ISRO की अंतरिक्ष परियोजनाओं में महिला वैज्ञानिकों की बढ़ती सहभागिता प्रसन्नता और‌ गर्व का‌ विषय है, चंद्रयान-3 की टीम में मौजूद महिला वैज्ञानिकों ने इतिहास बनाने में कंधे से कंधा मिलाकर योगदान दिया था।

अब भारत की एक और महत्वाकांक्षी परियोजना सूर्य मिशन ADITYA-L1 से जुड़ी खबर आई है कि इस मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर ही 59 वर्षीय एक महिला वैज्ञानिक निगार शाजी हैं जो तमिलनाडु के सेनगोट्टई गांव की निवासी हैं। आदित्य एल-1 मिशन के सफल विजयी प्रक्षेपण के बाद उनकी प्रतिभा और उपलब्धि के चर्चे सभी की ज़बान पर हैं।

उनका जन्म तमिलनाडु के सेनगोट्टई शहर में एक मेहनती किसान शेख मीरान और एक समर्पित गृहिणी सैतून बीवी के घर हुआ था।

निगार शाजी एक प्रतिभाशाली छात्रा रही हैं, वो 10वीं कक्षा में जिले में प्रथम और 12वीं कक्षा में स्कूल में प्रथम स्थान पर रही थीं। तिरुनेलवेली के एक कॉलेज से अपनी इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद, शाजी ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रांची से एम.टेक पूरा किया और फिर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हो गईं।

इन वर्षों में वो विभिन्न परियोजनाओं में शामिल रहीं और लगभग आठ साल पहले उन्हें आदित्य-एल1 के प्रमुख की जिम्मेदारी मिली।

निगार शाजी बताती हैं कि “मैं आठ वर्षों से इस जटिल परियोजना का नेतृत्व कर रही हूं। यह एक चुनौतीपूर्ण परियोजना थी, अंतरिक्ष यान को प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।”

निगार शाजी के पति एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं जो दुबई में काम कर रहे हैं, बेटा, जिसने पीएचडी की है, नीदरलैंड में काम कर रहा है और बेटी डॉक्टर है और पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है।

निगार शाजी का कहना है कि चंद्रयान -2 मिशन में दो महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, परियोजना निदेशक एम वनिता और मिशन निदेशक रितु करिधल श्रीवास्तव। इसी तरह चंद्रयान-3 के मामले में भी डिप्टी डायरेक्टर कल्पना ने अहम भूमिका निभाई है।

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