नई दिल्ली: पाकिस्तान आम चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं जिसमें पाकिस्तान तहरीक़ ऐ इंसाफ ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है जिसके बाद पार्टी के मुखिया इमरान खान का वज़ीर ऐ आज़म बनना तय हो गया है, इमरान दुनिया के ऐसे पहले इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं जो किसी देश के प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
इसके अलावा जो पाकिस्तान चुनाव में दिलचस्प है वह है पाकिस्तान के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हिन्दू उम्मीदवारो का जीत दर्ज करना। पाकितान में पहली बार तीन हिंदू नेता सामान्य सीट से चुने गए हैं. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के टिकट पर एक नेशनल असेंबली और अन्य दो सिंध असेंबली के लिए चुनाव जीते हैं.
कौन हैं ये नेता
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के महेश कुमार मलानी दक्षिणी सिंध प्रांत में थारपारकर सीट (एनए-222) से नेशनल असेंबली के लिए चुने गये हैं. थारपारकर में डॉ. मलानी खासे लोकप्रीय नेता हैं. वे यहां से प्रांतीय असेंबली में चुने जाते रहे हैं. उनकी पैंठ थारपारकर में न केवल हिंदू बल्कि मुसलमानों के बीच भी है.
वे बेनजीर भुट्टो के समय से ही पीपीपी के नेता रहे हैं. डॉ. मलानी ने थारपारकर (एनए-222) निर्वाचन क्षेत्र में ग्रैंड डेमोक्रेटिक अलायंस के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अरब जकाउल्ला को मात दी है. एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक मलानी को 37,245 वोट मिले जबकि जकाउल्ला को 18323 वोट मिले. 55 वर्षीय मलानी पाकिस्तान के राजस्थानी पुष्करणा ब्राह्माण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
पीपीपी के दो अन्य हिंदू प्रत्याशी सिंध की प्रांतीय असेंबली के लिए भी चुने गए हैं. सिंध की मीरपुर खास-1 (पीएस-47) से हरिराम किशोरी लाल ने निकटतम प्रत्याशी एमक्यूएम पी के मुजीबुल हक को 9695 मतों से पराजित किया है. साथ ही पीपीपी के ही ज्ञानचंद इसरानी ने जामशोरो-2 (पीएस-81) सीट से जीत दर्ज की है. इसरानी सिंध की पिछली सरकार में आबकारी और कर मंत्री थे.
डॉ. महेश मलानी की यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि वह पहले गैर मुस्लिम राजनीतिज्ञ हैं, जो पाकिस्तान नेशनल असेंबली के चुनाव में जनरल सीट से चुने गए हैं. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में अल्पसंख्यकों और महिलाओं के लिए 72 सीटें आरक्षित हैं.
थारपरकार सीट, जहां 41 प्रतिशत हिंदुओं की आबादी है
थारपरकार पाक में सिंध का सबसे बड़ा जिला है, जिसे सबसे पिछड़े इलाकों में गिना जाता है. जबकि यह इलाका दुनिया ऐसा अकेला रेगिस्तान है, जिसे उपजाऊ माना जाता है. 1998 जनगणना में यहां मुस्लिमों की तादाद 59 फीसदी थी जबकि हिंदुओं की 41 प्रतिशत. बंटवारे के बाद तक यहां हिंदुओं की 80 फीसदी आबादी थी. लेकिन 1965 से 1971 के बीच बड़े पैमाने में हिंदू-मुसलमानों की भारत-पाक के बीच हुई अदला-बदली से इलाके की डेमोग्राफी बदल गई. तब हजारों सवर्ण हिंदू भारत के थार में आ गए और थार से हजारों मुस्लिम परिवारों ने पाक कूच कर गए.
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