भारत में एक के बाद एक गुरु और बाबा राजनैतिक पटल पर जलवे दिखा रहे हैं, एक और गुरु पधारे हैं जिनका नाम है सद्गुरु जग्गी वासुदेव, ये ईशा फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं। अपनी मुस्लिम विरोधी और भाजपा विचारधारा को हर जगह परोसने वाले सद्गुरु ने लंदन में एक ऐसा बयान दे दिया जिससे वहां बवाल खड़ा हो गया।
Sabrang India के अनुसार घटना 27 मार्च को लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (LSE) के छात्र संघ के एक समारोह की है जहाँ सद्गुरु ने ‘युवा और सत्य: अनप्लग विद सद्गुरु’ नामक एक कार्यक्रम में एक मुस्लिम छात्र बिलाल बिन साकिब नाम के छात्र को तालिबान के नाम से सम्बोधित किया। वासुदेव ने साकिब से कहा, “आप एक उचित तालिबानी व्यक्ति हैं”, साकिब लाहौर से हैं और इस कार्यक्रम के मेजबान थे।
इस घटना के बाद लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स छत्र संघ (LSESU) ने अपना पुरज़ोर विरोध दर्ज करते हुए सद्गुरु द्वारा एक मुस्लिम छात्र को “तालिबानी” कहने के व्यवहार को इस्लामोफ़ोबिक क़रार देते हुए उनसे माफ़ी की मांग की।
वहीँ जब बवाल बढ़ा तो सद्गुरु ने इस घटना पर माफ़ी हुए स्पष्टीकरण दिया कि “एक निजी बातचीत का यह छोटा सा वीडियो क्लिप, जिसे संपादित किया गया है, दुर्भाग्यपूर्ण है। उनका कहना था कि ये शब्द उन्होंने मज़ाक़ में इस्तेमाल किया था, किसी का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं था, उन्होंने कहा कि ‘तालिबानी’ एक अरबी शब्द है मैं उसी के सन्दर्भ में अपनी बात रख रहा था, भारत में इस शब्द को अति महत्वकांक्षी व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
LSESU ने सद्गुरु के खेद प्रकट करने को भी नकार दिया है, छात्र संघ का कहना है कि LSESU साफ़ करता है कि इस तरह की टिप्पणियों का इस केम्पस में कोई स्थान नहीं है और इसकी निंदा की जानी है। यदि टिप्पणी मजाक में की गई थी, तो इससे उनका प्रभाव कम नहीं होता, वो शब्द अभी भी अपमानित करते हैं। इस तरह की घटनाओं का अगर विरोध नहीं किया जाए तो ये आगे जाकर स्वीकार्य इस्लामोफोबिया हो जाता है, हमने सद्गुरु को उनके दिए गए बयानों के संबंध में छात्र संघ को एक औपचारिक माफीनामा जारी करने के लिए कहा है।
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