देश में धार्मिक पहचान की वजह से मुसलमानों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं ताज़ा मामला गुजरात के बड़ोदरा का है जहाँ कथित रूप से बहुसंख्यक समुदाय के धार्मिक कट्टरपंथियों ने शुक्रवार शाम एक मुस्लिम पुलिस कांस्टेबल को उसकी धार्मिक पहचान की वजह से रास्ता रोक कर मार पीट की।

NewsClick के अनुसार गुजरात पुलिस में कांस्टेबल पीड़ित आरिफ इस्माइल शेख (44) ने कहा कि उस पर बिना किसी उकसावे के रास्ता रोककर हमला किया गया जब वह रात करीब 8.30 बजे घर वापस जा रहा था। शेख ने कहा, “मैंने इस बार अपना चेहरा नहीं ढकने की गलती की,” उन्होंने कहा कि वह अपने घर से बाहर निकलते समय अपना चेहरा ढक लिया करते हैं।

अपनी शिकायत में, शेख ने कहा: “जब मैं प्रतापनगर मुख्यालय में निर्धारित अपने दिन की ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपने घर वापस जा रहा था, शिव शक्ति मोहल्ला इलाके के पास सड़क पार कर रहे एक अज्ञात युवक ने अपना हाथ मुझ पर लहराया, जब मैंने उसे शांति से सड़क पार करने के लिए कहा, तो वह मेरी ओर आया और मुझे मेरे मज़हब को लेकर आपत्तिजनक शब्दों के साथ संबोधित करना शुरू कर दिया। ”

हमलावर ने उनके हुलिए को लेकर, “ओह, बोदिया!” और “ओह, मुस्लिम !” से संबंधित अपमानजनक टिप्पणियां कीं, सड़क पर हुयी इस घटना जे जल्दी ही सांप्रदायिक रूप ले लिया। “पेट्रोल पंप से सटे पास की एक बस्ती के आये पांच-सात लोग उसके साथ हो गए और वे सभी मेरी पिटाई करते रहे। उन्होंने मुझे दाढ़ी से खींचा, मेरे चेहरे पर मुक्के मारे गए और मेरा गला घोंटने की कोशिश की गई। एफआईआर में दर्ज बयान में इस्माइल शेख के अनुसार, हमलावरों ने कहा: “एव फतको आजे एते पावी दाइए (आज इस व्यक्ति को खत्म करें),” और ” मिया बाओ फाटी गया छो (मुसलमान अपनी सीमा भूल गए हैं)”।

आरिफ ने कहा कि हमलावर उसके बटुए को उठा ले गए और वहां से गायब हो गए क्योंकि कुछ जागरूक लोग उन्हें भीड़ से बचाने के लिए दौड़ कर आ गए थे। वडोदरा सिटी के जोन -3 के डीसीपी संजय खरात ने शनिवार को न्यूज़क्लिक को बताया कि एफआईआर आईपीसी की धारा 323, 143, 147, 504 और 506 (2) के तहत दर्ज कर ली गई है। “हमने मामले का संज्ञान लिया है … हम जांच कर रहे हैं,” खरात ने कहा। हालांकि, उन्हें मामले में हुई गिरफ्तारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

घंटों की मशक्कत के बाद एफआईआर दर्ज की गई। पानीगेट पुलिस थाने में उपस्थित एक वकील ने गुमनामी की शर्त पर NewsClick को बताया कि पुलिस स्टेशन पर मौजूद पुलिस अधिकारी शुरू में आरोपी के खिलाफ विस्तार से शिकायत दर्ज करने के इच्छुक नहीं थे। वकील ने आरोप लगाया, ” FIR लिखने वाला इस घटना को आसान बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश कर रहा था ताकि यह आम झगड़े या लड़ाई की तरह ही लगे।”

वकील ने आगे कहा कि “इस घटना का आम झगडे का रंग देने से शेख पर किया गया सांप्रदायिक हमला कमज़ोर होगा जिससे आगे आरोपी आसानी से छूट जाएगा।” “यह मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम का मामला है। इसके अलावा, यह धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए IPC की कुछ विशेष धाराओं में भी आता है। उन्होंने पुलिस की उदासीनता का जिक्र करते हुए कहा कि पुलिस द्वारा वर्ग विशेष के लिए अलग तरह से व्यवहार किया जाना दुखद है।

पुलिस स्टेशन के बाहर एकत्रित दर्जनों लोगों में से कुछ ने न्यूज़क्लिक को बताया कि संपर्क करने पर स्थानीय समाचार एजेंसी ने इस कहानी को चलाने से मना कर दिया साथ ही शहर के प्रमुख अंग्रेजी और गुजराती अखबारों ने भी इसे कोई स्थान देने से परहेज किया है, हमने सोचा कि हम इसे अपने तौर पर वायरल करेंगे।

यह पहली बार नहीं है जब वडोदरा में इस तरह से अल्पसंख्यकों के खिलाफ सांप्रदायिक घटना हुई है, एक मुस्लिम पुलिस अधिकारी पर हमला ये दिखाता है कि दक्षिणपंथी ताक़तों की हिम्मत कितनी बढ़ी है। इस हमले से राज्य की कानून-व्यवस्था की पोल खुली है साथ ही इस तरह की घटनाओं से मुसलमानों में क़ानून व्यवस्था के प्रति अविश्वास बढ़ा है।

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