कालेधन को निकालने के नाम पर नोटबंदी झेल चुकी देश की जनता को अब जल्दी ही ‘सोनाबंदी’ भी झेलना पड़ सकती है, सूत्रों के अनुसार तय मात्रा से ज्यादा बिना रसीद के सोना रखे होने पर उसकी जानकारी सरकार को देनी होगी साथ ही उसकी कीमत सरकार को बतानी होगी, और उसपर टैक्स चुकाना होगा और न बताने पर भारी जुर्माना देना होगा।

Financial Express की खबर के अनुसार सरकार इनकम टैक्स की एमनेस्टी स्कीम के तर्ज पर सोने के लिए एमनेस्टी स्कीम लागू कर सकती है, अगर किसी के पास सरकार द्वारा तय की गयी मात्रा से ज्यादा का सोना है तो उन्हें इसका खुलासा करना होगा, जिसके बाद उस पर टैक्स देना होगा। इस एमनेस्टी स्कीम के तहत सोने की कीमत तय करने के लिए मूल्यांकन केन्द्र से प्रमाणपत्र (Certificate) लेना होगा। इसके तहत बिना रसीद वाले जितने सोने का खुलासा करेंगे उस पर एक तय मात्रा में टैक्स देना होगा।

इस योजना को इसलिए अमल में लाया जाने वाला है कि सरकार को शक है कि नोटबंदी के दौरान लोगों ने गलत तरीके से बड़े पैमाने पर सोने में निवेश किया था, अब सरकार इस योजना से कालेधन से खरीदे गए सोने को बाहर निकलवाने की तैयारी में है।

साथ ही सरकार मंदिर और ट्रस्ट के पास पड़े सोने को भी Productive investment के तौर पर इस्तेमाल के लिए योजना ला सकती है, सूत्रों के हवाले से खबर है कि वित्त मंत्रालय के इकोनॉमिक अफेयर्स विभाग और राजस्व विभाग ने मिलकर इस योजना का मसौदा तैयार किया है।

सूत्र बताते हैं कि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में ही कैबिनेट में इस पर चर्चा होनी थी, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने की वजह से अंतिम समय में इस मसले को कुछ समय के लिए टाल दिया गया था।

भारत की जनता के लिए सोना उनके लिए बचत और निवेश का सबसे बड़ा माध्यम है, ऐसे में यदि सरकार इस तरह की गोल्ड एमनेस्टी स्कीम लागू करती है तो इसका सबसे ज़्यादा प्रभाव ठीक नोटबंदी की तरह आम जनता पर ही पड़ेगा।

खबर लिखते लिखते ही Economic Times के हवाले से एक खबर आयी है कि सरकार अघोषित सोने पर जुर्माना लगाने वाली कोई योजना लेकर नहीं आ रही है, जैसा कि इनकम टेक्स विभाग के हवाले से मीडिया में ख़बरें चल रही है।

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