जुग्गोरनॉट बुक्स) प्रकाशित की थी) ने स्कूल में मुस्लिम बच्चों के साथ हुए भेदभाव और प्रताड़ना के बारे में कई उन मुस्लिम बच्चों के माता-पिता को साथ लिया जिनके बच्चे मुस्लिम विरोधी प्रताड़ना और भेदभाव के शिकार हुए हैं, और इस मामले को फेसबुक और टवीटर पर लोगों के सामने रखा।
नाज़िया एरम ने टवीट किया कि “जानकारी मिल रही है कि मुस्लिम बच्चों के साथ भेदभाव बढ़ा है, उन्हें ‘पाकिस्तान जाने’ के लिए कहा जा रहा है। नौकरानियों से लेकर दोस्तों तक .. हर कोई इस तरह के मामलों की शिकायत कर रहा है।
हम सब इस हफ्ते डरे हुए थे .. बच्चे भी डरे हुए हैं। कृपया उनके साथ बोलें।
टीवी चैनल्स लानत है तुम पर।”
Only a channel that does not get into hysterical war mongering could have taken up the issue of the direct effect on kids. Thank you @Nidhi and NDTV for taking this up on your prime time show. More power to you. https://t.co/08SPKLp2vx
— Nazia Erum (@nazia_e) March 4, 2019
नाज़िया एरम ने कहा कि “इस नफरत को बढ़ावा देने वाले यही ‘राष्ट्रवादी टीवी चैनल’ हैं और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हो रहे हैं।”
वहीँ एक दूसरी माँ ने शिकायत की कि “मेरी छोटी बेटी तब खुश हो गई थी जब उसके एक सहपाठी ने कहा था कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों को मार दिया है। तभी उसकी सहेलियों ने उस बच्ची से कहा, ‘तुम सब एक समान हो, तुम सभी पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते?
यहाँ तक कि पांच साल के बच्चे से पूछा जाता है कि क्या तुम मुस्लिम हो ? एक अन्य मुस्लिम माँ ने सोशल मीडिया पर कहा कि एक दिन उसकी बच्ची ने अपना नाम बदलने के लिए कहा, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि स्कूल में उसके नाम से उसके मज़हब को पहचान कर निशाने पर ले या परेशान करे।
सोशल मीडिया पर ये मुद्दा लोग शेयर कर रहे हैं, सागरिका घोष ने मिड डे में खबर छपे अख़बार का फोटो टवीट करते हुए इन उन्मादी न्यूज़ चैनल्स के एंकर्स के लिए कहा है कि “मैं हैरान हूँ कि ये न्यूज़ एंकर्स इस तरह की हेड लाइन देख कर क्या महसूस करते होंगे, क्या वो अपने आपको ये कहते हुए संतुष्ट होते होंगे कि मिशन पूरा हुआ, आज हमने कुछ बच्चों को रोने पर मजबूर किया ?
Wonder what the news anchors feel when they see headlines like these. Do they smugly tell themselves “mission accomplished today I made some kids cry?” pic.twitter.com/78A2jjk4I2
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) March 3, 2019
इसी मुद्दे पर पीड़ित बच्चों के अभिभावकों का साथ देते हुए The Print के संस्थापक और पत्रकार शेखर गुप्ता ने भी टवीट करते हुए लिखा है कि दुखद और शर्मनाक !!
Sobering, and embarrassing reading this:
Muslim school kids called names and told to ‘go to Pakistan’, mothers blame hate generated by prime time TV
Amrita Nayak Dutta @AmritaNayak3 reports: https://t.co/2Bc2MzlNso
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) March 3, 2019
चीखते चिल्लाते और नफरत उन्माद का ज़हर परोसते ये न्यूज़ चैनल्स और इनके एंकर्स में इतनी हिम्मत है कि एक बार इन भयभीत मुस्लिम बच्चों को बता सकें कि उन्हें पाकिस्तान भेजे जाने की वजह क्या है ? और उन बच्चों की माँओं से जाकर आँख से आँख मिलाकर बात कर सकें, और उनके सवालों के जवाब दे सकें ?
आज़ादी के बाद ये पहला मौक़ा है जब देश का मीडिया सुपारी लेकर सुनियोजित एजेंडे के तहत इस हद तक गिर कर नफरत और उन्माद का ज़हर बेख़ौफ़ होकर फैला रहा है, छोटे छोटे बच्चे बच्चियों के दिमागों में ये ज़हर ठूंसा जा रहा है, नफरत की खुराक लेते यही बच्चे जब एक नागरिक के तौर पर बड़े होंगे तो किस तरह के समाज का निर्माण करेंगे, किस तरह के राष्ट्र का निर्माण करेंगे ?
शायर सूरज राय “सूरज” ने कभी हमारी इसी नेक्स्ट जेनेरशन (नस्ल-ए-कल) के लिए चार लाईनें लिखी थीं वो याद आ गयीं :-
प्यार पे मैं मरूँ और प्यार पे तुम भी मरो ,
फूल-सा मैं भी झरूँ और फूल-से तुम भी झरो,
इक वसीयत नस्ल-ए-कल के नाम लिख एहसास की,
दस्तख़त मैं भी करूँ और दस्तख़त तुम भी करो ।
सोचिये ज़रूर कि हम अपनी नस्लों को कैसा हिंदुस्तान विरासत में देना चाहते हैं।
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