साभार बीबीसी हिंदी – उरुग्वे के पूर्व राष्ट्रपति होज़े मुहिका को दुनिया का ‘सबसे ग़रीब राष्ट्रपति’ कहा जाता है. इसकी वजह उनकी बेहद साधारण जीवनशैली है. राजनीति से रिटायर होने के बाद उन्होंने पेंशन लेने से भी इनक़ार कर दिया.
राष्ट्रपति पद के बाद मुहिका साल 2015 से उरुग्वे की संसद में सिनेटर भी रहे हैं. मंगलवार को उन्होंने टर्म पूरा होने से पहले ही अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया. 83 साल के मुहिका ने कहा कि वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे क्योंकि इस लंबी यात्रा से वे थक चुके हैं. मुहिका ने सिनेट की अध्यक्षा और उप-राष्ट्रपति लुसिया तोपोलांस्की को अपना इस्तीफ़ा पहुंचाया, जो उनकी पत्नी भी हैं.
वामपंथी मुहिका ने इस्तीफ़े में लिखा, “फिर भी जब तक मेरा दिमाग काम कर रहा है, मैं एकता और विचारों की जंग से इस्तीफ़ा नहीं दे सकता.” मुहिका मुंहफट होने और कभी-कभी रचनात्मक भाषा में बात रखने के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने अपने इस्तीफ़े में कहा कि अगर उन्होंने अपने किसी सहयोगी को बहस के दौरान निजी तौर पर दुखी किया हो तो उसके लिए वो माफ़ी चाहते हैं.
साल 2013 में उन्हें अर्जेंटीना के तत्कालीन राष्ट्रपति से माफ़ी भी मांगनी पड़ी थी. उन्होंने राष्ट्रपति क्रिस्टीना को ‘बूढ़ी चुड़ैल’ कह दिया था. साथ ही क्रिस्टीना के पति और अर्जेंटीना के पूर्व राष्ट्रपति नेतोर किर्सनर के आंखों की बीमारी पर भी गलत टिप्पणी की थी. उनकी ये टिप्पणी एक न्यूज़ कॉन्फ्रेस के दौरान रिकॉर्ड हो गई थी जब उन्हें अंदाज़ा नहीं था कि माइक्रोफ़ोन ऑन है. साल 2016 में उन्होंने वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मेदुरो को ‘बकरी जैसा पागल’ कह डाला था.
संसद के सत्र के दौरान उनके विरोधियों ने कहा कि उन्हें यकीन नहीं है कि मुहिका राजनीति से रिटायर होंगे या नहीं. सिनेटर लुइस अलबर्टो हीबर ने कहा था कि उन्होंने सुना है कि वो साल 2019 में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफ़ा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा, “ज़ाहिर है कि हमें अच्छा ही लगेगा कि आप अपना खाली समय आराम करने में बिताना चाहते हैं, बजाय हमारी पार्टी के ख़िलाफ़ काम करने के. आपको शुभकामनाएं!”
जहां एक तरफ़ उनके सहयोगियों ने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं, वहीं सोशल मीडिया पर उनके आलोचक कह रहे हैं कि उन्हें 1960 और 70 के दशक में विद्रोही ग्रुप के सदस्य होने के लिए माफ़ी मांगनी चाहिए.
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