देश में विकराल होती बेरोज़गारी के चलते गुरुवार से दिल्ली के लालकिले से देश की कई यूनिवर्सिटियों के छात्र संगठन ”यंग इंडिया अधिकार मार्च” शुरू कर चुके हैं जिसमें बड़ी संख्या में पहुँच चुके हैं और उनका आना जारी है। इन छात्रों और युवाओं का ये मार्च लाल किले से शुरू हुआ है और संसद मार्ग तक जाएगा।
अभी कुछ दिन पहले ही सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) ने रोजगार के आंकड़े जारी करते हुए खुलासा किया था कि देश में इस समय बेरोजगारी पिछले 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। भारत विश्व में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारों का देश बन गया है।
स्टूडेंट्स के इस मार्च में JNU, पंजाब यूनिवर्सिटी, FTII, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के छात्र नेता शामिल हो सकते हैं, ये सभी यूनिवर्सिटीज पिछले महीने से देशभर में रोजगार, अच्छी शिक्षा के मुद्दे को उठा रही हैं, इस मार्च का मुख्य मकसद सस्ती और अच्छी शिक्षा, सम्मानजनक रोजगार, भेदभाव से मुक्ति और आजाद विचार को लागू करवाना है।
इससे पहले भी इन यूनिवर्सिटीज संघों ने SSC, रेलवे भर्ती, पेपर लीक और बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था, इस बार के यंग इंडिया अधिकार मार्च में गुजरात के पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव और जिग्नेश मेवानी जैसे नेता भी शामिल हैं।
युवा और छात्र जो कल के भारत का भविष्य हैं, निराश और बेरोज़गार होकर सड़कों पर आंदोलन रत हैं, 45 सालों में सबसे विकराल बेरोज़गारी के चलते उनका भविष्य अंधकार में हैं, सरकार आंकड़ों की बाजीगरी में लगी है, मौलिक मुद्दों को राष्ट्रिय पटल से गायब कर दिया गया है।
आप किसी भी चैनल को लगाइये आपको मौलिक मुद्दों पर कोई समाचार शायद ही मिले, इस विशाल यंग इंडिया अधिकार मार्च को मीडिया ने बड़ी कुटिलता से गायब कर दिया है।
और इन मौलिक मुद्दों को हाशिये पर धकेले जाने और देश की जनता को हिन्दू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद जैसे वाहियात मुद्दों पर उलझाए रखने के लिए मीडिया ने भी सुपारी ली हुई है, सरकार की नाकामी छुपाने और मौलिक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए मनोवैज्ञानिक गेम खेला जा रहा है, नए नए दरबारी चैनल्स खुल रहे हैं, जिनके एंकर्स भाजपाई प्रवक्ताओं की तरह चीखते चिल्लाते मुंह से झाग निकालते हुए विरोधी दलों और आमंत्रित मेहमानों पर गरजते बरसते नज़र आते हैं।
यही यंग इंडिया अधिकार मार्च कांगेस के राज में होता तो गोदी मीडिया का हर एंकर आंदोलन स्थल पर चारपाई डालकर बैठ जाते, हर नेता के मुंह में माइक ठूंस कर सरकार के खिलाफ बयान दिलवाते, मगर अफ़सोस कि सरकार के माउथ पीस बने हुए और मरी हुई अंतरात्मा को घसीटते फिरते इन दलालों को अपने देश की इस युवा पीढ़ी का दुःख दर्द नज़र नहीं आता।
- लेबनान पेजर विस्फोट : इजरायल के सुदूर युद्ध रणनीति के इतिहास पर एक नज़र। - September 18, 2024
- महाराष्ट्र के कुछ गांवों की मस्जिदों में गणपति स्थापित करने की अनूठी परंपरा। - September 15, 2024
- स्कैमर ने चीफ़ जस्टिस बनकर कैब के लिए 500/- रु. मांगे। - August 28, 2024