असम में (NRC) नेशनल रजिस्‍टर ऑफ सिटिजंस के चलते जारी सूची में से 19 लाख लोग बाहर हो गए हैं, हालाँकि इन्हे अपील करने के लिए समय और मौके मिलेंगे मगर इसी बीच असम सरकार द्वारा NRC से बाहर हुए लोगों के लिए मुस्लिम बहुल इलाक़े गोलपाड़ा में सबसे बड़े डिटेंशन सेंटर का निर्माण शुरू कर दिया गया है जिसमें 3000 लोगों को रखा जा सकता है इस पर अनुमानित 45 करोड़ रुपये खर्च आएगा।

Hindustan Times की खबर के अनुसार राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि राज्य में पहले ही 6 जेलों को डिटेंशन सेंटर्स में परिवर्तित कर दिया है, अब 10 और डिटेंशन सेंटर्स बनाये जाने की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट मंजूरी के लिए शीघ्र भेज रहे हैं। पहला विशेष और सबसे बड़ा डिटेंशन सेंटर असम के गोलपारा में निर्माणाधीन है जो दिसंबर 2019 तक पूरा हो जाएंगे, जहाँ 3000 लोगों को रखने की क्षमता है।

जिन लोगों के नाम सूची में नहीं हैं, उनके पास अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए 120 दिन के भीतर विदेशी ट्रिब्यूनलों के पास जाने और सबूत पेश करने के विकल्प हैं, सूत्रों के अनुसार नये डिटेंशन सेंटर्स बारपेटा, दिमा हासो, कामरूप, करीमगंज, लखीमपुर, नागांव, नलबारी, शिवसागर और सोनितपुर में बनाने का प्रस्‍ताव रखा गया है।

अन्य 10 डिटेंशन सेंटर्स प्रस्तावित:

प्रस्तावित 10 डिटेंशन सेंटर्स में हर डिटेंशन सेंटर की क्षमता कम से कम 1000 लोगों की होगी, इन सभी सेंटर्स को बनाने में सरकार करीब 1,000 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। असम में 31 जेलें हैं जिनमें इस समय लगभग 9000 कैदी मौजूद हैं, इन सभी जेलों में क्षमता से अधिक कैदी हैं। माना जा रहा है कि असम सरकार NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए लोगों को रखने के लिए इन जेल परिसरों मेंअलग कैंप बनाएगी। असम सरकार ने 200 नए Foreigner Tribunal विदेशी ट्रिब्‍यूनल शुरू किए, जिसके बाद राज्य में कुल 300 विदेशी ट्रिब्‍यूनल हो गए हैं।

NRC की अंतिम सूची से बाहर लोगों को अभी डिटेंशन नहीं :

असम सरकार ने इस बीच साफ कर दिया है कि विदेशी ट्रिब्‍यूनल की ओर से विदेशी घोषित किए जाने से पहले और NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए किसी भी व्‍यक्ति को डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा जाएगा। विदेशी ट्रिब्‍यूनल के फैसले से असंतुष्‍ट लोग अपनी या NRC की अंतिम सूची से बाहर हुए लोग अपनी नागरिकता साबित करने और NRC में शामिल किए जाने के लिए असम हाईकोर्ट व उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।

इससे पहले विदेशी घोषित किए चुके काफी लोगों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी छोड़ा नहीं गया है, सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2019 को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद आदेश दिया था कि 3 साल डिटेंशन में रह चुके विदेशी घोषित लोगों को एक-एक लाख के दो जमानती और सत्‍यापित पता लेकर रिहा कर दिया जाए, ट्रिब्‍यूनल ने 100,000 से ज्‍यादा लोगों को विदेशी घोषित किया था, 2013 तक इनमें से केवल चार लोगों को स्‍वदेश भेजा गया, वहीं 900 से ज्‍यादा लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी भी डिटेंशन में हैं। नौकरशाही और अफसर शाही इन्हे छोड़े जाने की प्रक्रिया में जानबूझ कर देरी कर रही है।

फोटो साभार : नेशनल हेराल्ड.

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