कांग्रेस की न्याय (न्यूनतम आय योजना) योजना गेमचेंजर हो सकती है, ये रिपोर्ट दुनिया के प्रसिद्द रिसर्च ऑर्गनाइजेशन ‘World Inequality Lab’ ने भारत में गरीबों को लुभाने के लिए BJP और कांग्रेस की योजनाओं का विस्तृत अध्ययन कर पेश की है।

The Week के अनुसार पेरिस स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स स्थित ‘World Inequality Lab’ के सहायक निदेशक लुकास चैन्सेल ने ये बात कही कि कांग्रेस की NYAY (न्यूनतम आय योजना) गरीबी कम करने में गेमचेंजर हो सकती है। जबकि भाजपा की गरीब सवर्णों को 10 % आरक्षण की योजना का फायदा सिर्फ अमीर लोग उठा सकेंगे।

World Inequality Lab ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत में सामाजिक खर्च बहुत कम है, जबकि आर्थिक असमानता की खाई बहुत चौड़ी है। लैब के को-डायरेक्टर ल्यूकस चांसेल ने कहा कि आगामी सरकार को आर्थिक असमानता दूर करने के लिए प्रतिबद्ध होकर काम करने होंगे क्योंकि अबतक की सरकारों ने इसमें उदासीनता दिखाई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1980 के दशक से ही 0.1 % धनकुबेरों ने देश की 50 % आबादी की तुलना में अधिकांश संपत्ति पर कब्जा कर रखा है।

लैब ने भाजपा और कांग्रेस द्वारा मिशन 2019 के तहत गरीबों को लुभाने के लिए लॉन्च की गई योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन किया है। रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा 25 मार्च, 2019 को घोषित न्याय योजना से देश के करीब 20 % लोगों को फायदा हो सकता है। योजना के मुताबिक इतनी बड़ी आबादी को हरेक महीने 6,000/- रुपये खाते में कैश डाले जाएंगे। सालाना यह रकम 72,000/- होगी। इसके लिए वैसे परिवार योग्य होंगे जिनकी मासिक आय 12000/- रुपये या उससे कम होगी।

World Inequality Lab ने अपनी रिपोर्ट में इस योजना को गेमचेंजर बताते हुए कहा गया है कि इससे जीडीपी पर 1.3 % का बोझ आएगा लेकिन समाज के 33 % गरीब परिवारों की आर्थिक उन्नति होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर योजना में सालाना एक लाख रुपये दिए जाते तब जीडीपी पर 2.6 % का बोझ आता मगर देश की 48 % निचली तबके के परिवार लाभान्वित होते। रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यूनतम आय देने से गरीबों की जिंदगी में अप्रत्याशित बदलाव की उम्मीद है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि न्यूनतम आय की वजह से न केवल सामाजिक खर्च में इजाफा होगा बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में भी गुणात्मक बदलाव आ सकेंगे।

World Inequality Lab ने BJP द्वारा गरीब सवर्णों को 10 % आरक्षण देने की बात को राजनीतिक स्टंट करार दिया है और कहा है कि 8 लाख रुपये की सालाना आय, पांच एकड़ से कम कृषि भूमि, 1000 वर्गफीट से कम क्षेत्र में घर या 900 वर्गफीट  से कम आवासीय भूखंड या 1800 वर्गफीट से कम आवासीय भूखंड की शर्तों की वजह से देश की अधिकांश आबादी आरक्षण की हकदार हो गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की करीब 93 % आबादी 8 लाख की आय सीमा के दायरे की वजह से, 96 % कृषि भूखंड पैमाने के हिसाब से, 80 % आवासीय परिसर के पैमाने से और 73 % शहरी आबादी रेससिडेंशियल प्लॉट के पैमाने की वजह से आरक्षण की हकदार हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 50 % गरीब परिवारों को आरक्षण का लाभ देने के मकसद से नियम बनाए जाते तो वार्षिक आय का पैमाना 2 लाख रुपये पर तय किया जाना चाहिए था। अब ऐसा नहीं होने से समाज के धनी और प्रबुद्ध लोग इसका फायदा उठा सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सामाजिक न्याय की अवधारणा से अलग है और ऐसा प्रतीत होता है कि इसे राजनीतिक मकसद से लागू किया गया है।

2019 के चुनावी मैदान में नरेंद्र मोदी ने जहां गरीब सवर्णों (EWS) को 10 % आरक्षण का तोहफा देकर उन्हें लुभाने की कोशिश की थी तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उसके काउंटर में गरीब परिवारों को न्यूनतम आय की गारंटी देने का वादा किया है। कांग्रेस की NYAY (न्यूनतम आय योजना) योजना के तहत हरेक गरीब परिवार को सालाना 72000/- रुपये दिए जाएंगे। यानी हर महीने उन्हें 6000/- रुपये दिए जाएंगे।।

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