केंद्र और राज्य कर्मचारियों से जुडी काफी समय से एक चौंकाने वाली अहम् खबर कई बार पटल पर आयी और गायब कर दी गयी, वो ये कि अब भविष्य में शायद ही कोई वेतन आयोग बने, इसकी सुगबुगाहट 2015 में ही शुरू हो गयी थी, नवभारत टाइम्स ने 22 नवम्बर 2015 को इसी विषय में एक खबर प्रकाशित करते हुए प्रश्न खड़ा किया था कि ‘ …तो अब नहीं बनेगा वेतन आयोग ?’
इस खबर में बताया गया था कि ‘केंद्रीय कर्मचारियों के लिए हर दस साल पर नया वेतनमान देने की परंपरा सातवें वेतन आयोग के साथ समाप्त हो सकती है। वेतन आयोग ने अपनी जो रिपोर्ट सरकार को सौंपी है इसमें ऐसी सिफारिश भी की गई है। आयोग के अनुसार हर दस साल पर कर्मचारियों के वेतनमान को नए सिरे से बनाने की परंपरा की जगह इसमें नियमित अंतराल पर बदलाव किया जाना चाहिए।’
इसके बाद प्रभात खबर ने 8 सितम्बर 2017 को इसी विषय पर खबर प्रकाशित करते हुए शीर्षक दिया था कि ‘अब नहीं होगा वेतन आयोग, हर साल बढ़ेगी केंद्रीय कर्मचारियों की सैलेरी।’ आगे इस खबर में बताया गया था कि ‘ अंदरखाने से चल रही खबरों के मुताबिक अब वेतन आयोग गठित नहीं किया जायेगा। सातवां वेतन आयोग अपनी तरह का अंतिम वेतन आयोग होगा, वित्त मंत्रालय ने पहले ही इस मामले में अपना रूख साफ कर दिया है। सातवें वेतन आयोग के प्रमुख जस्टिस ए.के. माथुर ने बताया कि सरकार को हर दस साल में वेतन आयोग का गठन कर वेतन बढ़ोतरी नहीं करनी चाहिए। ये ही वजह है कि सरकार अब इस फॉर्मूले पर विचार कर रही है. इस बीच वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने भी इस बारे में बड़ा बयान दिया है. उनका कहना है कि मंत्रालय ने इस बारे में राज्य सरकारों से राय मांगी है।’
इसी तरह की खबर Timesnownews ने 14 जनवरी 2018 को प्रकाशित की थी, यानि 2015 से लेकर 2018 तक भावी वेतन आयोग को खत्म करने पर मंथन चलता रहा, मगर ये खबर अन्य मुद्दों के चलते कहीं दबी रह गयी।
उपरोक्त तीनों भिन्न भिन्न ख़बरों से ये निष्कर्ष तो निकलता ही है कि ये तय सा लग रहा है कि सातवां वेतन आयोग अपनी तरह का अंतिम वेतन आयोग था। शायद सरकार या वित्त मत्रालय इसकी गाइड लाइन बना चुका है और कभी भी सही समय देखकर वेतन आयोग खत्म करने की घोषणा कर दी जाएगी।
इसके बाद एक खबर और है जिसपर बवाल भी खड़ा हो चुका है वो ये कि केन्द्रीय विद्यालय संगठन के सभी कर्मचारियों को मृत्यु और सेवानिवृत्ति ग्रेच्युटी, अनंतिम पारिवारिक पेंशन सुविधा बंद कर दी गयी है। JagranJosh के अनुसार मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय (HRD) ने राष्ट्रीय पेंशन योजना के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को 30 अप्रैल 2019 से इस लाभ से वंचित करने का आदेश जारी किया है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के हवाले से 22 अप्रैल को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय विद्यालय संगठन के नेशनल पेंशन स्कीम धारक शिक्षकों को रिटायरमेंट और मृत्यु के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी समेत प्रोविजनल फैमिली पेंशन को रोका जा रहा है। पत्र में बताया गया है कि सीसीएस (Pansion) नियमावली 1972 के तहत KVS के नेशनल पेंशन स्कीम धारकों को यह लाभ नहीं मिलेंगे। यह फैसला 30 अप्रैल 2019 से अगले आदेश तक लागू रहेगा।

सेंट्रल स्कूल प्रगतिशील शिक्षक एसोसिएशन के राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी प्रियव्रत चिखारा के मुताबिक केवीएस के सभी 25 रीजन और इनके क्षेत्रीय कार्यालयों में 16 मई को यह पत्र पहुंचा है। पत्र में लिखा है कि वह कर्मचारी जो नेशनल पेंशन स्कीम में आते हैं उन्हें अब रिटायरमेंट और डेथ के बाद मिलने वाली ग्रेच्युटी को रोक दिया गया है।
सरकार के इस आदेश से शिक्षक संगठनों में हड़कंप मच गया है, अखिल भारतीय केंद्रीय विद्यालय शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि वापस नहीं लिया तो शिक्षक आंदोलन पर उतर आएंगे।