स्पेशल स्टोरी – वाया : आजतक.
मोहम्मद अख्लाक से लेकर रकबर खान तक.. पिछले 4 सालों में मॉब लिंचिंग के 134 मामले हो चुके हैं और एक वेबसाइट India Spend के मुताबिक इन मामलों में 2015 से अब तक 68 लोगों की जानें जा चुकी हैं. इनमें दलितों के साथ हुए अत्याचार भी शामिल हैं।
पिछले आठ वर्षों में हुए 63 हमलों में से 61 (96.8 फीसदी) मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद यानी वर्ष 2014-2017 के बीच हुए हैं। इस तरह के हमले वर्ष 2016 में सबसे ज्यादा हुए। वर्ष 2016 में हमलों की संख्या 25 रही है। लेकिन 2017 के पहले छह महीनों में ही ऐसे 20 मामले दर्ज किए गए हैं, ये आंकड़े वर्ष 2016 की तुलना में 75 फीसदी ज्यादा हैं, मगर सिर्फ गोरक्षा के नाम पर हुई गुंडागर्दी की बात करें तो सरकारी आंकड़े कहते हैं :-
साल 2014 में ऐसे 3 मामले आए और उनमें 11 लोग ज़ख्मी हुए।
जबकि 2015 में अचानक ये बढ़कर 12 हो गया, इन 12 मामलों में 10 लोगों की पीट-पीट कर मार डाला गया जबकि 48 लोग ज़ख्मी हुए।
2016 में गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्डी की वारदातें दोगुनी हो गई , 24 ऐसे मामलों में 8 लोगों को अपनी जानें गंवानी पड़ीं जबकि 58 लोगों को पीट-पीट कर बदहाल कर दिया गया।
2017 में तो गोरक्षा के नाम पर गुंडई करने वाले बेकाबू ही हो गए. 37 ऐसे मामले हुए जिनमें 11 लोगों की मौत हुई, जबकि 152 लोग ज़ख्मी हुए।
साल 2018 में अब तक ऐसे 9 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 5 लोग मारे गए और 16 लोग ज़ख्मी हुए।
कुल मिलाकर गोरक्षा के नाम पर अब तक कुल 85 गुंडागर्दी के मामले सामने आ चुके हैं जिनमें 34 लोग मारे गए, इनमें 24 मुसलमान हैं, और 289 लोगों को अधमरा कर दिया गया।
इनमें से कम से कम 97 फीसदी हमले, नरेंद्र मोदी के मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने और देश की सत्ता संभालने के बाद हुए। यहां यह भी बता दें कि गाय से संबंधित आधे मामले, यानी 63 में से 32 मामले, भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित राज्यों में सूचित हैं। 25 जून 2017 तक दर्ज हिंसा के मामलों पर इंडियास्पेंड द्वारा किए गए विश्लेषण में यह बात सामने आई है।
संसद में सरकार की सियासत :-
देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं को जवाब देने की बजाए संसद में कहते हैं कि सबसे बड़ी लिंचिंग की घटना तो देश में 1984 में हुई थी। हर बात में सियासत. उधर, देश के प्रधान सेवक संसद में बयान देते हुए कहते हैं कि लोकतंत्र में मॉब लिंचिंग के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई हो, और पीएम मोदी संसद के पटल से ऐसी घटनाओं की कड़ी निंदा करते हैं।
ये कड़ी निंदा भी बड़ा अजीब लफ्ज़ है, अगर ये हिंदी डिक्शनरी में ना होता, तो पता नहीं हमारे राजनेता किसकी आड़ में अपनी नाकामयाबी छुपाते। भारत के नक्शे पर इन लाल और पीले निशानों को देख लीजिए,इनमें लाल निशान उन जगहों पर लगे हैं जहां गोरक्षा के नाम पर लोगों की लिंचिंग की गई, और ये पीले निशान किन्हीं दूसरे कारणों से की गई मॉब लिंचिंग की हैं, मसलन दलितों पर हुए अत्याचार, लव जेहाद वगैरह।
गोरक्षा के नाम पर मुस्लिमों को बनाया शिकार :-
साल 2014 से लेकर साल 2018 तक गोरक्षा के नाम पर हुए 87 मामलों में 50 फीसदी शिकार मुसलमान हुए, जबकि 20 प्रतिशत मामलों में शिकार हुए लोगों की धर्म जाति मालूम नहीं चल पाई. वहीं 11 फीसदी दलितों को ऐसी हिंसा का सामना करना पड़ा, गोरक्षकों ने हिंदुओं को भी नहीं छोड़ा। 9 फीसदी मामलों में उन्हें भी शिकार बनाया गया. जबकि आदिवासी और सिखों को भी 1 फीसदी मामलों में शिकार होना पड़ा।
पर कौन हैं ये लोग कहां से आते हैं, कैसे अचानक इतने लोग एक साथ एक ही मकसद से इकट्ठे हो जाते हैं, या फिर ये गुंडों की कोई जमात है जो साज़िशन लोगों को शिकार बना रही है ?
