दिल्ली में 2005 में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में पटियाला हाउस कोर्ट ने फ़रवरी 2017 को तीन में से 2 आरोपियों मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजिल को 12 साल बाद बा इज़्ज़त (?) बरी कर दिया था और एक की सजा पूरी मानी गई थी।
कोर्ट ने तारिक अहमद डार को गैरकानूनी कामों में शामिल होने के लिए 10 साल की सजा सुनाई थी मगर क्योंकि वो पहले ही 11 साल से जेल में रहा इसलिए उसकी सजा भी पूरी मानी गई और उसे भी रिहा कर दिया गया था। एडिशनल सेशन जज रीतेश सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले की तारीख 16 फरवरी तय की थी।
2008 में कोर्ट ने तारिक अहमद डार,मोहम्मद हुसैन फाजिल और माेहम्मद रफीक शाह डार पर आरोप तय किए थे। पुलिस ने चार्जशीट में उन पर देश के खिलाफ वॉर छेड़ने, साजिश रचने, हथियार जुटाने, हत्या और हत्या की कोशिश के आरोप लगाए थे।
तारिक अहमद डार को हमले का मास्टरमाइंड बताया गया था, पुलिस का दावा था कि डार और बाकी आरोपी लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में थे। इस मामले में 250 से ज्यादा गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे।
दीपावली के ठीक एक दिन पहले हुई इस घटना में 60 लोगों की मौत हुई थी,जबकि 100 से ज्यादा घायल हुए थे मगर कोर्ट ने उस ब्लास्ट के लिए किसी को दोषी नहीं माना, और तीन मुसलमान अपनी ज़िन्दगी के 11 साल बिना किसी दोष के जेल में काटकर जब बाहर आए तो उनकी पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक ज़िन्दगी तबाह हो चुकी थी।
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