जब हम बच्चे थे तो मोहल्ले में खेलते वक़्त किसी बच्चे के चारों हाथ पांव पकड़ कर हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की का नारा लगते थे, दिवाली आती थी तो रात का इंतज़ार करते थे और पडोसी बच्चों के साथ घर से छुपाकर लाई गयी माचिस से उनके घरों के दिये जलाते थे, उनके साथ फुलझड़ियां जलाकर खुश हुआ करते थे, हमारे बच्चे भी कुछ सालों पहले तक इसी अघोषित परंपरा को निभाते थे, पिता जी पुलिस अफसर थे अधिकतर उनकी गांवों में पोस्टिंग रहती थी, गांव के लोग आते जाते जय राम जी की भैया जी कहते थे, हम भी जवाब में जय राम जी की बाबा जी कहा करते थे।
आज भी हम और हमारे बच्चे दिवाली का उसी तरह से इंतज़ार करते हैं, हिन्दू भाइयों के घर जाकर बरसों से चली आ रही इस सांझी विरासत को उसी तरह निभाते हैं जैसे हमारे बड़े बूढ़े निभाते आ रहे थे, ईद हो या बकरा ईद हमारे घरों में मीठी सेवइयां दोनों मौक़ों पर हिन्दू भाइयों के लिए अलग से तैयार होती है जिसके लिए वो ईद से हफ्ते भर पहले ही आग्रह कर दिया करते हैं, आज भी दस्तरखान पर उनके साथ मिल बैठकर सेवइयां न खा लें तो ईद अधूरी सी लगती है।
मगर पिछले पांच सात साल से अचानक बहुत कुछ बदलने लगा, मोहल्ले के वो बच्चे सिमट कर अलग हो गए, अब हाथी घोडा पालकी, जय कन्हैया लाल की का जयकारा नहीं सुनाई देता, ‘जय राम जी की’ भैया जी का अभिवादन अब ‘जय श्री राम’ में तब्दील हो गया है, पडोसी अब हिन्दू मुस्लमान होने लगे हैं, हालाँकि पुराने परिचित अभी भी सांझी विरासत को निभा रहे हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि ये क्षणिक और परोसा गया घृणित एजेंडा है जो इस देश में ज़्यादा दिन नहीं टिक सकता।
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देश की गंगा जमनी तहज़ीब में नफरत का तेज़ाब डालने की शुरुआत हुई, नतीजे में देश में दंगे हुए कई जानें गयीं और नफरत की जड़ें भी गहराती गयीं, नए नए नारे गढ़े गए, ‘भारतीय’ हिन्दू मुस्लिम में बाँट दिये गए, जय राम जी की भैया जी की का नारा जय श्रीराम में परिवर्तित कर दिया गया, साथ ही एक और नारा अस्तित्व में आया वो था ‘देश में रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा!” स्पष्ट है कि ये नारे केवल मुसलमानों को चिढ़ाने और उकसाने के लिए लगाए गए थे।
अब पिछले पांच सात सालों में यही नारे देशभक्ति का परिचायक या पेटेंट होने की बलात कोशिशें की जा रही हैं, सिनेमा हाल में राष्ट्रगान के लिए खड़े होने, भारत माता की जय, वंदे मातरम का नारा लगाने को ही देशभक्ति का पैमाना घोषित कर दिया है, और इसे घोषित करने वाले हैं कौन ? वही संघ जिसने अपने मुख्यालय पर पूरे 52 साल राष्ट्रध्वज नहीं फहराया था। जिसने देश को स्वतंत्र कराने में अपने नाखून तक नहीं कटाये अब वही देश की जनता को राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाने के लिए लठ्ठ लिए घूम रहे हैं।
यानी कह सकते हैं कि संघ ने और बगलबच्चे उग्र संगठनों ने देशभक्ति का ठेका अघोषित रूप से अपने हाथ में ले लिया है, राष्ट्रवाद और राष्ट्रद्रोही का प्रमाणपत्र बाँटने का पंजीकृत ऑफिस स्थापित कर दिया है, ये लोग सिनेमा हाल में राष्ट्रगान के समय खड़े न होने वालों को मारने पीटने लगे भले ही वो दिव्यांग ही क्यों न हो, वंदे मातरम, भारत माता की जय के फीते से ही राष्ट्रवाद को नापने लगे हैं।
और इस साम्प्रदायिकता के ज़हर को फैलाने में सोशल मीडिया ने अहम् भूमिका निभाई है, इसे इस मंच पर परोसने में भी इसी छद्म राष्ट्रवादी गिरोह का ही बड़ा और मुख्य हाथ रहा है। सोशल मीडिया पर ज़हर परोसने का ये प्रोपेगंडा इनके ‘राष्ट्रवादी प्रोपगंडे’ की आड़ में अभी भी उसी रफ़्तार से जारी है।
भले ही वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाने के बाद लोग देश में बलात्कार करें, हत्याएं करें, देश की ख़ुफ़िया जानकारियां दुश्मन देशों को दें, देश का पैसा लेकर विदेशों में जाकर बस जाएँ, मगर ये राष्ट्रवाद के ठेकेदार इन्हे देशद्रोही नहीं कहेंगे, इनके लिए केवल वही देशद्रोही है जो ये नारे नहीं लगाए, मने इस देश में ये दो तीन नारे लगाने के बाद देश में कुछ भी करने की आज़ादी है ?