अब तक इन मॉब लिंचिंग का शिकार होकर अपनी जान गंवाने वालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो :-
20 मई 2015, राजस्थान :-
मीट शॉप चलाने वाले 60 साल के एक बुज़ुर्ग को भीड़ ने लोहे की रॉड और डंडों से मार डाला।
2 अगस्त 2015, उत्तर प्रदेश :-
कुछ गो रक्षकों ने भैंसों को ले जा रहे 3 लोगों को पीट पीटकर मार डाला।
28 सितंबर 2015 दादरी, यूपी :-
52 साल के मोहम्मद अख्लाक को बीफ खाने के शक़ में भीड़ ने ईंट और डंडों से मार डाला।
14 अक्टूबर 2015, हिमाचल प्रदेश :-
22 साल के युवक की गो रक्षकों ने गाय ले जाने के शक में पीट पीटकर हत्या कर दी।
18 मार्च 2016, लातेहर, झारखंड :-
मवेशियों को बेचने बाज़ार ले जा रहे मज़लूम अंसारी और इम्तियाज़ खान को भीड़ ने पेड़ से लटकाकर मार डाला।
5 अप्रैल 2017, अलवर, राजस्थान :-
200 लोगों की गोरक्षक फौज ने दूध का व्यापार करने वाले पहलू खान को मार डाला।
20 अप्रैल 2017, असम :-
गाय चुराने के इल्ज़ाम में गो रक्षकों ने दो युवकों को पीट पीटकर मार डाला.
1 मई 2017, असम
गाय चुराने के इल्ज़ाम में फिर से गो रक्षकों ने दो युवकों को पीट पीटकर मार डाला।
12 से 18 मई 2017, झारखंड :-
4 अलग अलग मामलों में कुल 9 लोगों को मॉब लिंचिंग में मार डाला गया।
29 जून 2017, झारखंड :-
बीफ ले जाने के शक़ में भीड़ ने अलीमुद्दीन उर्फ असग़र अंसारी को पीट पीटकर मार डाला।
10 नवंबर 2017, अलवर, राजस्थान :-
गो रक्षकों ने उमर खान को गोली मार दी जिसमें उसकी मौत हो गई।
20 जुलाई 2018, अलवर, राजस्थान :-
गाय की तस्करी करने के शक में भीड़ ने रकबर खान को पीट पीटकर मार डाला।
तो इन आंकड़ों को देखने के बाद भी क्या एक लोकतांत्रिक ढांचे में ऐसे लोगों पर नकेल नहीं कसनी चाहिए जिन्हें कानून व्यवस्था और अदालतों पर यकीन ही नहीं.. जो खुद ही अदालत और खुद ही कानून बनकर सरेराह लोगों की ज़िंदगी और मौत का फैसला कर देते हैं।
दुखद बात ये है कि हर पांचवे मामले में पुलिस ने पीड़ितों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कराया, 5 फीसदी मामलों में हमलावरों के गिरफ्तारी की कोई सूचना नहीं थी।13 हमलों (21 फीसदी) में पुलिस ने पीड़ितों / बचे लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
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