केरल में मेहर का एक मामला इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा में है, जिसमें दुल्हन ने अपने होने वाले पति के सामने जायदाद, जेवरात और पैसों की जगह सिर्फ अपनी पसंद की 100 किताबें देने की शर्त रखी थी।
New Indian Express के अनुसार कोल्लम में रूढ़ियों और परम्पराओं को तोड़ते हुए अक्टूबर 2018 में एक अनूठा निकाह हुआ, जिसमें मेहर के तौर पर 100 किताबें लिखी गईं थीं । कोल्लम शहर के एक कॉलेज में बीएड की छात्रा 24 साल की दुल्हन अजना निज़ाम की शादी तिरुवनंतपुरम के मदावूर ग्राम पंचायत में काम करने वाले 26 साल के सिविल इंजीनियर एजाज़ हकीम के साथ हुई थी।
अजना निज़ाम ने अपने होने वाले शौहर के सामने मेहर में जायदाद, जेवरात और पैसों की जगह 100 किताबें देने की शर्त रखी थी, दूल्हे एजाज़ हकीम ने दुल्हन की शर्त मंज़ूर कर ली थी, अजना निज़ाम ने अपनी पसंद की 100 किताबों की लिस्ट भी एजाज़ को सौंपी थी।
इस फैसले पर दोनों के रिश्तेदारों और दोस्तों ने कड़ा विरोध किया था, मगर दूल्हा दुल्हन के माता-पिता उन दोनों के फैसलों से सहमत थे इसलिए उन्हें अपने फैसले पर क़ायम रहने पर ख़ुशी हुई।
इस्लामी नियम के तहत मेहर वो रक़म है जो किसी लड़की का होने वाला शौहर लड़की तो तोहफे के तौर पे दिया करता है लेकिन यह रक़म लड़की तय किया करती है | इस मेहर को न तो वापस लिया जा सकता है और ना ही माफ़ करने के लिए लड़की पे दबाव डाला जा सकता है | इस रक़म के निकाह के पहले अदा किया जाना चाहिए या फिर लड़की जैसी शर्त रखे उसके अनुसार अदा किया जाना चाहिए |
100 किताबों की लिस्ट से किताबें इकठ्ठी करने में दूल्हे एजाज़ को बड़ी मुश्किलें आईं थीं, अजना निज़ाम की किताबों की लिस्ट में भगवद गीता, बाइबिल और कुरान के साथ खालिद होसैनी, हारुकी मुराकामी और मिशेल ओबामा की जीवनी भी शामिल थीं।
29 दिसंबर 2019 को अजना निज़ाम और एजाज़ हकीम ने अपनी शादी की सालगिरह को अनूठे ढंग से मनाया, इस दिन एजाज़ हकीम ने दुल्हन को उसकी चाही गई 99 किताबें सौंपी। एक आखरी 100वीं किताब भारत का संविधान है जो एजाज़ जल्दी ही लेकर दुल्हन को सौंपेंगे।
एजाज़ बताते हैं कि हमारी सगाई के बाद एक बार बातों ही बातों में अजना ने उनसे कहा था कि उसे किताबें बहुत पसंद हैं और वो मेहर में जायदाद, जेवरात और पैसों की जगह सिर्फ 100 किताबें ही चाहती है, मैंने अपने माता पिता को इस फैसले के बारे में बताया तो वो सहमत हो गए।
ये पहला मौक़ा नहीं है जब दक्षिण भारत में इस तरह से रूढ़ियों और परम्पराओं को तोड़ कर सकारात्मक पहल की गई है, इसे पहले 2016 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में ग्रेजुएट सेहला नीचिल ने मेहर के तौर पर सिर्फ 50 किताबों की मांग की थी। उसने कहा कि वह मलप्पुरम के मुसलमानों को दिखाना चाहती थी कि दूल्हा दुल्हन पक्ष की सहमति से बिना सोने और पैसों के भी ये रस्में निभाई जा सकती हैं, निकाह हो सकते हैं।
सोशल मीडिया पर ये मामला खूब वायरल हो रहा है, टवीटर पर ये ‘100 books as Mehr’ के नाम से ट्रेंड कर रहा है यूज़र्स रूढ़ियों को तोड़ती इस सादगी और आसान निकाह की दिल खोलकर तारीफ कर रहे हैं।
Wow! Setting an example!
Kudos!🙏💓#Respecthttps://t.co/h0kyFMsP88— Ansar Alam (@theansar) January 22, 2020
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