अमरीका ने कभी WMD (नर संहारक हथियारों) के नाम पर ईराक़ को बदनाम कर विश्व समुदाय को मूर्ख बनाया और युद्ध करके सद्दाम हुसैन को रास्ते से हटा कर कठपुतली सरकार बैठाई और उसके बाद तेल व्यवसाय को अपनी कंपनियों को ठेके दिलाकर हथियाया, इराक के पास तो खैर WMD न तो थे और आ ही बरामद हुए, मगर दुनिया को बाद में पता चला कि विश्व का सबसे बड़ा WMD तो अमरीका ने शायद गुप्त रूप से तैयार भी कर लिया है, और वो मारक हथियार है HAARP .

HAARP का नाम सुना है आपने, नहीं सुना हो तो आज इसके बारे में जान लीजिये, HAARP का फुल फॉर्म है ‘High Frequency Active Auroral Research Program’, अर्थात हाई फ्रीक्वेंसी एक्टिव औरोरल रिसर्च प्रोग्राम’, इस प्रोग्राम की स्थापना 1992 में गाकोना, अलास्का में की गयी थी।

HAARP यानि उच्चस्तरीय एंटेनाओं का समूह वायुमंडल की ऊपरी परत, जिसे आइनोंस्फेयर कहते हैं में उच्च आवृत्ति रेडियो तरंगें और ऊर्जा की भारी मात्रा संचारित करता है। आईनोस्फेयर वस्तुतः पृथ्वी के वायुमंडल की वह परत है जहाँ आयनों और मुक्त इलेक्ट्रॉनों की भारी मात्रा संकिलित रहती है तथा जो रेडियो तरंगों को प्रतिबिंबित करने में सक्षम है, यह पृथ्वी की सतह से 80 से 1000 किमी की ऊंचाई तक फैली हुई होती है।

इस परियोजना को अमेरिकी वायु सेना, अमेरिकी नौसेना और अत्याधुनिक रक्षा रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) द्वारा वित्त पोषित किया गया, इसका संचालन वायु सेना अनुसंधान प्रयोगशाला और नौसेना अनुसंधान कार्यालय द्वारा संयुक्त रूप से होता था।

HAARP के शक्तिशाली एंटेना प्रणाली के माध्यम से आईनोस्फेयर क्षेत्र को नियंत्रित किया जाता था, आधिकारिक वेबसाइट www.haarp.alaska.edu के अनुसार, HAARP का उपयोग आइनोंस्फेयर क्षेत्र के तापमान में एक छोटा स्थानीय परिवर्तन करने में किया गया, उसके पश्चात HAARP स्थल के करीब स्थित अन्य उपकरणों के माध्यम से उसके कारण होने वाली प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता था।

लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान International Institute of Concern for Public Health के अध्यक्ष रोसली बर्टेल ने कहा कि HAARP एक प्रकार का विशाल हीटर है जिसके कारण आइनोंस्फेयर क्षेत्र में बड़ी उथलपुथल हो सकती है । इससे प्रथ्वी की सुरक्षात्मक परत में छेद हो सकता है, जिसके कारण घातक विकरण की बमबारी भी हो सकती है।

भौतिक विज्ञानी डॉ बर्नार्ड एस्त्लुन्द के अनुसार यह आइनोंस्फेयर क्षेत्र का अब तक का सबसे बड़ा हीटर है, अमेरिकी वायु सेना द्वारा HAARP को एक अनुसंधान कार्यक्रम के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, लेकिन सैन्य दस्तावेजों इस बात की पुष्टि करते हैं कि इसका मुख्य उद्देश्य मौसम के मिजाज में फेरबदल और संचार और रडार में खलल डालना है, जो आइनोंस्फेयर क्षेत्र में संशोधन के माध्यम से संभव होता है ।

रूसी राज्य ड्यूमा की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका HAARP कार्यक्रम के द्वारा बड़े पैमाने पर प्रयोग में लगा हुआ है और ऐसे हथियार बना रहा है, जो रेडियो संचार लाइनों और अंतरिक्ष यान और रॉकेट के उपकरणों को तोड़ने में सक्षम हों। उसकी योजना बिजली नेटवर्क, तेल और गैस पाइपलाइनों में गंभीर दुर्घटनाओं को भड़काने की भी है, जिसका संपूर्ण क्षेत्र के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पडेगा।

अमेरिकी वायु सेना की जो योजना सूत्रों से प्रकाश में आई है, उसके विश्लेषण से स्पष्ट होता है कि मौसम के मिजाज, संचार और विद्युत प्रणाली में गुप्त हेरफेर वैश्विक युद्ध का एक घातक हथियार बनने जा रहा है, जो अमेरिका को सम्पूर्ण क्षेत्र को बाधित करने और हावी होने में सक्षम बना देगा।

