मोदी सरकार के कार्यकाल में जम्मू कश्मीर में घुसपैठ के साथ साथ सुरक्षा बलों की शहादत की संख्या में भी वृद्धि हुई है, Huffington Post की खबर के अनुसार मोदी राज में केवल साल 2018 में ही 400 लोगों की मौत हो चुकी है जो कि 2008 की मौतों (505) के बाद सबसे अधिक हैं, साल 2012 में ये आंकड़ा केवल 99 था जो कि लगातार बढ़ता जा रहा है।
वहीँ भास्कर की खबर के अनुसार एक RTI से मांगी जानकारी में ये बात सामने आयी है कि कांग्रेस राज की अपेक्षा मोदी राज में शहीदों की शहादत 4 गुना बढ़ी हैं।
गृह मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) में पूछे गए सवाल पर बताया है कि 2011 से 2013 तक 10 जवान तो 2014 से सितंबर 2017 तक 42 जवान शहीद हुए। भारत-चीन सीमा पर अभी तक कितने सैनिक शहीद हुए, इसकी जानकारी अभी नहीं दी गई। यह RTI हिसार के नरेश सैनी ने 29 अगस्त को लगाई थी।
दूसरी ओर आम नागरिकों के मारे जाने की संख्या में 167% की चिंतनीय वृद्धि हुई है,
सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों और Hindustan Times की खबर के अनुसार साल 2016 में पिछले वर्ष की तुलना में 167 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है।
इस रिपोर्ट के आंकड़ों के बाद मानवाधिकार संस्थाओं ने इस वृद्धि और आम नागरिकों की मौतों पर विरोध दर्ज किया है, इस विरोध को सुरक्ष बलों ने ये कहते हुए ख़ारिज किया है कि ये मौतें आतंकियों के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाहियों के बीच में आने से हुई हैं।
इसके अलावा News 18 में प्रकाशित एक खबर में बताया गया है कि जम्मू कश्मीर कोएलिशन ऑफ़ सिविल सोसाइटी (JKCCS) की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2018 तक केवल 10 माह में ही जम्मू कश्मीर में कुल 472 लोग मारे गए थे, जिसमें 131 सुरक्षा बल के जवान, 132 आम नागरिक और 207 आतंकी थे।
इस रिपोर्ट और आंकड़ों के अनुसार हर 14 घंटे में एक आतंकी मारा जा रहा है तो वहीँ दूसरी ओर हर दूसरे दिन एक आम नागरिक और एक सुरक्षा बल जवान मारा जा रहा है।
इसी के साथ India Spend की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2017 पांच सालों में सबसे ज़्यादा प्रभावित रहा, जिसमें हताहतों की संख्या के साथ शहीदों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, जहाँ आतंकियों की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ा है वहीँ पांच साल में 324 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुए।
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