सीमा पर आतंकी गतिविधियों में लिप्त, आये दिन घुसपैठ करने वाले, सेना और सुरक्षा बलों के अफसरों और जवानो को शहीद करने वाले पाकिस्तान से भविष्य में 2.62 लाख करोड़ का व्यापार करने की संभावनाएं हैं।

Economic Times की खबर के अनुसार वर्ल्ड बैंक का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार को 37 अरब डॉलर (2.62 लाख करोड़ रुपए) तक बढ़ाया जा सकता है। दोनों देशों के बीच फिलहाल सिर्फ 2 अरब डॉलर (14 हजार करोड़ रुपए) का व्यापार हो रहा है। अगर दोनों देश अपने व्यापार को बढ़ाने में सफल हो जाते हैं तो ब्रिटेन और फ्रांस को भी पीछे छोड़ देंगे।

और ये सम्भावना किस देश से है ? आतंक को प्रायोजित करने वाले, आये दिन सीमा पर आतंकियों को घुसपैठ के लिए भेजने वाले, सेना और सुरक्षा बलों के अफसरों और जवानो को शहीद करने वाले पाकिस्तान के साथ या फिर ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ के साथ ? उस देश के साथ जिसने भारत को अभी तक मोस्ट फेवर्ड का दर्जा नहीं दिया है और जिससे भारत ने मोस्ट फेवर्ड का दिया दर्जा अभी तक नहीं छीना है।

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ‘ग्लास हॉफ फुल: प्रॉमिस आफ रीजनल ट्रेड इन साउथ एशिया’ नामक इस रिपोर्ट को बुधवार को यहां जारी किया गया। ‘डॉन’ की खबर में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा व्यापार अपनी पूरी क्षमता से काफी कम है।

‘डॉन’ की खबर में कहा गया है कि दोनों देशों के बीच मौजूदा व्यापार अपनी पूरी क्षमता से काफी कम है। इसका दोहन तभी हो सकता है जबकि दोनों देश कृत्रिम बाधाओं को दूर करने पर सहमत हों। विश्व बैंक का अनुमान है कि पाकिस्तान के दक्षिण एशिया के साथ व्यापार की क्षमता 39.7 अरब डॉलर की है, जबकि अभी वास्तविक व्यापार 5.1 अरब डॉलर है।

इस्लामाबाद के विश्व बैंक कार्यालय में पत्रकारों के साथ बातचीत में प्रमुख अर्थशास्त्री और इस दस्तावेज के लेखक संजय कथूरिया ने कहा कि उनका मानना है कि भरोसे से व्यापार बढ़ता है और व्यापार से भरोसा। इससे एक दूसरे की निर्भरता और शांति बढ़ती है।

भारत ने पाकिस्तान को 1996 में मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा दिया था, मगर बार- बार भरोसे के बाद भी पाकिस्तान ने भारत को आजतक ये ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा नहीं दिया है, इस वजह से भी मांग होती रही है कि पाकिस्तान से ये दर्जा छीन लिया जाए. लेकिन मोदी सरकार ने इसे जारी रखा।

अब यहाँ सवाल ये उठता है कि मोदी सरकार में पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों में वृद्धि हुई है, घुसपैठ, आतंकियों की मौतों के साथ साथ देश के जवानों और सैन्य अफसरों की शहादतों में भी वृद्धि हुई है जिसकी चिंता कल संघ प्रमुख मोहन भगवत भी अपने बयान में ज़ाहिर कर चुके, तो ऐसे में आतंक को प्रायोजित करने वाले देश पाकिस्तान से व्यापर करना इतना आवश्यक क्यों ?

मोदी सरकार में बार बार ये मांग उठी है कि पाकिस्तान से Most Favored Nation (MFN) का दर्जा छीना जाए, खासकर उरी हमले के बाद ये दर्जा छीनने के लिए पुरज़ोर आवाज़ें उठी थीं मगर बार बार पाकिस्स्तान को दिये गये एमएफएन के दर्जे की समीक्षा का दिलासा दिलाया गया और मामला ढाक के तीन पात।

हैरानी और दुःख की बात है कि एक ओर जहाँ आये दिन सीमा पर पाकिस्तान द्वारा आतंकी हमले किये जा रहे हों, जवानों और अफसरों को शहीद किया जा रहा हो, वहीँ दूसरी ओर उसी देश पाकिस्तान के साथ व्यापर की पींगें बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

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