अभी सरकार ने पिछले सप्ताह ही दस केंद्रीय एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की जाँच पड़ताल करने के लिए अधिकृत किया था जिसे लेकर बवाल ख़त्म भी नहीं हुआ है कि सरकार ने आईटी एक्ट में संशोधन करने की तैयारी भी शुरू कर दी है।
Business Standard की खबर के अनुसार गत वर्षों में सोशल मीडिया और मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा था, इसी को लेकर अब सरकार आईटी नियमों में संशोधन करने पर विचार कर रही है, सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों में संशोधन की योजना बना रही है।
सोशल मीडिया के जरिए उन्मादी भीड़, दंगों को भड़काने और अफवाहें फैलाने जैसे मामलों पर लगाम कसने को लेकर सरकार सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में संशोधन करने की तैयारी कर रही है। संशोधन के मसौदे के अनुसार सोशल मीडिया मंचों तथा संदेश सेवा प्रदान करने वाले एप्स को ऐसे ‘व्यवस्था’ करनी होगी जिससे गैरकानूनी सामग्री की ‘‘पहचान’’ हो सके और उन पर अंकुश लगाया जा सके।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले सप्ताह गूगल, फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसी कंपनियों के साथ बैठक कर आइटी एक्ट में संभावित बदलावों पर चर्चा की। हालांकि सूत्र बताते हैं कि मंत्रालय ने कानून में संशोधन के लिए जो मसौदा तैयार किया है उसके मुताबिक इन कंपनियों को अपने प्लेटफार्म पर सभी तरह के गैरकानूनी संदेशों को रोकने की जिम्मेदारी होगी।
साथ ही यह विचार भी है कि सोशल मीडिया पर 2019 के आम चुनाव से पहले किसी तरह के फर्जी संदेशों के प्रसार को रोकने के उपाय ठोस किए जाएं। संशोधन के वृहद प्रभाव को लेकर कुछ हलकों से चिंता जताए जाने के बाद सरकार ने सोमवार को कहा कि वह अभिव्यक्ति की आजादी तथा अपने नागरिकों की निजता को लेकर प्रतिबद्ध है।
IT नियमों में प्रस्तावित संशोधनों के मुताबिक सोशल मीडिया के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध कराने वाली सभी कंपनियों को ऑटोमेटेड तंत्र स्थापित करना होगा जिससे अनचाहे संदेशों को प्रसारित होने से रोका जा सके।
मसौदे के मुताबिक ‘इंटरमीडियरी (सोशल मीडिया प्लेटफार्म) को टेक्नोलॉजी पर आधारित ऐसे टूल्स या मैकेनिज्म स्थापित करने होंगे जो खुद से दुष्प्रचार फैलाने वाले संदेशों की पहचान कर उन्हें रोक सकें।’ मंत्रालय ने आम जनता की राय लेने के लिए इस मसौदे को मंत्रालय की वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया है। जनता से इन प्रस्तावों पर 15 जनवरी तक राय मांगी गई है।
उसके बाद इस पर कोई अंतिम फैसला करेगा। इस बारे में गूगल, फेसबुक और व्हॉट्सएप को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला। सोमवार को जारी बयान में आईटी मंत्रालय ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया मंचों पर आने वाली सामग्री का नियमन नहीं करती। हालांकि, इन कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके मंच का इस्तेमाल आतंकवाद, अतिवाद, हिंसा और अपराध के लिए भड़काने को इस्तेमाल नहीं किया जा सके।