आइये ज़रा इस सूची पर नज़र डालें जिन्होंने किसी न किसी रूप में देश के साथ गद्दारी की है, मगर जिन्हे ये राष्ट्रवाद के ठेकेदार देशद्रोही बिलकुल नहीं कहेंगे :-
नाम : माधुरी गुप्ता – (पूर्व राजनयिक)
आरोप : विश्व की खतरनाक खुफिया एजंसी ISI के लिए अपने ही देश की जासूसी की : 23 अप्रैल 2010 को गिरफ्तार – तीन वर्ष की सजा।
नाम : कुमार नारायण (वित्त विभाग का पूर्व अफसर)
आरोप : वित्त मंत्रालय में अहम फैसलों से जुड़ी फाइलों की फोटो कॉपी कराकर हर जानकारी अपने कंट्रोलर तक भेजना।
नाम : सुब्बा राव (नेवल साइंटिस्ट)
आरोप : न्यूक्लियर सबमरीन अरिहंत प्रोजेक्ट की जानकारी पश्चिमी देशों को बेचने की कोशिश।
नाम : रविंदर सिंह (रॉ अधिकारी)
आरोप : भारतीय खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वाले रविंदर सिंह को एजेंसी से जुड़े अहम दस्तावेज की फोटो खींचते हुए कैमरे पर देखा गया था। जब तक रॉ अपने ही अफसर पर हाथ डाल पाती वो 14 मई 2004 को गायब हो गया। रविंद्र सिंह रॉ में ज्वाइट सेकेट्री स्तर का अफसर था। माना जाता है कि रविंदर सिंह ने रॉ से जुड़ी तमाम जानकारियां अपने अमेरिकी कंट्रोलर तक पहुंचाई थी। कानून की नजर में इस वक्त रविंदर सिंह भगोड़ा है।
नाम : मनमोहन शर्मा – (रॉ अधिकारी)
मई 2008 में बीजिंग में तैनात रॉ के अफसर मनमोहन शर्मा पर जासूसी का आरोप लगा। कहा गया कि चीनी लड़की के प्यार में पड़कर शर्मा ने तमाम खुफिया जानकारी उगल दी थी।
नाम : रवि नायर – (रॉ अधिकारी)
आरोप : हॉंगकॉंग से वापस बुला लिया गया। रवि नायर पर भी चीन की लड़की के प्यार में खुफिया जानकारी चीन को देने का आरोप लगा।
नाम : कमोडोर सुखजिंदर सिंह – (नौ सेना अधिकारी)
आरोप : मास्को में तैनाती के दौरान रूसी महिला के साथ संबंध बनाने का दोषी, बर्खास्त करने के आदेश।
नाम : यशोदानंद सिंह – रिटायर्ड CRPF सब इंस्पेक्टर
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचने वाले गिरोह का सरगना।
नाम : विनोद पासवान
काम : हवालदार सी आर पी एफ
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे
नाम : दिनेश सिंह
काम : हवालदार सी आर पी एफ
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे।
नाम : वंशलाल
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे।
नाम : अखिलेश पाण्डेय
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे।
नाम : राम किरपाल सिंह
काम : उत्तर प्रदेश पुलिस
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे।
नाम : नत्थी राम
काम : मोरादाबाद पुलिस अकादमी
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचे।
