मध्यप्रदेश में सत्ता के लिए पिछले 15 वर्षों से जूझ रही कांग्रेस को इस बार पूरा यकीन है कि वो मध्यप्रदेश की सत्ता में क़ाबिज़ हो जायेगी. उसके लिए पार्टी कई स्तर पर प्लान बना रही है. सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी मध्यप्रदेश में प्रचार के पहले चरण में नीमच-मांडवा-धार क्षेत्र का दौरा करेंगे. इसमें 22 विधानसभा सीटें कवर की जाएंगी. गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों के दौरान भी, राहुल ने अपनी चुनावी अभियान रणनीति के तहत मंदिरों का दौरा किया था, और इस कदम को उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ कहा गया था.

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के एक सूत्र का कहना था कि ‘कांग्रेस अध्यक्ष सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड खेलने के लिए मंदिर नहीं जाते हैं. यहां तक कि गुजरात और कर्नाटक चुनावों से पहले भी, उन्होंने उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान मंदिरों का दौरा किया था. लेकिन चूंकि यह मीडिया की नजरों से बाहर रहा, इसलिए इस पर किसी ने बात नहीं की. राहुल ओमकारेश्वर के अलावा, अन्य जिलों के मंदिरों का भी दौरा कर सकते हैं.’

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान-बीजेपी शासित तीन राज्य जहां चुनाव होने जा रहे हैं- कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है. मध्य प्रदेश में पिछले 15 सालों से शिवराज सिंह चौहान की अगुआई वाली बीजेपी सत्ता में है. 2003 में दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में मध्य प्रदेश में एक दशक लंबे कांग्रेस शासन के अंत के बाद, पार्टी सत्तारूढ़ भाजपा को मजबूत चुनौती दे पाने में नाकाम रही है.

राज्य में पार्टी की जीत की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए इस साल अनुभवी नेता और छिंदवाड़ा के सांसद कमलनाथ और तुलनात्मक रूप से युवा गुना के सांसद सिंधिया को मध्यप्रदेश में प्रमुख जिम्मेदारियां दी गई हैं. पीसीसी ने चुनाव प्रचार का मोर्चा मजबूत करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य विकल्पों के इस्तेमाल की भी योजना तैयार की है.

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