इस हथियार का उपयोग किसी भी देश के खिलाफ उसकी जानकारी के बिना किया जा सकेगा और उसकी अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिक तंत्र और कृषि को अस्थिर करने में इस्तेमाल करना संभव होगा, वित्तीय और कमोडिटी बाजार में कहर आ जाएगा, कृषि के क्षेत्र में व्यवधान होने से खाद्य सहायता के लिए अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों पर ज्यादा निर्भरता होगी।

HAARP सिस्टम पूरी तरह से कार्यक्षम है, संक्षेप में कहा जाए तो मौजूदा पारंपरिक और सामरिक हथियार प्रणालियां इसके सामने बौनी हैं, यद्यपि इसके सैन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग का कोई ठोस सबूत नहीं मिला, किन्तु वायु सेना के दस्तावेज यह अवश्य दर्शाते हैं कि HAARP अंतरिक्ष के सैन्यीकरण का एक अभिन्न हिस्सा है।

HAARP की इस खबर से स्वाभाविक ही सम्पूर्ण विश्व के कान खड़े हो गए और व्यापक विरोध शुरू हुआ, कहा गया कि इसके द्वारा भूकंप लाये जा सकते हैं, क्षेत्र विशेष में सूखे की स्थिति निर्मित की जा सकती है, तूफ़ान उठाये जा सकते हैं, बाढ़ लाई जा सकती है, वायुयान दुर्घटनाएं कराई जा सकती हैं, अन्य देशों के अंतरिक्ष कार्यक्रम को रोका जा सकता है, और सबसे बड़ी बात यह प्रकृति के साथ छेड़छाड़ है।

नतीजतन मई 2013 में इसे अस्थाई रूप से बंद किया गया और बाद में अगले ही वर्ष मई 2014 में घोषणा की गई कि इसे अंतिम रूप से बंद कर दिया गया है, किन्तु यह पटाक्षेप नहीं था, अगस्त 2015 में इसका स्वामित्व यूनिवर्सिटी ऑफ़ अलास्का फेयरबैंक्स को सोंप दिया गया, अर्थात गुपचुप काम चलता रहेगा।

HAARP की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यदि किसी देश पर इसका प्रयोग किया जाए तो उस देश को इसका पता भी नहीं चलेगा, क्योंकि ये अदृश्य तरंगीय हमला होगा, कल्पना कीजिये कि किसी देश की इंटरनेट सेवा का अचानक से ठप्प पड़ जाना आज किसी देश को पंगु बनाने के लिए काफी है।

बैंकिंग प्रणाली ध्वस्त हो जायेगी और घंटों तक उस देश के सारे काम रुक जायेंगे,आंतरिक संपर्क इतना अस्त-व्यस्त हो जायेगा कि अराजकता पैदा हो जायेगी, सैन्य कार्रवाई के रूप में भी संचार को अक्षम करना किसी देश को तबाह करने के लिए काफी होगा, उदाहरण के लिए, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम पर निर्भरता, जो अमेरिका द्वारा नियंत्रित है, HAARP बड़ी आसानी से हवाई जहाजों और मिसाइलों को बेअसर बना सकती है।

कई अंग्रेजी वेब साइट्स ने तो यहाँ तक दावा किया है कि मलेशिया की फ्लाइट MH370 की दुर्घटना के पीछे इसी HAARP तकनीक का हाथ था, इसके अलावा जापान में 2011 में आये भूकंप और 2003 में हुई स्पेस शटल कोलंबिया के हादसे में इसी HAARP का परिक्षण का हाथ रहा, इसके उन्होंने तर्क भी साथ दिए हैं आप चाहें तो यहाँ पढ़ सकते हैं।

साथ में ये भी ज़रूर पढ़िए कि HAARP का माइंड कण्ट्रोल एजेंडा क्या है और किस तरह से ये काम करता है।

और सबसे ख़ास बात वो ये कि इस HAARP प्रोजेक्ट के पीछे भी Illuminati इल्युमिनाती का ही मुख्य हाथ और समर्थन है।

इसके अलावा ‘HAARP – Weapon Of Mass Destruction‘, आर्टिकल को आप यहाँ पढ़कर इसकी भयानकता का अंदाज़ा लगा सकते हैं।

कुल मिलाकर गुप्त रूप से परमाणु बम से भी कहीं हज़ार गुना मारक हथियार HAARP को तैयार कर उसका सफल परिक्षण भी अमरीका और ब्रिटेन कर चुके हैं और शायद आगामी विश्व युद्ध यदि हुआ तो वो इस सभ्यता के लिए आखरी ही होगा, इसके बाद वाला विश्व युद्ध पत्थरों और डंडों से ही लड़ा जायेगा ये लगभग तय हो चुका है, और साथ में ये भी तय हो चुका है कि विश्व का सबसे बड़ा आतंक मचाने वाला और विश्व का सबसे भयंकर और मारक WMD रखने वाला खुद अमरीका ही है न कि इराक़।

HAARP के बारे में आप विकिपीडिया पर भी पढ़ सकते हैं।

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