नाम : निरंजन होजाई – (असम bjp नेता)
आरोप : 30 मई 2009 को आतंकियों को आर्थिक मदद का आरोप, उम्रकैद की सजा सुनाई।
नाम : ध्रुव सक्सेना : (मध्य प्रदेश भाजपा आईटी सेल में जिला संयोजक )
आरोप : भाड़े पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करना।
नाम : अच्युतानंद मिश्रा – (BSF कांस्टेबल)
आरोप : पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करना।
नाम : निशांत अग्रवाल (ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर)
आरोप : पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को संवेदनशील सूचनाएं देना।
स्त्रोत सभी को पता है मामला अक्टूबर 2018 का ही है।
नाम : राजू कुजूर (सीएएफ छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स में कांस्टेबल)
आरोप : नक्सलियों को हथियार बेचना – 10 अक्टूबर 2018 को गिरफ़्तारी।
इन सबके बारे में इस LINK पर पढ़ सकते हैं, और जासूसों की पूरी सूची India Today के इस लिंक पर भी पढ़ सकते हैं।
अब आइये आगे देखते हैं उन आर्थिक अपराधियों की सूची जो देश के पैसा लेकर विदेश भाग चुके हैं और विदेशी नागरिकता ले चुके हैं, विदेश मंत्रालय ने 4 अगस्त 2018 को ही देश के वांछित 28 बड़े आर्थिक अपराधियों की LIST जारी की है :-
Pushpesh Baid
Ashish Jobanputra
Vijay Mallya
Sunny Kalra
Sanjay Kalra
Sudhir Kumar Kalra
Aarti Kalra
Varsha Kalra
Jatin Mehta
Umesh Parekh
Kamlesh Parekh
Nilesh Parekh
Eklavya Garg
Vinay Mittal
Chetan Jayantilal Sandesara
Nitin Jayantilal Sandesara
Diptiben Chetankumar Sandesara
Nirav Modi
Neeshal Modi
Mehul Choksi
Sabya Seth
Rajiv Goyal
Alka Goyal
Lalit Modi
Ritesh Jain
Hitesh Narendrabhai Patel
Mayuriben Patel
Priti Ashish Jobanputra
आर्थिक अपराधियों की सूची इस The Hindu के इस लिंक पर भी देख सकते हैं :-
ठीक है ? अब इन दोनों सूचियों में मुसलमानों के नाम ढूंढ कर बताइये ? नहीं हैं ना ? फिर राष्ट्रवाद के ठेकेदार बने लोगों को उपरोक्त दोनों सूचियों में मौजूद इन लोगों को देश्द्रोही कहते में ज़बान को लकवा क्यों मार जाता है ?
अभी दो दिन पहले की ही बात है, गाँधी जयंती पर हिन्दू महासभा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि पर उनके पुतले को गोलियां मारीं और पेट्रोल डालकर उनका पुतला जलाया, यही हिन्दू महासभा हर गणतंत्र दिवस को काला दिवस के रूप में मनाती आयी है।
जो लोग देश के गणतंत्र का विरोध करें, देश के संविधान का विरोध करें, राष्ट्रपिता का अपमान करें, तिरंगे पर भगवा को प्राथमिकता दें वो हमें राष्ट्रवाद पढ़ाएंगे क्या ??
