स्वाति चतुर्वेदी का नाम पत्रकारिता में किसी परिचय का मोहताज नहीं है, वो एक स्वतंत्र पत्रकार हैं और उन्होंने ‘आई एम अ ट्रोल: इनसाइड द सीक्रेट डिजिटल आर्मी ऑफ द बीजेपी’ किताब लिखी है। इस किताब के आने के बाद भाजपा की ट्रोल सेना का कुरूप चेहरा देश के सामने उजागर हुआ था।
इसी निर्भीकता से सच को उजागर करने के कारण स्वाति चतुर्वेदी को रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स प्रेस फ्रीडम अवार्ड के लिए मनोनीत किया गया है। द वायर के अनुसार इस पुरस्कार के लिए विश्व से चुनिंदा 12 देशों के पत्रकारों को मनोनीत किया गया है, इसमें तीन श्रेणियां बनाई गयी है ‘Courage’, ‘Impact’, और ‘Independence’, स्वाति चतुर्वेदी को ‘Courage’ (साहस, निर्भीकता) की श्रेणी में मनोनीत किया गया है।
ये पुरस्कार इसके 26 साल के इतिहास में पहली बार 8 नवम्बर 2018 को लंदन में गेट्टी इमेज गैलरी में दिए जायेंगे। एक चौथी श्रेणी का पुरस्कार ‘L’esprit de RSF,’ विशेष रूप से मेज़बान होने के कारण ब्रिटैन के 4 मनोनीत पत्रकारों में से किसी एक को दिया जायेगा।
स्वाति चतुर्वेदी की ‘Courage’ श्रेणी में उनके साथ अन्य मनोनीत पत्रकारों में मुख्य हैं :
Matthew Caruana Galizia : माल्टा के पत्रकार हैं जिनकी मां की सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गयी थी कि मैथ्यू ने भ्रष्टाचार को उजागर किया था-
Paolo Borometti : इटली के पत्रकार हैं जिन्होंने सिसिलियन माफिया के खिलाफ आवाज़ उठाई थी, और इनकी हत्या की योजना को इटली पुलिस ने नाकाम कर दिया था-
Anas Aremeyaw Anas : घाना के पत्रकार हैं जो आजकल छुपकर रह रहे हैं कारण कि उन्होंने अफ़्रीकी फुटबॉल जगत में रिश्वतखोरी का खुलासा किया था।
यदि स्वाति चतुर्वेदी इस प्रतिष्ठित पुरस्कार को जीत जाती हैं तो ये भारत के लिए न सिर्फ गर्व की बात होगी बल्कि इससे भारत में पत्रकारिता के गिरते स्तर के लिए ज़िम्मेदार लोगों को अपने गिरेबान में झाँकने और अपनी अंतरात्मा को टटोलने की ज़रुरत भी महसूस होगी।
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