CAA-NRC पर चल रहे देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों और सोशल मीडिया पर वायरल अफवाहों के चलते गृह मंत्रालय के अधिकारी ने आज बयान दिया है कि देशव्यापी NRC में आधार, पासपोर्ट और वोटर आईडी नागरिकता के सबूत नहीं माने जा सकते।

21 दिसंबर 2019 को New Indian Express में प्रकाशित खबर  के अनुसार देशव्यापी NRC लागू होने पर ज़रूरी दस्तावेज़ों पर बातचीत के दौरान उच्च अधिकारियों ने ये बात कही।

पासपोर्ट और वोटर आईडी को नागरिकता का दस्तावेज़ नहीं माने जाने का ये बयान इसलिए आया है कि कुछ दिन से सोशल मीडिया पर खबर वायरल हो रही है कि NRC के समय वोटर आईडी को नागरिकता का दस्तावेज़ या सबूत माना जायेगा।

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि अभी NRC और उसके लिए ज़रूरी दस्तावेज़ों के बारे में बात करना जल्दबाज़ी होगी, उन्होंने कहा कि मतदाता पहचान पत्र, आधार और पासपोर्ट जैसे दस्तावेज NRC के समय नागरिकता के सबूत नहीं माने जा सकते।

अधिकारियों के अनुसार उपरोक्त ये सभी दस्तावेज़ (आधार, पासपोर्ट और वोटर आईडी) विदेश यात्रा करने, देश में आपके निवास करने और आपका पता ठिकाना बताने के दस्तावेज़ है मगर नागरिकता के नहीं। बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी CAA के बारे में फैले भ्रम को दूर करने के लिए टवीट किया।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “भारत की नागरिकता जन्म तिथि या जन्म स्थान या दोनों से संबंधित कोई भी दस्तावेज देकर साबित की जा सकती है। आगे ऐसी सूची में बहुत सारे सामान्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नागरिक अनुचित रूप से परेशान नहीं हो। ”

अधिकारी ने कहा कि “किसी को भी भारतीय नागरिकता अपने आप नहीं मिलेगी। हर एक को नागरिकता की पात्रता साबित करनी होगी।”

उन्होंने कहा कि “कानून अधिनियम की धारा 14 A के तहत नागरिक को राष्ट्रीय पहचान पत्र प्रदान करता है।” NRC के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि “लोगों को बाहर निकाल फेंकने का कोई इरादा नहीं है। लोग कुछ ज़्यादा ही चिंतित हैं। कानून में सबके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं।”

कोई भी राज्य NCR, CAA या NPR को लागू करने से मना नहीं कर सकते :

केरल ने घोषणा की थी कि वो पश्चिम बंगाल की तरह ही राज्य में NRC आगू नहीं होने देगा, केंद्र ने कहा कि राज्यों के पास NCR, CAA या NPR लागू नहीं करने का अधिकार नहीं है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि NCR, CAA या NPR के कार्यान्वयन को रोकना राज्यों के नियंत्रण से परे है।

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