द वायर और OHCHR (संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय) के अनुसार संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को चीन और रूस समेत 38 “शर्मनाक” देशों को सूचीबद्ध किया है जिसमें भारत भी शामिल है, ये 38 देश वो हैं जहाँ मानवाधिकार का हनन किया गया, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और उन्हें सहयोग करने वाले लोगों की मनमानी गिरफ्तारियां की गयीं, उनके खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्यवाही, धमकियाँ, हत्याएं और यातनाएं दी गयीं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो ग्युटेरेस की वार्षिक रिपोर्ट में इन देशों द्वारा पीड़ितों और मानवाधिकार के साथ बुरा बर्ताव, उनकी निगरानियाँ और उनका अपराधीकरण मुख्य रहा।
गुटेरेस ने लिखा, “दुनिया उन मानवाधिकारों के लिए खड़े लोगों ऋणी है, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ जानकारी प्रदान करने और संलग्न करने के अनुरोधों का जवाब दिया है, “संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोग करने के लिए व्यक्तियों को दंडित करना एक शर्मनाक प्रथा है कि हर किसी को इस प्रथा से बाहर निकलने के लिए और कुछ करना चाहिए।”
इन 38 देशों में 29 नए देश अपने प्रकरणों के चलते शामिल हुए हैं जबकि 19 देश इसमें पहले से ही शामिल हैं।
नए 29 देशों में बहरीन, कैमरून, चीन, कोलंबिया, क्यूबा, कांगो, जिबूती, मिस्र, ग्वाटेमाला, गुयाना, होंडुरास, हंगरी, भारत, इज़राइल, किर्गिस्तान, मालदीव, माली, मोरक्को, म्यांमार, फिलीपींस, रूस, रवांडा, सऊदी अरब, दक्षिण सूडान, थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, और वेनेज़ुएला शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार इन देशों की सरकारों ने अक्सर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया या उन्हें विदेशी संस्थाओं के साथ सहयोग करने या राज्य की प्रतिष्ठा या सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के लिए दोषी ठहराया।
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