ख़ाना-ऐ-काबा – हज और सेल्फियां !!
मेरी बात से किसी को इख़्तिलाफ़ हो तो माज़रत चाहूँगा- एक वक़्त था जब लोग हज करने जाते थे तो गुनाहों की नदामत की वजह से बैतुल्लाह की तरफ क़दम नहीं उठते थे, वहां जाने के तसव्वुर से ही आँखों से आंसू जारी हो जाते थे कि मैं अल्लाह के दरबार में कैसे हाज़री दूँ […]
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