जिब्राल्टर ब्रिटेन के अधीन है, जिब्राल्टर सरकार द्वारा 1995 में जारी किए गए इस बैंकनोट के सामने वाले हिस्से पर महारानी एलिजाबेथ की तस्वीर है और पिछले हिस्से पर मशहूर इसलामी  कमांडर तारिक बिन ज़ियाद की तस्वीर है। जिब्राल्टर सरकार ने इस नोट को 2011 में प्रचलन से हटा लिया गया था।

कौन हैं तारिक़ बिन ज़ियाद।

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इस्लाम के सुनहरे अतीत में फ़ातेह तारिक़ बिन ज़ियाद को सर्वकालिक महान मुस्लिम कमांडरों में से एक और स्पेन का विजेता माना जाता है। वो ऐसे योद्धा थे जिन्होंने समुद्री मार्ग से स्पेन पर हमला करने के लिए स्पेन की सरजमीन पर क़दम रखने के बाद अपनी सारी कश्तियां जलाने का आदेश दिया था, ताकि आर पार की जंग हो। ये वो वाक़िया है जो ऐतिहासिक तौर पर याद किया जाता है।

तारिक़ बिन ज़ियाद की पैदाइश के तीन अलग-अलग विवरण हैं, वो हमादान के फ़ारसी थे, वो सादिफ़ कबीले से थे, वह अल्जीरिया के एक बर्बर क़बीले से थे। स्पैनिश और अरब इतिहासकारों का मानना है कि वह उत्तरी अफ्रीका के अमीर मूसा बिन नुसायर का गुलाम थे, हालांकि उनके वंशज इस दावे पर एकमत नहीं हैं।

स्पेन पर हमला।

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ख़लीफा़ वलीद बिन अब्दुल मलिक के दौर की बात है जब अफ़्रीका़ पहले से दो हिस्सों में बंटा हुआ था, उत्तरी अफ़्रीका़ और दक्षिणी अफ़्रीका़। दक्षिण अफ़्रीका़ में हमेशा से वह जंगली क़बाइली आबाद थे जिन्होंने दक्षिण अफ़्रीका़ में कभी किसी को घुसने नहीं दिया।

दक्षिण अफ़्रीका़ भी मुसलमानों के दख़ल के बाद दो हिस्सों में बंट गया था। पूर्वी अफ़्रीका़ मुसलमानों के क़ब्जे़ में था और पश्चिमी अफ़्रीका़ पर स्पेनी ईसाइयों की हुकूमत थी।

पश्चिमी अफ्रीका के स्पेनी गवर्नर काउंट जूलियन और तारिक़ बिन जि़याद के बीच दोस्ताना संबंध थे। स्पेन की पुरातन परंपरा के अनुसार बादशाह के जितने भी गवर्नर और कुलीन होते थे उनके बच्चे व्यस्क होने तक बादशाह के महल में परवरिश पाते थे ताकि आदाब ए शाही सीख सकें।

स्पेन के किंग के महल में परवरिश पाने वाले बच्चों में अफ़्रीका़ के गवर्नर काउंट जूलियन की चौदह साल की लड़की भी थी। स्पेन के किंग राड्रिक की नियत उस लड़की पर ख़राब हो जाती है और वह राड्रिक की हवस का शिकार हो जाती है।

काउंट जूलियन को जब इस बात की खबर होती है तो वह राड्रिक से प्रतिशोध लेने का सोचता है, लेकिन वो अकेला किंग राड्रिक का कुछ बिगाड़ नहीं सकता। काउंट जूलियन इस बात का जि़क्र तारिक़ बिन ज़ियाद से करता है और मदद का आग्रह करता है। तारिक़ बिन ज़ियाद इस मामले में मदद के लिए मूसा बिन नसीर को ख़त लिखते हैं! मूसा बिन नसीर इस मामले को आगे बढा़ते हुए ख़लीफा़ वलीद बिन अब्दुल मलिक को ख़त लिखते हैं।

मूसा बिन नसीर तारिक़ बिन ज़ियाद को स्पेन पर हमला करने की तैयारी करने का हुक्म देते हैं, 711ईस्वी बमुताबिक़ 92 हिजरी को तारिक़ बिन ज़ियाद एक साल में सात हजा़र फौ़ज जमा कर लेते हैं और कश्तियां तैयार करवा लेते हैं।

712 ईस्वी, 93 हिजरी में तारिक़ बिन ज़ियाद इन कश्तियों में अपने सात हजा़र के लश्कर के साथ स्पेन के एक पहाडी़ तलहटी के तट पर उतरते हैं, उस पहाड़ का नाम तारिक़ बिन ज़ियाद के नाम पर जबलुत्तारिक़ पडा़ जो बाद में जिब्राल्टर हो गया।

जब तारिक़ बिन ज़ियाद उन्दलस के तट पर उतरे तो आपने टैंक शामियाने लगाने के बाद कश्तियों में जो सामान था वह खेमों में रखवाया और सभी कश्तियों को जला देने का हुक्म दिया। उनके हुक्म पर सभी कश्तियों को जला दिया गया था।

कश्तियों के जल जाने के बाद तारिक़ बिन ज़ियाद ने फौज से एक ऐतिहासिक संबोधन किया था उन्होंने कहा था कि “सुन लो कि अब हमारे पीछे समंदर है और आगे फ़तह या शहादत, और यह दोनों ही बड़ी कामयाबी है!”

तारिक़ बिन ज़ियाद ने लड़ाई में शानदार जीत हासिल की, जहां स्पेनिश राजा राड्रिक मारा गया था।

उत्तरी अफ्रीका के गवर्नर मूसा इब्न नुसैर और तारिक़ बिन ज़ियाद दोनों जनरलों ने मिलकर इबेरियन प्रायद्वीप के लगभग दो-तिहाई हिस्से पर विजय प्राप्त कर ली, क्योंकि सारागोसा, बार्सिलोना और पुर्तगाल पर शीघ्र ही कब्ज़ा कर लिया गया। मुस्लिम सेना ने फ्रांस तक भी अपना रास्ता बनाया और ल्योंस पर विजय प्राप्त की। यह 1492 तक स्पेन में मुस्लिम शासन की शुरुआत थी।

मूसा इब्न नुसैर और तारिक़ बिन ज़ियाद तब तक स्पेन में रहे जब तक ख़लीफ़ा वलीद बिन अब्दुल मलिक प्रथम ने उन्हें 714 में दमिश्क वापस भेजने का आदेश नहीं दिया, जहां उनका सम्मान किया गया।

तारिक़ बिन ज़ियाद आगे की ज़िंदगी के बारे में बहुत कम जानकारी है, सिर्फ़ ये कि उनकी मृत्यु 720 में दमिश्क में गुमनामी में हो गई थी।

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