बहराइच जेल क़ैदियों की मौतों के मामले में सुर्ख़ियों में बनी रही है, किसी भी अख़बार पोर्टल को उठा कर देखें तो बहराइच की जेल में क़ैदियों की संदिग्ध मौतों की ख़बरें मिलेंगी, 21 दिसंबर 2018 को दैनिक जागरण ने एक खबर प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था ‘बहराइच जिला कारागार में बंदी की मौत, इस साल छह कैदी जान से गए’, इस खबर में एक क़ैदी ननकू की संदिग्ध मौत का ज़िक्र था जो कि बहराइच के बौंडी इलाके के शुक्लपुरवा का निवासी था।
इससे और पीछे जाएँ तो भी बहराइच जिला जेल में बंदियों की संदिग्ध हालात में मौत की ख़बरें मिलेंगी, 4 जुलाई 2015 को अमर उजाल में भी इसी बाबत खबर प्रकाशित हुई थी जिसमें जरवलरोड थाना क्षेत्र अंतर्गत जरवल कस्बा निवासी तारिक (28) पुत्र शफीक की जेल में संदिग्ध हालत में मौत होने की खबर छपी है, तारिक ने चोरी के आरोप में 4 जून’ 2015 को न्यायालय में आत्मसमर्पण किया था। न्यायालय के आदेश पर उसे बहराइच जिला जेल भेज दिया गया था।
13 फ़रवरी 2019 को प्रतिष्ठित नवभारत टाइम्स ने बहराइच जिला जेल में बंदियों की संदिग्ध हालात में हुई मौतों पर विस्तार से लेख लिखा है, इस लेख में केवल साल 2018 में ही बहराइच जेल में 7 क़ैदियों की मौतों को सिलसिलेवार ढंग से सूचीबद्ध कर जेल प्रशासन पर सवाल खड़े किये हैं।
साल 2018 में बहराइच जेल में हुई 7 बंदियों की मौतों का विवरण :-
1. 13 फरवरी 2019 को विश्वेश्वरगंज थाना क्षेत्र के गांगूदेवर निवासी राजू सिंह (35) पुत्र भूलन सिंह की जेल में मौत हो गई। 11 मई 2017 को राजू को गैर इरादतन हत्या के मामले में दस वर्ष के सश्रम कारावास की सजा न्यायालय ने सुनाई थी।
2. 21 दिसंबर 2018 बौंडी थाना क्षेत्र के शुकुलपुरवा निवासी ननकू की जिला हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने 20 जून 2018 को हत्या के केस में ननकू को जिला जेल में बंद किया था। उसे न्यायालय ने 10 वर्ष की सजा सुनाई थी।
3. 17 अक्टूबर 2018 को कोतवाली नानपारा के नानपारा देहाती के नील कोठी निवासी कन्हैया लाल की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। पुलिस ने एनडीपीएस के मामले में उस पर केस दर्ज कर जेल में निरूद्ध किया था।
4. 14 सितंबर 2018 को लखीमपुर खीरी जिले के मोहम्मदी थाना क्षेत्र के मूढ़ा निजाम निवासी युसूफ की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी।
5. 10 सितम्बर 2018 को कोतवाली देहात थाना क्षेत्र के नई बस्ती गजपतिपुर निवासी शिवकुमारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
6. 27 अगस्त 2018 को बाराबंकी जिले के सफदरगंज थाना क्षेत्र के प्यारेपुर गांव निवासी रघुनंदन को पुलिस ने 30 जुलाई 2018 को चोरी के मामले में जेल में बंद किया था। संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी 27 अगस्त को मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों में उच्चस्तरीय जांच को लेकर पोस्टमॉर्टम हाउस के बाहर प्रदर्शन भी किया था।
7. 18 जुलाई 2018 को जरवलरोड थाना क्षेत्र के परसा नहर पट्टी निवासी मंशाराम को 29 मई 2018 को रेप के केस में पुलिस ने बंद किया था। संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी 18 जुलाई को मौत हो गई थी। जेल प्रशासन ने सांस फूलने से मौत होने की बात कही थी।
इसके बाद 16 सितम्बर 2018 का राजस्थान पत्रिका में भी बहराइच जिला जेल में होने वाली क़ैदियों की संदिग्ध मौतों पर खबर प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था ‘बहराइच जिला जेल में एक और बंदी की मृत्यु, 3 माह में 4 मौतों से मचा हड़कंप’, आगे राजस्थान पत्रिका लिखता है कि ‘ बहराइच का कारागार बना बंदियों का क़त्लगाह, 3 माह में 4 क़ैदियों की मौत बनी गवाह’, इस खबर में जनपद लखीमपुर खीरी के थाना मोहम्मदी ग्राम मूडा निजाम निवासी युसूफ की संदिग्ध मौत का विवरण है।