साफ़ और कड़वी बात तो ये है कि ‘राष्ट्रवाद’ का ये पूरा प्रोपगंडा ही मुस्लिम विरोध पर टिका है, देश में बढ़ती असहिष्णुता पर आमिर खान या नसीरुद्दीन शाह या शाहरुख़ खान एक बयान दे दे तो पूरी ठेकेदार मंडली उसे पाकिस्तान भेजने उठ कड़ी होती है, मगर जब मिजोरम में 30000 लोग हेलो चाइना, और बाय बाय इंडिया का नारा लगते हैं तो इनका राष्ट्रवाद सेलेक्टिव जस्टीस के बदबूदार कीचड में लौट पोट होने लगता है।
दरअसल संघ और उसके बगलबच्चे उग्र हिंदूवादी संगठनों ने एक कुटिल साजिश के साथ एक लक़ीर ख़ींच दी कि जो मोदी या बीजेपी या संघ के साथ नहीं है वो राष्ट्रद्रोही है। इसमें ‘मोदी या बीजेपी या संघ के साथ’, शब्द पर गौर कीजिये, इसी शब्द में सब कुछ निहित है।
इस लकीर की दूसरी ओर सिर्फ मुसलमान ही नहीं हैं, करोड़ों हिन्दू, सिख, ईसाई भाई भी हैं, जिन्हे इस छद्म और उग्र राष्ट्रवाद के एजेंडे की वास्तविकता पता है, इसमें विरोधी दल भी आ जाते हैं। आज ‘मोदी या बीजेपी या संघ के साथ’ हिन्दुओं का बहुत बड़ा वर्ग नहीं है, तीन बड़े हिंदी भाषी राज्यों में संघ के इस प्रोपगंडे को इन राज्यों की जनता द्वारा धूल चटाना इस बात का बड़ा सबूत है।
जिस तरह से ISIS , अल-क़ायदा, लश्कर, बोको हरम देश के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व नहीं करते उसी तरह संघ भी देश के हिन्दुओ का प्रतिनिधित्व नहीं करता।
यानी संघ ने अपने इस प्रोपगंडे के तहत अघोषित रूप से ‘मोदी या बीजेपी या संघ के साथ’ न होने वाले हर भारतीय नागरिक, हर राजनैतिक दल, हर संगठन, हर न्यूज़ चैनल, हर एंकर को देशद्रोही, पकिस्तन परस्त गद्दार घोषित कर दिया है, ये देश की सामाजिक समरसता को खंडित करने वाली मानसिकता है।
इनका ये भारत माता की जय, वंदे मातरम के फीते से राष्ट्रवाद नापने का चोंचला ठीक इनकी गौभक्ति की तरह है जहाँ गाय के साथ मुसलमान नज़र आ जाये तो उसको बीच सड़क पर घेर कर मार डालते हैं और सड़क पर गौमाता मरी पड़ी हो तो बचकर निकल जाते हैं, गौशालाओं में एक ही दिन में सैंकड़ों गायों के मरने पर भी इनकी गौभक्ति नहीं जागती, पूर्वोत्तर राज्यों और गोवा में गाय काटे और खाये जाने पर इनकी गौभक्ति कोमा में चली जाती है।
कभी सोचा नहीं था कि ऐसा दौर भी आएगा कि लोगों को अपने आपको राष्ट्रवादी होने का बखान करने के लिए नारे लगाकर अपने आपको सिद्ध करना होगा, चीख चीख कर जनता को बताना होगा कि वो राष्ट्रवादी हैं।
इसलिए तिरंगे पर भगवे को प्राथमिकता देने वालों, गणतंत्र दिवस को काला दिवस मनाने वालों, राष्ट्रपिता बापू की हर जयंती पर मिठाइयां बाँटने और उनके पुतले को गोलियां मारने वालों राष्ट्रवाद के नए ठेकेदारों सुनो … अपना ये छद्म राष्ट्रवाद का झुनझुना हमारे सामने न बजाओ, राष्ट्रवाद किसी दिखावे या किसी प्रतीकात्मकता का मोहताज नहीं है, यह तो एक जज्बा होता है एक विचार होता है, जो रगों में खून के साथ दौड़ता है।
राष्ट्रवाद तो विचारधारा है, एक सशक्त भावना है, राष्ट्र के प्रति एक अगाध निष्ठा की भावना है, सामूहिकता की भावना का दृढीकरण है, और यह भावना, विचारधारा और निष्ठा किसी दिखावे, नारों, जयकारों की, शोर शराबे या किसी राजनैतिक दल/नेता या संगठन की कतई मोहताज नहीं है, और इसे तुम जैसे छद्म राष्ट्रवादियों के प्रमाणपत्र की तो बिलकुल भी ज़रुरत नहीं है।
आखिर में मुनव्वर राना साहब का ये शेर :-
डरा धमका कर तुम हमसे वफा करने को कहते हो,
कहीं तलवार से भी पांव का कांटा निकलता है।
जिसे भी जुर्मे-ग़द्दारी में तुम सब क़त्ल करते हो,
उसी की जेब से क्यों मुल्क का झंडा निकलता है।।
जयहिंद !!
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