पिछले साल 1 अप्रेल 2018 को रवीश कुमार जी का एक लेख द वायर में प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक था “नौकरियों के विज्ञापन निकाल कर सरकारें नौजवानों को उल्लू बना रही हैं।
ये बात सौ फ़ीसदी सच साबित हो रही है, आइये देखते हैं इस सरकार ने देश के बेरोज़गारों को दोहरी मार मारकर इस युवा पीढ़ी से कितना बड़ा क्रूर मज़ाक़ किया है।
देश में बेरोज़गारी चरम पर है, बल्कि देश का युवा 45 साल में सबसे भीषण बेरोज़गारी का सामना कर रहा है, अभी कुछ मांहिने पहले ही भारत को विश्व के सबसे ज़्यादा बेरोज़गारों के देश का ताज प्रदान किया गया था, देश में बेरोजगारी से तंग आकर हर साल 579 युवा आत्महत्या कर रहे हैं।
NCRB की रिपोर्ट को आधार मानें तो वर्ष 2001 में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वाले युवाओं की संख्या 84 थी, यह 2016 में 579 हो गई है। बेरोजगारी के कारण खुदकुशी करने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। 15 साल में प्रदेश में कुल 1874 युवाओं ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की है।
इधर नौकरियों के नाम पर सरकार देश की जनता और बेरोज़गार युवकों को कैसे मूर्ख बना रही है, यहाँ समझ सकते हैं।
सरकार ने नौकरियां देने के बदले नौकरियों के आवेदन और भर्ती परीक्षाओं को अपने मुनाफे का धंधा बना लिया है। बीते पांच साल के व्यापमं के रिकाॅर्ड को खंगाले तो पता चला कि 86 लाख बेरोजगारों ने अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं के नाम पर 350 करोड़ की परीक्षा फीस दी है।
पीएससी में पांच साल में 12 लाख छात्रों ने 80 करोड़ रुपए फीस दी है। हालांकि नौकरी कितनों को मिली, इसका सीधा जवाब सरकार के पास भी नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण में भी सरकार ने इसका कहीं उल्लेख नहीं किया है।
2017 : तीन एग्जाम, कहीं परीक्षा रद्द तो कहीं रिजल्ट पर रोक :
पटवारी परीक्षा :-
अक्टूबर 2017 : 9 हजार पद
कुल अनुमानित फीस ली गयी : 38 करोड़ रुपए.
हुआ क्या : 9 दिसंबर से परीक्षा शुरू हुई, 10.20 लाख परीक्षार्थी थे, दावा था कि जनवरी में रिजल्ट मिल जाएंगे, लेकिन 26 मार्च को रिजल्ट घोषित हुए हैं, नियुक्ति कब मिलेगी, पता नहीं।
पांच साल में भर्ती परीक्षाओं के नाम पर युवाओं से वसूली :-
पीएससी : 12 लाख परीक्षार्थी, 5 हजार पद, परीक्षा फीस- 80 करोड़ रुपए
12 दिसंबर 2017 : 209 पद
कुल अनुमानित फीस ली गयी : 12 करोड़ रुपए
हुआ क्या- 18 फरवरी 2018 को परीक्षा हुई, लेकिन प्रश्न पत्र के सवालों पर सवाल उठ गए। हाईकोर्ट ने पीएससी प्री के रिजल्ट पर रोक लगा दी। 2.80 लाख छात्रों का भविष्य अधर में है।
ये तो सिर्फ मध्य प्रदेश के आंकड़े हैं, पूरे देश के राज्यों के आंकड़े देखेंगे तो डरावने ही निकलेंगे !
सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में नौकरियों की जानकारी नहीं दी है। सरकार ने बताया है कि 2015 में 732 और 2016 में 422 लोगों को रोजगार दिलाया गया। 2017 के रोजगार के आंकड़े नहीं बताए।
भारत सरकार की एक लीक हुई रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि इस समय बेरोज़गारी की दर 1970 के दशक के बाद से सबसे ज़्यादा है, भारत में बेरोज़गारी की दर 6.1 फ़ीसदी है जो कि साल 1972-73 के बाद से सबसे ज़्यादा है।
बेरोज़गारी के जिस ताज़ा आंकड़े को मोदी सरकार ने जारी करने से मना कर दिया था, बिज़नेस स्टैंडर्ड अख़बार ने उस रिपोर्ट को हासिल कर सार्वजनिक कर दिया है। भारत में बेरोज़गार लोगों की संख्या बढ़ रही है और केवल 2018 में ही क़रीब एक करोड़ 10 लाख लोगों की नौकरियां गई है।
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