भारत में अमीरों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है, और साथ ही में अमीरों की संपत्ति में भी वृद्धि हो रही है, फ़ोर्ब्स की ताज़ा लिस्ट में मुकेश अम्बानी 13वें स्थान पर पहुँच गए हैं, 2018 में वो 19वें स्थान पर थे जबकि 2017 में उनका 33वां स्थान था।

2018 में मुकेश अम्बानी की कुल संपति 40.1 अरब डॉलर थी. यह 2019 में बढ़कर 50 अरब डॉलर पर पहुंच गई है, अज़ीम प्रेमजी फोर्बेस की ताज़ा सूची में 22.6 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 36वें स्थान पर हैं।

पिछले सालों में मुकेश अम्बानी दान और परोपकार के कार्यों में भारत में टॉप पर थे, विश्व के अमीरों की संपत्ति और दान तथा परोपकार के आंकड़े जारी करने वाली Hurun Report ने Hurun India के स्त्रोत से जारी आंकड़ों में ये घोषणा की थी कि मुकेश अंबानी हुरुन इंडिया परोपकार सूची में शीर्ष पर हैं, उन्होंने अक्टूबर 2017 से सितंबर 2018 के बीच सबसे अधिक 437 करोड़ का दान दिया।

वहीँ इसी सूची में 113 करोड़ के दान के साथ विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी तीसरे स्थान पर थे, दूसरे स्थान पर 200 करोड़ के दान के साथ अजय पीरामल परिवार था।

मगर अब 1.45 लाख करोड़ रुपये (21 बिलियन डॉलर) की संपत्ति दान करने की करने की घोषणा करने वाले अज़ीम प्रेमजी न सिर्फ भारत बल्कि एशिया के टॉप और विश्व के टॉप पांच दानदाताओं में पांचवें नंबर पर पहुँच गए हैं। अज़ीम प्रेमजी एशिया में सबसे बड़े दानदाता होंगे जिन्होंने इतनी बड़ी रकम परोपकारी कार्यों में खर्च करने का वादा किया है, इसके साथ ही इतनी रकम दान करने वाले दुनिया के पांच सबसे बड़े अरबपतियों में प्रेमजी का नाम भी शामिल हो गया।

73 साल के अज़ीम प्रेमजी अब बिल गेट्स, जॉर्ज सोरोस और वारेन बफे सहित दुनिया के सबसे प्रभावशाली परोपकारी अरबपतियों की लिस्ट में शामिल हो गए हैं। विश्व के पांच टॉप दानदाताओं में वो अब पांचवें स्थान पर 15.7 बिलियन डॉलर के साथ मौजूद लंदन के गारफील्ड वेस्टन फाउंडेशन की जगह लेंगे।

बुधवार 13 मार्च को अज़ीम प्रेमजी ने घोषणा की थी कि विप्रो के लगभग 34% शेयरों से लगभग 52,750 करोड़ रुपये ($ 7.5 अरब) की कुल आय अजीम प्रेमजी फाउंडेशन को स्थानांतरित की जाएगी, इसके साथ विप्रो के 67 फीसदी शेयरों से हुई कमाई को धर्मार्थ कार्यों में खर्च किया जाएगा।

अज़ीम प्रेमजी की इस पहल से, प्रेमजी द्वारा परोपकार कार्य के लिए दान की गई कुल रकम 1,45,000 करोड़ रुपये (21 अरब डॉलर) हो गई है, जो कि विप्रो लिमिटेड के आर्थिक स्वामित्व का 67 फीसदी है। विप्रो के चेयरमैन द्वारा एक दशक पहले शुरू की गई उनकी शिक्षा-केंद्रित परोपकारी पहल देश के दूरस्थ स्थानों में शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार लाने पर काम कर रही है. इसी मुहिम के तहत बेंगलुरु में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय भी चल रहा है।

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