बहराइच जिला जेल में हुई आजीवन कारावास की सजा काट रहे इसी क़ैदी युसूफ की मौत पर 19 नवम्बर 2018 को एक न्यूज़ पोर्टल newstrack.com ने भी खबर प्रकाशित की है जिसका शीर्षक है ‘कैदी की जेल में कैसे हुई मौत, कोर्ट ने स्टेट मेडिको-लीगल एक्सपर्ट की मांगी राय’, इस खबर में मृतक युसूफ की पोस्टमार्टम सम्बन्धी खबर को विस्तार से लिखा है।
newstrack.com की इस खबर में बताया गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने स्टेट मेडिको-लीगल एक्सपर्ट को बहराइच जेल में बंद एक कैदी मोहम्मद यूसुफ की कथित संदिग्ध मौत के बाद हुए उसके पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के देखकर उसकी मौत के कारणों के बावत रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। संदिग्ध परिस्थितियों में हुई इस कैदी की मौत के मसले पर सुनवाई के दौरान हाजिर हुए बहराइच एसपी की ही राय के बाद शव को कब्र से बाहर निकालने पर निर्णय लेने से पहले कोर्ट ने मेडिको-लीगल एक्सपर्ट को पोस्टमार्टम की विडियोग्राफी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, इन्क्वेस्ट रिपोर्ट व शव के फोटोग्राफ्स भेजने के आदेश दिए हैं और इन सामग्रियों के आधार पर एक्सपर्ट को कैदी के मौत के कारण पर रिपोर्ट देनी है।
आगे इस खबर में बताया गया है कि यह आदेश जस्टिस डीके अरोड़ा व जस्टिस राजन रॉय की खंडपीठ ने मृतक के भतीजे मेराज की याचिका पर दिए। याची का कहना है कि उसका चाचा मोहम्मद यूसुफ हत्या के आरोप में दोषसिद्ध होने के बाद सजा काट रहा था। इस दौरान उसकी जेल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। शव के कुछ फोटोग्राफ पेश करते हुए कहा गया कि मृतक के गले पर दिख रहे निशान का पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जिक्र नहीं है।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि इन्क्वेस्ट रिपोर्ट में गले पर निशान व चेहरे पर कुछ चोटों का भी जिक्र है जबकि ये बातें पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं हैं। इस पर कोर्ट ने बहराइच के एसपी, जेल सुपरिंटेंडेंट, सीएमओ व पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को तलब कर लिया।
सूत्रों के अनुसार बहराइच जेल में मोहम्मद यूसुफ की संदिग्ध मौत मामले में ताज़ा अपडेट ये है कि युसूफ के भतीजे मेराज ने मेराज ने लखनऊ हाइकोर्ट में अपने चाचा के शरीर के दोबारा पोस्टमार्टम कराये जाने की मांग करते हुए एक याचिका के जरिये अधिवक्ता अधिवक्ता मोहम्मद अज़ीज़ मंसूरी के द्वारा याचिका दाखिल की जिस में मामले के तथ्यों व अधिवक्ता द्वारा बहस किये गए पॉइंट्स के बाद न्यायलय ने जेलर, सी एम् ओ, पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों को मय पोस्टमार्टम की विडिओग्राफी के तथा सम्बंधित दस्तावेजों के साथ कोर्ट में हाज़िर होने को कहा।
पोस्टमार्टम की विडियोग्राफी दो जजेज की बेंच ने खुद भी देखी जिसमें पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करने वाले ने जानबूझकर मृतक शरीर के गर्दन की चोटों पर कैमरा ना ले जाकर के बूझकर कैमरे से उन चोटों को छिपाया गया जो पंचनामे और फोटोग्राफ में है।
कुल मिलकर बहराइच जिला जेल में लगातार होती क़ैदियों की संदिग्ध मौतों से अख़बार और पोर्टल्स भरे पड़े हैं, और साथ ही सवाल भी उठ रहे हैं कि बहराइच जिला जेल की सलाखों के पीछे ऐसा क्या चल रहा है जिसकी वजह से लगातार क़ैदियों की संदिग्ध मौतें हो रही हैं। किसी भी जेल में केवल एक साल में ही 7 क़ैदियों की संदिग्ध मौत होना खुद में ही संदिग्ध मामला बन जाता है।
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