तुर्की की राजधानी इस्तांबुल की कैमलिक पहाड़ी पर सबसे बड़ी मस्जिद केमलीका 8 मार्च शुक्रवार के दिन इबादत के लिए खोल दी गयी है, उस दिन फज्र की नमाज में नौ हजार से ज्यादा लोग पहुंचे थे, इस मस्जिद में साथ 60,000 नमाज़ी नमाज़ अदा कर सकते हैं, 2013 से बनना शुरू इस मस्जिद को पूरा होने में 6 साल का वक़्त लगा।
Daily Sabah के अनुसार 60,000 लोगों की क्षमता और एक लाइब्रेरी, आर्ट गैलरी और म्यूजियम के साथ केमलीका मस्जिद तुर्की की 90,000 मस्जिदों में सबसे बड़ी है। इस मस्जिद को केमलीका टीले पर बनाया गया है, ये मस्जिद इतनी ऊंची है कि इसे इस्तांबुल के सभी उपनगरों से देखा जा सकता है, तुर्की की ये दूसरी ऐसी मस्जिद है, जिसमें छह मिनारें बनी हैं।
इस मस्जिद की छह में से चार 107.1 मीटर ऊंची हैं, दो मीनारों की ऊंचाई 90 मीटर है। ये चारों मिनारें सन 1071 में ऑटोमन साम्राज्य के समय सेल्जुक तुर्क की अनातोलिया में बैजंतिया सेना के खिलाफ जीत का प्रतीक हैं।
केमलीका मस्जिद के निर्माण पर लगभग 150 मिलियन तुर्की लीरा ($ 28 मिलियन के करीब) और भारतीय मुद्रा में 280 करोड़ की कुल लगत आयी है। ये मस्जिद 30 हजार वर्गमीटर में बनी है। इसमें 72 मी. ऊंचा गुंबद भी है, जो तुर्की में रहने वाले 72 देशों के नागरिकों का प्रतीक है। इसके मुख्य गुंबद की ऊंचाई 72 मीटर है और इसका व्यास 34 मीटर है।
इस मस्जिद में हाथ से बना 17,000 वर्ग मीटर कालीन बिछाया गया है, मस्जिद में आने वालों के लिए कार पार्किंग का भी निर्माण किया गया है जिसमें एक साथ 3,500 कारें पार्क हो सकती हैं, मस्जिद के आस पास 30 हज़ार वर्गमीटर के भू-भाग पर गार्डन और पार्क बनाया गया है ताकि यहां आने वाले लोग पार्क का आनंद भी ले सकें।
खास बात ये है कि इस मस्जिद का डिज़ाइन दो महिला आर्किटेक्ट्स बहार मिजरक और हायरिए गुल तोटू ने तैयार किया है। तुर्की सरकार ने इस मस्जिद की डिजाइन के लिए प्रतियोगिता आयोजित की थी जिसमें दो महिला आर्किटेक्ट बहार मिजरक और हायरिए गुल तोटू का चयन हुआ था।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की ताज-उल-मस्जिद दुनिया की तीसरी और एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद है, मोतिया तालाब और ताज-उल-मस्जिद को मिलाकर इसका कुल क्षेत्रफल 14 लाख 52 हजार स्क्वेयर फीट है जो मस्जिद अल-हरम के बाद सबसे ज्यादा है। इसलिए इसे दुनिया की तीसरी और एशिया की सबसे बड़ी मस्जिद कहा जाता है।। वहीँ दुनिया की की सबसे बड़ी मस्जिद सऊदी अरब के मक्का शहर में स्थित मस्जिद अल-हरम है, इसमें हज के दौरान 40 लाख लोग आ सकते हैं।
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