देशभर में लगभग हर राज्य में CAA और NRC के विरोध में बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, हज़ारों लोग सड़कों पर हैं, जामिया से निकला ये विरोध देशव्यापी हो चुका है, इसी विरोध प्रदर्शनों के लेकर हज़ारों गिरफ्तारियां भी की जा चुकी हैं, और कई राज्यों से पुलिस फायरिंग में मारे जाने की ख़बरें भी हैं।

CAA और NRC के विरोध में कई बुद्धिजीवी, यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स, वकील, सेलेब्रिटी, महिलाएं और फिल्म स्टार्स भी शामिल हो गए हैं, कई राज्यों में धारा 144 लग दी गई है, विरोध प्रदर्शन करने पर हज़ारों लोगों की गिरफ्तारियां की जा रही हैं।

ऐसी ही एक गिरफ़्तारी प्रसिद्द इतिहासकर और लेखक रामचंद्र गुहा की भी की गई। वो शांतिपूर्ण ढंग से गाँधी जी का फोटो लेकर खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे थे, रामचंद्र गुहा को बृहस्पतिवार को यहां टाउन हॉल में नागरिकता संशोधन अधिनियम और NRC के खिलाफ प्रदर्शन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।

अपनी गिरफ़्तारी पर CAA और NRC का विरोध कर रहे इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि “असली टुकडे-टुकडे गिरोह दिल्ली में बैठे भारत के शासक हैं। यही बंटवारा करने वाली असली लोग हैं। वे देश को सिर्फ धर्म पर नहीं, बल्कि भाषा पर भी विभाजित कर रहे हैं और हम उनका अहिंसात्मक ढंग से विरोध करेंगे।”

India Today के अनुसार रामचंद्र गुहा ने बताया कि उन्होंने बेंगलुरु में लागू धारा 144 का उल्लंघन नहीं किया था। उनका कहना है कि धारा 144 औपनिवेशिक युग का कानून है और इसका प्रयोग हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के अहिंसक आंदोलन के दमन के लिए किया गया था। रामचंद्र गुहा ने कहा कि “नागरिकता संशोधन अधिनियम एक ध्रुवीकरण कानून है, मुझे हिरासत में अवैध तरीके से लिया गया। हम किस तरह का लोकतंत्र बन रहे हैं ?

रामचंद्र गुहा ने कहा कि “मैंने आज पुलिसकर्मियों के लिए हमदर्दी महसूस की क्योंकि वे शर्मिंदा थे और वे ऊपर से आदेशों पर काम कर रहे थे। वो पुलिसकर्मी इस बात को जानते थे कि धारा 144 लगाने की कोई ठोस वजह नहीं थी।”

जब रामचंद्र गुहा से पूछा गया कि वह पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से कैसे जवाब की उम्मीद करते हैं, तो रामचंद्र गुहा ने कहा, “गांधी का जन्म गुजरात में हुआ था, लेकिन वो गुजरात के लिए आसक्त (जुनूनी) नहीं थे। वह एक हिंदू पैदा हुए थे, लेकिन वे हिंदू धर्म के लिए हठधर्मी नहीं थे। गांधी एक भारतीय थे लेकिन वह दुनिया से सीखने को तैयार थे। और शाह-मोदी ध्रुवीकरण की जो राजनीति कर रहे हैं वह हमें अपने संस्थापकों की नजरों में नहीं बल्कि दुनिया के सामने भी शर्मसार कर रही है।”

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